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झीरम जांच : बीजेपी-कांग्रेस ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

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Published : Jan 29, 2021, 8:03 AM IST

Updated : Jan 29, 2021, 9:05 AM IST

बीजेपी और कांग्रेस ने झीरम मामले की जांच को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए हैं. जहां एक ओर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है, तो वहीं बीजेपी ने भी कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं.

BJP Congress targeted each other on Jhiram case
झीरम पर आरोप-प्रत्यारोप

रायपुर :25 मई 2013कोहुएझीरम नक्सली हमले को लेकर एक बार फिर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. अब तक जहां कांग्रेस रमन सरकार पर झीरम मामले की जांच ना कराने और इसमें भाजपा के शामिल होने का आरोप लगाती रही थी, वहीं अब भाजपा ने झीरम मामले की जांच में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरने का प्रयास किया है. इतना ही नहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस के वर्चस्व की लड़ाई बताते हुए इसमें कांग्रेस के लोगों के शामिल होने का भी आरोप लगाया है.

झीरम हमले की जांच पर बीजेपी कांग्रेस का बयान
पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस पर झीरम नक्सली हमले को लेकर कई संगीन आरोप लगाए हैं. उन्होंने ETV भारत से बातचीत में कहा कि 'झीरम घटना कांग्रेस के वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है, जिसे उन्हें स्वीकारना चाहिए.' केदार कश्यप ने बिना नाम लिए कवासी लखमा पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि 'झीरम घटना के समय तत्कालीन विधायक जो वर्तमान में मंत्री भी हैं, वे भी मौजूद थे, उनसे भी पूछताछ की जानी चाहिए.'

कांग्रेस पेश करे साक्ष्य

केदार कश्यप ने कहा कि 'कांग्रेस झीरम मामले को लेकर भाजपा सरकार और डॉ रमन सिंह पर आरोप लगा रही है, जो कहीं ना कहीं द्वेषपूर्ण भावना से प्रेरित है. कश्यप ने कहा कि घटना के समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. उन्होंने ही इस पूरे मामले को एनआईए जांच के लिए भेजा था और आज 2 साल से राज्य में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन इस दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया.' केदार कश्यप ने झीरम नक्सली हमले में कांग्रेस के लोगों के शामिल होने का भी आरोप लगाया है. केदार कश्यप का कहना है कि यदि राज्य सरकार के पास झीरम मामले से संबंधित कोई साक्ष्य है, तो उसे एनआईए के सामने प्रस्तुत करें. 2 साल बीतने के बाद अभी तक कांग्रेस सरकार की ओर से झीरम मामले में एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया गया है.

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कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए आरोप


वहीं झीरम केस को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने धमतरी में भाषण दिया था कि कांग्रेस नेताओं की हत्या की जांच हम कराएंगे, आरोपियों को सजा दिलाएंगे, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ उल्टा. जांच को बाधित करने की कोशिश की गई, जांच की दिशा बदल दी गई. जब-जब भूपेश सरकार ने जांच के आदेश दिए, उनके खिलाफ एनआईए हाईकोर्ट जाती है और कहती है कि हम जांच कर रहे हैं.

शैलेष नितिन का कहना है कि यह कैसी जांच है कि फाइनल रिपोर्ट जमा हो गई है, चालान जमा हो गया है, फिर NIA कहती है कि वो जांच कर ही रही है. राज्य सरकार की जांच को बाधित करने के लिए एनआईए जांच जारी रखने की बात कहती है. शैलेश नितिन ने कहा कि केदार कश्यप ओर भाजपा ने लगातार झूठ फैलाया और अब वर्चस्व की लड़ाई की बात कह रहे हैं, इस बात का जवाब भाजपा के नेता को देना चाहिए.

कांग्रेस ने बीजेपी से मांगा जवाब

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि जिस दिन कांग्रेस की रैली सुकमा में थी, उसी दिन सुकमा जिले के सारे पुलिस बल को विपरीत दिशा में ट्रेनिंग कैंप के नाम पर क्यों ले जाया गया, परिवर्तन यात्रा के दौरान सारे रास्ते सुरक्षा दी गई, लेकिन जिस स्थान पर नक्सलियों का हमला हुआ, ठीक उसी स्थान पर सुरक्षा क्यों नहीं दी गई. सरकार से यह जानने का अधिकार छत्तीसगढ़ के लोगों को है, सबसे पहले इस सवाल का जवाब भाजपा के नेताओं को देना चाहिए.

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शैलेश नितिन ने कहा कि घटना वाले दिन ही मैंने कहा था कि यह आपराधिक राजनैतिक षड्यंत्र है. सत्ता परिवर्तन को टालने के लिए परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कराया गया. रमन सिंह के विकास यात्रा को जो सुरक्षा मुहैया कराई गई, उसके ठीक विपरीत परिवर्तन यात्रा को उसी स्थान पर सुरक्षा नहीं दी गई, जहां नक्सलियों का हमला हुआ. शैलेश ने कहा कि नक्सलियों के हमले की जगह सरकार को पता थी या फिर नक्सलियों को पता था कि सरकार की यहां सुरक्षा नहीं होगी. इन सवालों का जवाब आना चाहिए.

अब देखने वाली बात है कि झीरम का सच आखिर कब तक सामने आता है, क्योंकि झीरम का सच सामने लाने पूर्व में भाजपा सरकार के द्वारा दावा किया गया था और वर्तमान में कांग्रेस सरकार इसका दावा कर रही है, लेकिन वर्तमान सरकार बने भी 2 साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, बावजूद इसके झीरम या उससे जुड़े किसी भी मामले को लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई बड़ी पहल या कार्रवाई नहीं की गई है. जिससे यह लगे कि राज्य सरकार झीरम मामले की जांच को लेकर आगे बढ़ रही है.

झीरम नक्सली हमला

ये हमला 25 मई 2013 को हुआ. इसमें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं समेत 32 लोग मारे गए. इस हमले में महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेता मारे गए. वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल का भी करीब 2 माह के इलाज के दौरान निधन हो गया था.

Last Updated :Jan 29, 2021, 9:05 AM IST

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