ETV Bharat / bharat

सभी धर्मों-धर्मार्थ संस्थानों के लिए बने एक समान नियम, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

author img

By

Published : Sep 10, 2021, 5:42 PM IST

Petition
Petition

अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें केंद्र सरकार को धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों के लिए सामान्य चार्टर और धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती के लिए समान कोड का मसौदा तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई है.

नई दिल्ली : भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जो तर्क देते हैं कि धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1890 मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14,15 और 26 के विपरीत है. क्योंकि यह मस्जिदों व चर्च की वित्तीय और प्रबंधकीय गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं करता है.

याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों को मुसलमानों और ईसाइयों की तरह धार्मिक संपत्तियों के स्वामित्व, अधिग्रहण और प्रशासन के समान अधिकार हैं और राज्य इसे कम नहीं कर सकता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों की समस्या बहुत बड़ी है क्योंकि राज्य सरकारें उनके धार्मिक ढांचे को नियंत्रित करती हैं. जिससे मंदिरों और गुरुद्वारों की स्थिति दयनीय हो जाती है क्योंकि इसका प्रबंधन भ्रष्ट राज्य के अधिकारियों द्वारा किया जाता है.

यह कुप्रबंधन मंदिर प्रशासन के सभी पहलुओं तक फैला हुआ है और तिरुपति गुरुवयूर, सिद्धिविनायक, वैष्णो देवी जैसे समृद्ध मंदिरों का उपयोग सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों की जेब भरने के लिए किया जाता है. केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में जो हो रहा है, उसे दिन के उजाले में लूट के रूप में वर्णित किया जा सकता है.

कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि जब मंदिर के रखरखाव की बात आती है तो राज्य पूरी तरह से अक्षम हो जाते हैं. हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों पर मुसलमानों व ईसाइयों के विपरीत गरीबों की पर्याप्त सामाजिक सेवा नहीं करने का आरोप लगाया जाता है.

लेकिन वे कैसे कर सकते हैं? जब राज्य ही मंदिर के धन को हड़प रहे हैं और शैक्षिक संस्थानों में भी हस्तक्षेप करते हैं? मस्जिद और चर्च हस्तक्षेप से मुक्त हैं और स्कूल चलाते हैं. लाभ के आधार पर अस्पताल भी चलाते हैं जहां से आमदनी भी होती है.

याचिका के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ इस तरह का संस्थागत भेदभाव दुनिया में कहीं भी नहीं होता है. यह हिंदू, बौद्ध, सिख समुदाय की धार्मिक रूपांतरण के खतरे का जवाब देने की क्षमता को गंभीर रूप से बाधित करता है.

याचिकाकर्ता का अनुरोध है कि राजनेताओं ने मंदिर के धन का दुरूपयोग किया लेकिन बुद्धिजीवियों ने कभी भी राज्य के हस्तक्षेप का विरोध नहीं किया. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह नियम हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव को दर्शाता है. भले ही धर्मनिरपेक्षता हमारे देश की मुख्य विशेषताओं में से एक है.

यह भी पढ़ें-योगी सरकार का निर्णय, श्रीकृष्ण जन्मस्थली से 10 किमी. की परिधि का इलाका तीर्थ क्षेत्र घोषित

याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि प्रत्यक्ष तौर पर घोषणा की जाए कि मंदिरों-गुरुद्वारों की चल-अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए बनाए गए सभी कानून मनमाने, तर्कहीन और अनुच्छेद 14,15,26 का उल्लंघन करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.