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पर्यावरण संरक्षण अब हर व्यक्ति की जिम्मेदारी, गमलों के पौधों से नहीं चलेगा काम : श्याम सुंदर ज्याणी

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Published : Jun 19, 2021, 2:19 AM IST

लैंड फॉर लाइफ अवॉर्डी श्याम सुंदर ज्याणी (Shyam Sundar Jyani) का कहना है कि पारिवारिक वानिकी (Family Forestry) वक्त की जरूरत है. इसका मतलब ये है कि वन एवं पर्यावरण के संरक्षण (Forest and Environment Protection) की जिम्मेदारी अब हर व्यक्ति को उठानी होगी. गमले में पौधे लगा देने से काम नहीं चलेगा. जहां जरूरत हो वहां पौधा लगाया जाए और उसके पेड़ बनने तक हिफाजत की जाए.

Family Forestry
Family Forestry

बीकानेर : पर्यावरण संरक्षण (Environmental protection) को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations organisation) दुनियाभर में लोगों को प्रोत्साहित करता है. यहीं नहीं बल्कि दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले लोगों को UNO पुरस्कृित भी करता है. साल 2021 का लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड इस बार बीकानेर के श्याम सुंदर ज्याणी को दिया जाएगा.

श्याम सुंदर के 'पारिवारिक वानिकी' (Family Forestry) के विचार को इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है. ज्याणी के नाम अवॉर्ड की घोषणा होने के बाद ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

लैंड फॉर लाइफ अवॉर्डी श्याम सुंदर ज्याणी

बीकानेर के डूंगर कॉलेज के समाजशास्त्र के प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी को यूनाइटेड नेशन की ओर से पर्यावरण संरक्षण को लेकर लैंड फॉर लाइफ अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा. ज्याणी को यह पुरस्कार इसी वर्ष अगस्त-सितंबर में चीन में दिया जाएगा.

श्याम सुंदर ज्याणी करीब डेढ़ दशक से पारिवारिक वानिकी पर काम कर रहे हैं. उन्होंने राजस्थान के लगभग 15 हजार गांवों में 25 लाख पौधे लगाए हैं. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि पारिवारिक वानिकी का मतलब यह है कि हम पौधों को परिवार के सदस्य की तरह पालें. जहां रहते हैं या जहां काम करते हैं वहां पौधे लगाएं और पेड़ बनने तक उनका संरक्षण करें.

लैंड फॉर लाइफ अवॉर्डी श्याम सुंदर ज्याणी

श्याम सुंदर कहते हैं कि लोक संस्कृति को बचाने के लिए भी पर्यावरण संरक्षण जरूरी है. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मरूस्थली इलाकों में पारिवारिक वानिकी के अभियान को शुरू किया तो लोग कहते थे कि मरूस्थल में पौधा नहीं बनता. उन्होंने लोगों की सोच को बदला और समय और स्थान की जरूरत के अनुसार पौधे लगाने पर जोर दिया.

फैमिली फॉरेस्ट्री

श्याम सुंदर कहते हैं कि पारिवारिक वानिकी हरित कांति का सशक्त जरिया है. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए उनके कार्यों पर वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी उन्हें सम्मानित किया था. देश के हर गांव और घर में फलदार वृक्ष होने की कल्पना करने वाले श्याम सुंदर कहते हैं कि आजकल ग्रो ग्रीन की बातें होती हैं लेकिन गमले में पौधा लगा देना ही पर्यावरण संरक्षण नहीं है. बल्कि पर्यावरण के संतुलन को देखते हुए उस स्थान की जलवायु और पशु-पक्षियों को ध्यान में रखते हुए पौधारोपण करना जरूरी है.

फैमिली फॉरेस्ट्री

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ज्याणी ने खुद को मिले इस अवार्ड को अपने सभी सहयोगियों को समर्पित करते हुए कहा कि पिछले डेढ़ दशक में हर कदम पर उन्हें अपने साथियों का सहयोग मिला है और इसी के चलते पारिवारिक वानिकी का विचार आगे बढ़ रहा है.

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