नई दिल्ली: जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई टल गई. जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली बेंच को सुनवाई करनी थी, लेकिन अब 21 नवंबर को होगी.
25 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि संसद और राज्यों की विधानसभाएं जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन कोर्ट इस पर तभी विचार करेगी जब मजबूत तथ्य रखा जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वो अखबारों की खबरों पर गौर नहीं कर सकता है. याचिकाकर्ता को अपने पक्ष में दलील रखने को लिए मजबूत तथ्य रखने होंगे. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आप कह रहे हैं कि स्थिति ऐसी है कि कानून बनाने की जरुरत है. इसके लिए विधायिका सक्षम है. केंद्र सरकार को इस मसले पर कानून बनाने से कोई नहीं रोक रहा है.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से कहा गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने की जरुरत है, तब कोर्ट ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को ऐसा लगता है तो वो कानून बना सकते हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपकी दलील के पक्ष में कोई आंकड़ा है कि दिल्ली जबरन धर्मांतरण का गढ़ हो गया है. तब अश्विनी उपाध्याय ने अखबारों की खबरों का जिक्र किया. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वो अखबार की खबरों के आधार पर विधायिका को कानून बनाने की अनुशंसा नहीं कर सकता है.