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SPECIAL: डीएमएफ फंड पर पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर और मंत्री जयसिंह अग्रवाल में जुबानी जंग तेज

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Published : Jul 10, 2020, 11:06 PM IST

Updated : Jul 11, 2020, 12:16 PM IST

कोरबा में जिला खनिज निधि को लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल और पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर ने DMF की राशि को लेकर सवाल उठाए थे, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने उन पर पलटवार किया है.

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डीएमएफ फंड पर सियासी घमासान

कोरबा: जिला खनिज संस्थान न्यास की राशि को लेकर वर्तमान राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर आमने-सामने आ गए हैं. प्रदेश के दोनों कद्दावर नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. ननकीराम कंवर ने मंत्री जयसिंह अग्रवाल पर DMF राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. जिस पर तंज कसते हुए जयसिंह अग्रवाल ने भी कहा कि विधायकों का तो काम ही सवाल उठाना है, जनता ने उन्हें इसलिए ही चुना है.

डीएमएफ फंड पर सियासी घमासान

जब जयसिंह अग्रवाल विपक्ष में थे

25 जून को जिला खनिज संस्थान न्यास के शासी परिषद की बैठक में प्रदेश के दोनों ही कद्दावर नेताओं में तीखी नोकझोंक हुई थी. वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल राजस्व मंत्री हैं. जब प्रदेश में BJP की सरकार थी और जयसिंह अग्रवाल विपक्ष के विधायक हुआ करते थे, तब उन्होंने खनिज न्यास की भारी-भरकम राशि पर सवाल उठाए थे कई शिकायतें की थी. तत्कालीन कलेक्टर पी दयानंद से उनकी नोकझोंक ने प्रदेश भर में सुर्खियां बटोरी थी. इसके बाद कांग्रेस की सरकार आई, सरकार ने कामकाज संभालते ही कोरबा जिले के तत्कालीन आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त और नोडल अधिकारी रहे श्रीकांत दुबे को निलंबित किया था.

अब ननकीराम कंवर विपक्ष में हैं
अब जयसिंह अग्रवाल सत्ता में हैं, और ननकीराम कंवर विपक्ष के विधायक हैं. जिस तरह जयसिंह अग्रवाल विपक्ष में रहते डीएमएफ की राशि को लेकर सवाल उठाते थे. उसी तेवर में ननकीराम कंवर ने भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं. ननकीराम कंवर के मुताबिक डीएमएफ की राशि का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. फिर चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या निर्माण कार्य, पंचायत सचिव एकल हस्ताक्षर से नियम के विरुद्ध राशि निकाल रहे हैं. जिन मदों पर शासन पहले से ही राशि आवंटित कर रहा है उन पर भी मनमाने तरीके से खर्च किया जा रहा है.

DMF राशी के आंकड़ों पर एक नजर

वित्तीय वर्ष DMF राशि (करोड़ में )
2015-16 59.18 रुपये
2016-17 182.20रुपये
2017-18 454.23रुपये
2018-19 160.44रुपये
2019-20 354.55 रुपये

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जुबानी जंग हुई शुरू
DMF की बैठक में दोनों कद्दावर नेताओं के आमने-सामने आ जाने के बाद, ननकीराम कंवर ने राशि को लेकर सवाल खड़े किए थे. जिस पर पलटवार करते हुए मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि आरोप लगते रहते हैं, इस पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं करूंगा. वैसे भी सवाल करना विधायकों का काम है और यदि उनके आरोप में सत्यता होगी तो प्रशासन एक्शन भी लेगा. जो सवाल उन्होंने किए हैं उसका जवाब उन्हें विधानसभा में भी मिल जाएगा.

1210.60 करोड़ रुपए मिले
खनिज संस्थान अस्तित्व में आने के बाद 2015-16 से लेकर अब तक की स्थिति में जिले को विभिन्न विकास कार्यों के लिए 1210.60 करोड़ रुपए की राशि मिल चुकी है. इस भारी-भरकम राशि को जिले में ही जिले की आवश्यकता के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से खर्च किए जाने का नियम है.

काम का बंदरबांट
DMF की मोटी राशि का प्रपोजल जिले में ही तैयार होता है. कई कार्य जिला स्तर पर ही पास किए जाते हैं. पक्ष हो या विपक्ष सभी पार्टियों में ऐसे नेता हैं जो कि ठेकेदारी का काम करते हैं, जब जिसकी सरकार होती है उनके समर्थकों को मिलता है. ऐसे में ठेका कार्यों को लेकर खींचतान हमेशा बनी रहती है. अब देखना ये होगा की छत्तीसगढ़ के 2 कद्दावर नेताओं के बीच शुरू हुई जुबानी जंग कहां जाकर खत्म होगी.

Last Updated :Jul 11, 2020, 12:16 PM IST

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