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Malnutrition problem in Sukma: सुकमा में बच्चों के आहार पर डाका, कुपोषण की ओर बढ़ रहे बच्चे, पौष्टिक आहार में कमीशनखोरी

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Published : Jan 14, 2022, 10:55 PM IST

Updated : Jan 15, 2022, 1:30 PM IST

Malnutrition problem in Sukma: 10 सदस्यीय इंद्रा स्व: सहायता समूह की महिलाएं कर्जमुक्त होने के लिए समूह चलाने में मजबूर हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में दिये जाने वाला रेडी टू ईट इनके द्वारा प्रदान की जाती है. जिससे सरकार इन्हें आर्थिक मजबूती प्रदान करता है. लेकिन सुपोषण अभियान में अब भ्रष्टाचार का दीमक लग रहा है.आदर्श ग्राम चिपुरपाल की महिलाओं ने सुपरवाइजर पर प्रतिमाह के नफा राशि पर 10 हजार रुपए की कमीशनखोरी का आरोप लगाया है.

Children heading towards malnutrition
कुपोषण की ओर बढ़ रहे बच्चे

सुकमा: जिले में सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार प्रदेश की महिलाओं को स्व: सहायता समूहों द्वारा स्कूल मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, आंगनबाड़ी केन्द्र के हितग्रहियों के लिए रेडी टू ईट एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकान के संचालन के साथ-साथ विभिन्न कार्यों में सम्मिलित कर बेहतर आयाम दे रही है. हालांकि सुकमा जिला में इसका विपरित परिणाम देखने को मिल रहा है. सरकारी मुलाजिमों की कमीशनखोरी, महिला स्व: सहायता समूह को आर्थिक रूप से मजबूत और समृद्ध होने की बजाए कर्जे में डूबा रहा है.

कुपोषण की ओर बढ़ रहे बच्चे

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सुपरवाइजर पर कमीशनखोरी का आरोप

सुकमा के छिंदगढ़ ब्लॉक अंतर्गत जिले का आदर्श ग्राम चिपूरपाल में यह कमीशनखोरी का खेल चल रहा है. यहां इंद्रा स्व: सहायता समूह की महिलाएं सुपर वाइजर की कमीशन खोरी का शिकार हो रही हैं. समूह से जुड़ी महिलाओं को डेढ़ लाख के भारी कर्जे में डाल दिया गया है.

इससे परेशान होकर 10 सदस्यीय इंद्रा स्व: सहायता समूह की महिलाएं कर्जमुक्त होने के लिए समूह चलाने में मजबूर हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिये जाने वाला रेडी टू ईट इनके ही द्वारा प्रदान किया जाता है. जिससे सरकार इन्हें आर्थिक मजबूती प्रदान करती है. आदर्श ग्राम चिपुरपाल की महिलाओं ने सुपर वाइजर पर प्रतिमाह के नफा राशि पर 10 हजार रुपए कमीशनखोरी का आरोप लगाया है. इस मामले के खुलासे से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मीडिया के माध्यम से अवगत हुए हैं. अब वह कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

गेहूं की कालाबाजारी
समूह की महिलाओं का कहना है कि उन्हे प्रशासन की तरफ से मिलने वाला गेहूं पिछले 2 वर्षों से नही मिला. रेडी टू ईट के लिए प्रति माह 20 से 30 हजार रुपए का बाजार से गेहूं खरीदना पढ़ रहा है. जिससे समूह की महिलाओं को नफा की बजाए कर्ज का बोझ उठाना पड़ रहा हैं. सुपर वाइजर की कमीशनखोरी ने समूह की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. सुपर वाइजर पर आरोप है कि कमीशन खोरी काली कमाई के साथ ही मोहतरमा रेडी टू ईट के लिए आवंटित गेहूं का भी अवैध रूप से कालाबाजारी कर रही हैं.

समूह से हटाने की मिलती है धमकी
समूह की महिलाओं का आरोप यह भी है की निरक्षरता की वजह से जानकारी के अभाव का फायदा उठाते हुए समूह की महिलाएं रेडी टू ईट तैयार करने के लिए जो रशीद बाजार से लाती हैं, सुपरवाइजर समूह के बिल नस्ती में हस्ताक्षर के एवज में रशीद का आधा हिस्सा देने की मांग करती हैं. समूह की महिलाओं द्वारा कमीशन खोरी व अवैध मांग का विरोध करने पर बिल पास नहीं करने की धमकी देते हुए समूह छोड़ देने की बात कहती हैं और अधिकारियों से शिकायत करने पर बिल रकम कम करने की भी धमकी देती हैं.

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ये कैसा आदर्श ग्राम
बीते दिनों जिला प्रशासन ने सुकमा जिले के कुछ ग्राम पंचायतों को आदर्श ग्राम दर्जे में शामिल किया हैं. इसमें एक छिंदगढ़ ब्लॉक का चिपुरपाल ग्राम पंचायत भी है. ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि आखिर ये कैसा आदर्श ग्राम हैं जहां महिलाओं के उत्थान में क्रियान्वयन होने वाली रिवाज के साथ प्रशासन महकमे के अधीनस्थ ही इनका आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. जिस आदर्श ग्राम की हर एक पहलुओं पर प्रशासन की पैनी नजर होनी चाहिए, वहां प्रशासनिक महकमें के नुमाइंदों के द्वारा इस तरह के असंवैधानिक कृत्य की प्रशासन को अब तक कोई खबर नहीं.


सुपोषण उपलब्धि के ढोल पर बेईमानी की थाप
हाल ही में सुकमा जिला को सुपोषण के क्षेत्र में प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल हुआ था. इसके बाद महिला एवं बाल विकास द्वारा उपलब्धि के ढोल पीटने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा गया. भले ही जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरित ही क्यों न हों, कागजी आंकड़ों पर प्रशासन अपने उपलब्धियों के चाहे जितनी ढोल पीट ले लेकिन जमीनी स्तर पर प्रशासन महकमे के अधिनस्तों ने प्रशासन की नाकामियों की बैंड बजाने में भी कोई कसर छोड़ा है. सुकमा जिले में 991 आंगन बाड़ी केंद्र संचालित हैं. इसमें 34 पंजीकृत स्व:सहायता समूह जिले भर के आंबा केंद्रों में रेडी टू ईट प्रदाय कराती हैं.


समूह की महिला सदस्य का कहना है की हम पिछले 3 वर्षों से समूह चला रही हैं. हमारे समूह से तेल, शक्कर, गेहूं, की अवैध मांग सुपर वाइजर द्वारा की जाती है और जब हम इसका विरोध करते हैं तो वो हमें बिल नस्ति में साइन नहीं करने की धमकी देती हैं. सुपर वाइजर हमसे हर बार 10 हजार कमीशन लेती हैं.

Last Updated :Jan 15, 2022, 1:30 PM IST

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