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Martyrs Day 2023: 1948 से पहले भी 5 बार हुई थी महात्मा गांधी के हत्या की कोशिश

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Published : Jan 30, 2023, 4:21 PM IST

30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर संपूर्ण राष्ट्र ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इसी दिन 1948 को एक सनकी ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. इससे पहले भी हत्यारे ने उन पर पांच बार जानलेवा हमला कर चुके थे. इसके बावजूद 30 जनवरी को हथियार लेकर हत्यारा बापू के करीब पहुंचने में कामयाब हो गया था. paid homage

Martyrs Day 2023
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि

रायपुर/हैदराबाद: महात्मा गांधी पर कुल छह बार जानलेवा हमले हुए. 5 में उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन छठवां हमला बेहद करीब से किया गया, जिसमें उनकी जान चली गई. हत्यारा महात्मा गांधी के इतना करीब कैसे पहुंचा, इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है. कयास के आधार पर कई तर्क मिल जाएंगे, लेकिन स्पष्ट उत्तर नहीं.

कार में हुआ था जोरदार धमाका:राष्ट्रपितामहात्मा गांधी परपहला हमला 1934 में पुणे में हुआ था. उन्हें एक समारोह में जाना था. तकरीबन एक जैसी दिखने वाली दो गाड़ियां आईं. एक में आयोजक थे और दूसरे में कस्तूरबा और महात्मा गांधी थे. रेलवे क्राॅसिंग पर आयोजक की कार निकल गई, पर गांधी जी की कार वहां रुक गई. तभी एक धमाका हुआ, जो कार आगे निकली थी, उसके परखच्चे उड़ गए.

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पंचगनी और मुंबई में भी हुई थी हत्या की कोशिश:साल 1944 में आगा खां पैलेस से रिहाई के बाद गांधी पंचगनी रुके थे. वहां कुछ लोग उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. गांधी जी ने उनसे बात करने की कोशिश की. लेकिन उनमें से कोई बात करने को तैयार नहीं था. इस बीच एक आदमी छूरा लेकर दौड़ पड़ा. हालांकि उसे पकड़ लिया गया. 1944 में ही महात्मा गांधी और जिन्ना की वार्ता मुंबई में होने वाली थी. मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के लोग इससे नाराज थे, जिनका मानना था कि गांधी और जिन्ना की मुलाकात का कोई मतलब नहीं है. ये मुलाकात नहीं होनी चाहिए. वहां भी गांधी पर हमले की नाकाम कोशिश हुई.

चंपारण में दो बार की गई कोशिश:1946 में नेरूल के पास गांधी जिस रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे, उसकी पटरियां उखाड़ दी गईं. इंजन कहीं जाकर टकरा गया. साल 1948 में जब मदनलाल बम फोड़ना चाहता था तो वो फूटा नहीं. लोगों ने उसे पकड़ लिया.

बत्तख मियां ने बचाई थी गांधी जी की जान:1917 में मोतिहारी में सबसे बड़ी नील मिल के मैनेजर इरविन ने गांधी जी को बातचीत के लिए बुलाया. इरविन ने सोचा कि जिस आदमी ने उनकी नाक में दम कर रखा है, अगर इस बातचीत के दौरान उन्हें खाने-पीने में जहर दे दिया जाए, जिसका असर बाद में हो तो उसके ऊपर आंच भी नहीं आएगी और गांधी की जान भी चली जाएगी. इरविन ने अपने खानसामे बत्तख मियां अंसारी को सारी बात बताई. बत्तख मियां से कहा गया कि वो ट्रे लेकर गांधी के पास जाएंगे. बत्तख मियां ट्रे लेकर गांधी के पास चले गए. वो ट्रे लेकर खड़े ही रहे. गांधी जी ने सिर उठाकर उन्हें देखा तो बत्तख मियां रोने लगे और सच्चाई सामने आ गई.

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