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कोरबा में किसानों का छलका दर्द : बेमौसम बारिश से रोजी-रोटी का संकट, सरकारी मदद की आस में अन्नदाता

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Published : Jan 17, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Jan 17, 2022, 10:59 PM IST

कोरबा मुख्यालय से सटे ग्राम पंडरीपानी, बेंदरकोना, करमंदी, कुरूडीह और भालूसटका सहित करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में सब्जी की खेती ही किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है. भारी बारिश से तबाही का आलम यह है कि अकेले करतला विकासखंड के करीब एक दर्जन गांव की लगभग 25 हेक्टेयर में लगी भाजी की फसल बर्बाद हो गई. इतना ही नहीं गोभी और बैंगन को भी बीमारी ने डुबोकर रख दिया. इससे अन्नदाताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. वैसे तो जिला प्रशासन हेल्पलाइन जारी कर दिया है, लेकिन सरकारी मदद किसानों तक नहीं पहुंचा है.

vegetable crops ruined
बेमौसम बारिश से सब्जी बर्बाद

कोरबा:कोरबा समेत पूरे छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बनकर आई है. बात अगर कोरबा की करें तो बारिश ने आजीविका के लिए सब्जी की खेती पर निर्भर किसानों की कमर ही तोड़कर रख दी. कोरबा मुख्यालय से सटे ग्राम पंडरीपानी, बेंदरकोना, करमंदी, कुरूडीह और भालूसटका सहित करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में सब्जी की खेती ही किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है. भारी बारिश से तबाही का आलम यह है कि अकेले करतला विकासखंड के करीब एक दर्जन गांव की लगभग 25 हेक्टेयर में लगी भाजी की फसल बर्बाद हो गई. इतना ही नहीं गोभी और बैंगन को भी बीमारी ने डुबोकर रख दिया. इससे अन्नदाताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. किसान सरकारी मदद की राह तक रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने मदद की घोषणा की है, लेकिन क्षतिपूर्ति का आकलन करने को पटवारी अब तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाए हैं.

कोरबा में किसानों का छलका दर्द

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कुछ महीने पहले हुई बारिश का भी नहीं हुआ था सर्वे

बढ़ते संक्रमण के कारण जिले के शीर्ष अधिकारी संक्रमित होने से होम क्वारंटाइन में हैं. हालांकि बीते 1 हफ्ते में परिस्थितियां कुछ सामान्य जरूर हुई है, लेकिन अब भी काम अटके हुए हैं. नुकसान का आकलन शुरू करने कुछ अधिकारी मौके पर गए थे, लेकिन सरकारी दावे केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाते हैं. कुछ किसानों के खेतों में अधिकारी पहुंचे और फोटो खिंचवाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली. जबकि बड़े पैमाने पर किसान अब भी सर्वे का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें नुकसानी के एवज में कुछ क्षतिपूर्ति मिल सके.

मौसम विभाग ने पखवाड़े भर पहले भी बारिश होने की संभावना व्यक्त की थी. जिसके अनुसार 29 और 30 दिसंबर को बारिश हुई थी. पिछले 3 दिनों में भी लगातार बारिश हुई है. इसके पहले फसल कटाई के दौरान नवंबर महीने में पांच दिनों तक बारिश जारी रही. जिसमें करतला विकासखंड के नवापारा, अमलडीहा के किसाननों की फसल पानी में डूब गयी थी. फसल नुकसानी के आकलन के लिए जिला प्रशासन ने पटवारियों को निर्देशित किया था. आकलन रिपोर्ट को प्रशासन की ओर से सार्वजनिक नहीं किया है. जिन किसानों का नुकसान हुआ उन्हे अभी तक राहत नहीं मिली है.

गोभी और करेले की फसल हो गई बर्बाद अब मवेशियों को खिला रहे

जिला मुख्यालय लगे ग्राम पंडरीपानी, बेंदरकोना, करमंदी, कुरूडीह, भालूसटका सहित आधा दर्जन से भी अधिक गांवों में व्यवसायिक पैमाने पर सब्जी की खेती होती है. ग्राम पंडरीपानी की महिला किसान धनकुंवर ने बताया की गोभी के पत्ते पीले पड़कर झड़ चुके हैं. पिछले दिनों से हुई बारिश और मौसमी उतार चढ़ाव के कारण एकड़ भर में लगे फूल गोभी और करेले के फसल को नुकसान हुआ है. फूल गोभी के अलावा उसके पत्तों को भाजी सब्जी रूप में बिक्री कर लाभ मिल जाता था, जो अब नहीं मिलेगा. फूलगोभी करेला और अन्य सब्जियों की फसल लगभग पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. अब इन खराब सब्जियों को मवेशियों को खिला रहे हैं. इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा है.

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नुकसान हुआ तो खुद सहना पड़ता है घाटा

किसान रामसाय पटेल का कहना है कि मैंने 1 एकड़ में करेले की फसल लगाई थी. 3 दिनों में हुई बारिश से करेले के पत्ते सड़कर खराब हो चुके हैं. जिसमें अब करेले के उगने की कोई संभावना नहीं है. मुझे बहुत नुकसान हुआ है. अब आजीविका का संकट मेरे सामने खड़ा हो गया है. पूर्व में भी जब फसल खराब हुई थी. तब कोई मुआवजा नहीं मिला था. किसान मेहनत करते हैं और अपनी फसल उगाते हैं, लेकिन नुकसान हो जाए तो घाटे को भी खुद ही सहना पड़ता है. अब यह सरकार के ऊपर है, अगर वह मुआवजा दे दे तो हमें खुशी होगी, लेकिन अक्सर हमें नुकसान भी खुद ही उठाना पड़ता है. बेमौसम बारिश ने मेरे सब्जी की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.

उद्यानिकी फसलों के क्षति की जानकारी देने टोल फ्री नंबर जारी

प्रशासन की ओर से बेमौसम बारिश होने वाले फसल क्षति के नुकसान की जानकारी देने के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. किसान उद्यानिकी फसलों की क्षति की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800-209-5959 पर 72 घंटे के भीतर दे सकते हैं. सहायक संचालक उद्यान ने बताया कि रबी मौसम में बोए गये उद्यानिकी फसलों के लिए बीमा कराने वाले किसान बारिश से होने वाली फसल क्षति की जानकारी दे सकते हैं. फसल क्षति का आंकलन करके नियमानुसार किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान किया जायेगा.

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कृषि अधिकारियों को निरीक्षण के लिए कहा

जिला कृषि अधिकारी अनिल शुक्ल ने बताया कि लंबे समय तक बारिश जारी रही तो कीट प्रकोप की संभावना रहती है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, बारिश की संभावना को देखते हुए सभी किसानों को सतर्क कर दिया गया था. पंचायत स्तर पर पदस्थ कृषि विस्तार अधिकारियों को फसल निरीक्षण कर किसानों को उचित सलाह देने के लिए कहा गया है. कृषि के साथ ही राजस्व विभाग मिलकर फसल नुकसानी का आकलन तैयार करते हैं.

पटवारियों को आकलन के लिए निर्देश

कोरबा एसडीएम हरिशंकर पैकरा का कहना है कि बारिश की संभावना को देखते हुए प्रशासन की ओर से चेतावनी जारी की गई थी. सब्जी की फसल बर्बाद हुई है तो इसके लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है, जहां किसान सूचना दे सकते हैं. पटवारियों से नुकसानी का आकलन करने को भी कहा गया है. रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा प्रकरण भी तैयार किया जाएगा.

Last Updated :Jan 17, 2022, 10:59 PM IST

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