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पर्यावरण को संवारने में जी-जान से जुटे हैं पीएन बट्ट

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Published : Oct 27, 2022, 10:38 AM IST

पीएन बट्ट ने इंदिरापुरम के अहिंसा खंड चार में स्थित पार्क में सैकड़ों पेड़ पौधे लगाकर पार्क को हरा-भरा और सरम्य बना दिया है. पार्क को लंग्स ऑफ सोसाइटी (Lungs of society) के नाम से भी जाना जाता है. पीएन बट्ट बताते हैं कई साल पहले पार्क की हालत बहुत खराब थी. पार्क के हेड गार्ड के साथ मिलकर उन्होंने मेहनत और लगन से पार्क को विकसित किया. पार्क में कई प्रजातियों के पौधे लगाए गए, जो अब बड़े वृक्षों का रूप ले चुके हैं. हर दिन पीएन बट्ट तकरीबन 4 से 5 घंटे बाग की देखभाल में गुजारते हैं.

पीएन बट्ट
पीएन बट्ट

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए प्रदूषण एक बड़ी समस्या है(Pollution is a big problem). हर साल तकरीबन चार महीने लोगों को भीषण प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण के चलते सबसे अधिक परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को होती है. इस दौरान उनका घर से निकलना बेहद कम हो जाता है क्योंकि प्रदूषण उनके लिए ही सबसे अधिक घातक है. सरकारों के लिए बिना जनसहयोग के प्रदूषण से लड़ना संभव नहीं है, लेकिन लोग पर्यावरण को साफ रखने में अपनी जिम्मेदारी समझने को तैयार नहीं हैं. वहीं समाज में कुछ ऐसे लोग लोग भी हैं जो प्रदूषण को लेकर जागरूक हैं और पर्यावरण को बचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं. ऐसी ही एक शख्सियत हैं 65 वर्षीय पीएन बट्ट, जो सालों से इलाके के पार्क में पेड़ पौधे लगाकर यहां की हवा को साफ करने में जुटे हैं.

पीएन बट्ट ने इंदिरापुरम के अहिंसा खंड चार में स्थित पार्क में सैकड़ों पेड़-पौधे लगाकर पार्क को हरा-भरा और सुरम्य बना दिया है. पार्क को लंग्स ऑफ सोसाइटी (Lungs of society) के नाम से भी जाना जाता है. पीएन बट्ट बताते हैं कई साल पहले पार्क की हालत बहुत खराब थी. पार्क के हेड गार्ड के साथ मिलकर उन्होंने मेहनत और लगन से पार्क को विकसित किया. पार्क में कई प्रजातियों के पौधे लगाए गए जो अब बड़े वृक्षों का रूप ले चुके हैं. हर दिन पीएन बट्ट तकरीबन 4 से 5 घंटे बाद की देखभाल में गुजारते हैं.

पर्यावरण प्रेमी पीएन बट्ट

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वह बताते हैं कि पेड़ पौधे लगाना एक समाजिक दायित्व है. अगर हम पर्यावरण को लेकर आज जागरूक होंगे तो इसका फायदा हमारी आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा. बट्ट बताते हैं कि वह आसपास के युवाओं को भी पर्यावरण को लेकर जागरूक करते हैं. पार्क में अब शाम को बच्चे खेलते हैं और बुजुर्ग बैठकर गप्पे लड़ाते हैं. जिसे देखकर काफी अच्छा लगता है.

बट्ट कश्मीर के श्रीनगर के रहने वाले हैं. जहां उनके पिता द्वारकानाथ बट के पास 300 एकड़ जमीन और 10 से अधिक सेब आदि के बाग थे. बचपन से ही उन्हें खेती करने और बागवानी का शौक था. तकरीबन दो दशक पहले बट्ट जब अपने परिवार के साथ इंदिरापुरम आए तो विकास प्राधिकरण ने घरों के पास पार्क बनाने के लिए जगह छोड़ी थी. उस वक्त वहां सिर्फ एक नीम का पेड़ हुआ करता था. इस जगह पर लोग कूड़ा डाला करते थे. बट ने उस खाली पड़ी जगह को पार्क के रूप में विकसित करने का फैसला किया. मौजूदा समय में पार्क में अनेक प्रकार के फूलों की प्रजाति के साथ ही पीपल, नीम, बरगद समेत कई पेड़ मौजूद है.

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