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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा, जानें महत्व

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Published : Jan 12, 2023, 5:44 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 12:19 PM IST

15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है. जानें कैसे शुरू हुई थी इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का महत्व और फायदे.

start of eating Khichdi on Makar Sankranti
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की शुरुआत

रायपुर:सनातन धर्म में सभी संक्रांतियों में मकर संक्राति का स्पेशल महत्व है. शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है. इस बार खास होने वाला है. क्योंकि शनि ग्रह मकर राशि में प्रवेश करने जा रहा है. इस दिन सूर्य और शनिदेव का मिलन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य करने और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है. लेकिन आप जानते हैं कि इस दिन खिचड़ी क्यों खाई और खिलाई जाती है? दरअसल इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

खिचड़ी खाने की परंपरा की शुरूआत:माना जाता है कि खिलजी से युद्व के दौरान नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए थे. भूख के कारण सभी की तबीयत बिगड़ने लगी थी. गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी एक साथ पकाकर सबको खिलाया. इससे नाथ योगियों को एनर्जी मिली और उनके स्वास्थ में सुधार हुआ. तभी से खिचड़ी खाने की परंपरा चली आ रही है.

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मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व और फायदा:मकर संक्रांति के दिन जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है. खिचड़ी में प्रयोग होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से, उड़द की दाल का शनि देव से, हल्दी का संबंध गुरू देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से है. इसके अलावा घी का संबंध सूर्य देव से है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है.

मकर संक्रांति पर दान देने का महत्व: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के साथ ही किसी ब्राह्मण को दान भी देना चाहिए. इस दिन उन्हें घर बुलाकर खिचड़ी खिलाएं और इसके बाद कच्ची दाल, चावल ,हल्दी, नमक और हरी सब्जियां दान करें. साइंस के अनुसार, खिचड़ी खाने से सेहत बढ़ती है और सेहत अच्छी रहती है. इसके सेवन से बीमारी नजदीक नहीं आती है और लोगों को एनर्जी मिलती है.

Last Updated :Jan 13, 2023, 12:19 PM IST

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