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तालिबान के सत्ता में आने के बाद सीमा पर खतरा बढ़ा, कैसे निपटेगा भारत, पूर्व डीजी प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत पर साझा की अपनी राय

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Published : Sep 10, 2021, 6:54 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 7:38 PM IST

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सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबानी कब्जे के बाद भले ही अफगानिस्तान परेशानी पैदा न करे, लेकिन पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों द्वारा परेशानी पैदा करने की कोशिश करेगा. अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद भारती की पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर सुरक्षा कितना महत्वपूर्ण हैं, इस मुद्दे पर बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से अपनी राय साझा की है. उनसे बात की है हमारे वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय ने.

नई दिल्ली :अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि यह उचित समय है कि भारत को पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर अपनी आंतरिक और सीमा सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए.

नई दिल्ली में एक विशेष साक्षात्कार में ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व डीजी प्रकाश सिंह ने कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान की अफगानिस्तान में रणनीतिक गहराई है. उत्तर प्रदेश और असम के पुलिस प्रमुख के रूप में भी काम करने वाले सिंह ने कहा कि हमारी पश्चिमी सीमा में मुख्य रूप से अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है और अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर पाकिस्तान की मुहर है. वे खुश हैं और मानते हैं कि उनके पास रणनीतिक गहराई है.

पाकिस्तान की इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) पहले ही काबुल का दौरा कर चुकी है और तालिबान के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है. सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में सरकार के गठन में पाकिस्तान का हाथ है और जिस तरह के लोगों को आईएसआई ने अफगानिस्तान में सरकार बनाने के लिए चुना है, सभी की पृष्ठभूमि आतंकवादी है. वास्तव में तालिबान के कई नेता एफबीआई द्वारा आतंकवादियों की मोस्ट वांटेड सूची में हैं.

बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह से बातचीत

सिंह ने कहा कि इन सभी को देखते हुए मैं बहुत आशंकित हूं कि आने वाले दिनों में हमारी पश्चिमी सीमा पर खतरा बढ़ सकता है. सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ उससे आतंकवादी संगठन को बढ़ावा मिला होगा.

इस तरह के संगठन फिर से सक्रिय हो जाएंगे और वे जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में हमारी पश्चिमी सीमा में समस्या पैदा करने की कोशिश करेंगे. बीएसएफ के पूर्व डीजी ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को सुरक्षा पकड़ को फिर से लागू करने और मजबूत करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए.

सिंह ने कहा कि यह बिल्कुल जरूरी है और हमें ऐसी स्थिति बनानी चाहिए कि जब भी कोई परेशानी पैदा करने के लिए सीमा पार करने की कोशिश करे तो उससे सीमा पर सख्ती से निपटा जाए. सिंह ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में हुए विकास के बाद चीन भी नापाक खेल खेल रहा है.

वे (चीन) जानते थे कि अफगानिस्तान में सोवियत सैनिकों के साथ क्या हुआ और अब अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक खेदजनक कदम उठाया. इसलिए चीन ऐसा कुछ भी नहीं करने के लिए बहुत सतर्क है जो उनके लिए समस्या पैदा कर सके.

यह सच है कि चीन खनिजों के खनन के साथ अफगानिस्तान में सड़क नेटवर्क के विस्तार पर नजर रखते हुए अफगानिस्तान के साथ निकट जाने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के शीर्ष खुफिया अधिकारियों सहित चीनी सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान का दौरा किया और शीर्ष तालिबान नेताओं के साथ बातचीत की. सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान के विकास का असर भारत के पूर्वी क्षेत्र पर भी पड़ सकता है.

सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में भी मजबूत कट्टरपंथी समूह हैं और वे इस तथ्य से उत्साहित महसूस कर सकते हैं कि अफगानिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों की बड़ी जीत हुई है. यह निश्चित रूप से बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों का मनोबल बढ़ा सकता है.

बीएसएफ के पूर्व डीजी ने कहा कि भारत को अपनी पूर्वी सीमा पर गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए क्योंकि बांग्लादेश के कट्टरपंथी भी भारत में समस्या पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं.

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यहां यह ध्यान दिया जा सकता है कि जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश सहित कट्टरपंथी संगठन के कई सदस्यों को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है हालांकि बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार द्वारा की गई कड़ी कार्रवाई के बाद यह संगठन फल-फूल नहीं सका.

Last Updated :Sep 10, 2021, 7:38 PM IST

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