नई दिल्ली:खेतों में धान की कटाई के बाद गेहूं व दलहन, तिलहन फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. इसी बीच भारतीय किसान संघ के आह्वान पर खेतों में काम छोड़कर हजारों की संख्या में देशभर के किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गर्जना रैली में शामिल हुए. इनकी मांगे तो कई हैं लेकिन इन मांगों का लब्बोलुआब यही है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभाली थी तो कहा था कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन किसान आज भी दुखी हैं.
राजस्थान के जैसलमेर से आए विजय सिंह का कहना है कि खेती की लागत इतनी बढ़ गई है कि किसान दिन प्रतिदिन जमीन को खाली छोड़ सिर्फ गुजर-बसर व अपने परिवार का पेट पालने के लिए खेती करने को मजबूर है. वर्ष 2013 से हमलोग खेती में लागत के आधार पर सरकार के कृषि उपज का मूल्य तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गयी. रामलीला मैदान में आंध्र प्रदेश राजस्थान से आए कुछ किसानों से जब हमने बात की तो उनकी यही मांग थी कि जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने नदी जोड़ो अभियान शुरू किया था, जिससे देश के किसी भी राज्य में किसानों को कम से कम खेती के लिए पानी की जरूरत पूरी हो जाती.
महेंद्रगढ़ से आए किसान महेंद्र विश्नोई कहते हैं कि आज तक वह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाया. खेत में पानी की समुचित व्यवस्था होनी ही चाहिए. जिस तरह लागत बढ़ी है फसलों का मूल्य बढ़ाने पर सरकार को विचार करना चाहिए. सरकार के पास पहले से ही किसान क्रेडिट कार्ड धारकों का डेटा है. इसके आधार पर ही किसानों को कारोबारी बनने के लिए लाइसेंस दिया जाना चाहिए. इसके लिए अलग से कोई सर्टिफिकेट लेने की जरूरत न हो. बीकेएस की कार्यकारी समिति के सदस्य नाना आखरे ने कहा है कि जो किसान देश को अनाज, सब्जियां, फल, दूध आदि प्रदान करते हैं, आज अपनी कृषि उपज पर उचित लाभ नहीं मिलने की वजह से बहुत निराश हैं और इस वजह से आत्महत्या कर रहे हैं.