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दीपावली पर रुक्मिणी द्वारकाधीश मन्दिर में भव्य तैयारी, कर सकेंगे दीप दान

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Published : Nov 2, 2021, 6:59 PM IST

द्वारका के रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में इस बार भव्य तैयारी की जा रही है. कमल के सिंहासन पर मां लक्ष्मी को विराजमान करवाकर उनके दर्शन कराये जाएंगे. इतना ही ही मन्दिर में प्रवेश के लिए हनुमान गेट बनाया जा रहा है.

दीपावली पर रुक्मिणी द्वारकाधीश मन्दिर में भव्य तैयारी
दीपावली पर रुक्मिणी द्वारकाधीश मन्दिर में भव्य तैयारी

नई दिल्ली:द्वारका के रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में इस बार भव्य तैयारी की जा रही है. द्वारका इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट अमोघ लीला दास ने बताया कि मंदिर में दीप दान लोग कर सकेंगे. कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इसे धन त्रयोदशी या धनवन्तरी त्रयोदशी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक धन त्रयोदशी के दिन भगवान कृष्ण के दिव्य अंशावतार, भगवान धनवन्तरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसे पाने के लिए सुर और असुर दोनों लालायित थे पर अंततः अमृत देवताओं को ही मिला.

कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन अच्छी सेहत और निरोगी काया की कामना हेतु भगवान धनवन्तरी की पूजा की जाती है, जो अमृत और औषधि के देवता हैं. इस दिन का महत्व इसलिए भी है कि समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना स्वामी चुना. भगवान विष्णु ने उन्हें सदा-सदा के लिए अपने वक्षस्थल पर रहने का स्थान दिया.

दीपावली पर रुक्मिणी द्वारकाधीश मन्दिर में भव्य तैयारी
भगवान कृष्ण की अनेक लीलाओं में सर्वाधिक चर्चित लीला कार्तिक मास में दीवाली के दिन हुई. इसमें सबसे खास ‘दामोदर लीला’ मानी जाती है. इस दिन मां यशोदा जब सुबह-सुबह माखन बनाकर प्रेम से अपने लल्ला के लिए मटकियों में सहेज कर रख रही थीं, उसी दौरान बाल गोपाल कृष्ण की नींद खुली और वे दबे पांव वहाँ आकर मटकियाँ फोड़-फोड़कर माखन चुराकर बंदरों को खिलाने लगे. जब मां ने यह देखा तो क्रोधित होकर वह माखनचोर को पकड़ने के लिए उसके पीछे छड़ी लेकर भागी और दाम यानी रस्सी से बांधने का प्रयास करने लगी. बहुत देर तक जब मां सफल नहीं हुईं तो मां का वात्सल्य प्रेम पाने के लिए बाल कृष्ण स्वयं उनके प्रेम से बंध गए.

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उन्हीं बाल गोपाल की स्तुति करने के लिए दामोदर अष्टकम् का पाठ किया जाता है. दीवाली के दिन भगवान कृष्ण की इसी दामोदर लीला को याद कर उनका गुणगान किया जाता है और उन्हें दीपदान कर अपनी भक्ति प्रकट की जाती है.

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