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धमतरी: 10 साल की तुलना में 100 मिली मीटर ज्यादा बारिश, गंगरेल डैम में 19 टीएमसी पानी का भराव

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Published : Jul 16, 2020, 5:09 PM IST

धमतरी जिले में रुक-रुक हो रही बारिश से गंगरेल डैम में 19 टीएमसी पानी का भराव हो चुका है. जिससे खरीफ सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी है.

19 tmc waterfill in gangrel dam
गंगरेल डैम में 19 टीएमसी पानी का भराव

धमतरी: जिले के गंगरेल बांध के कैचमेंट एरिया में कुछ दिनों से रुक-रुक हो रही बारिश से बांध में पानी की आवक लगातार बनी हुई है.हालियासूरत में तकरीबन 32 टीएमसी क्षमता वाले गंगरेल बांध में 19 टीएमसी पानी का भराव हो चुका है.वही जिले में महानदी परियोजना के सभी जलाशयों में खरीफ सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी है.ऐसे में अब जल संसाधन विभाग सहित जिला प्रशासन बेफ्रिक नजर आ रहा है.

गंगरेल डैम में 19 टीएमसी पानी का भराव

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10 साल की तुलना में ज्यादा हुई बारिश
बताया जा रहा है कि जिले में बीते 10 साल की तुलना में इस साल सौ मिली मीटर अधिक वर्षा हो चुकी है.महानदी परियोजना के अंतर्गत जिले के सभी जलाशयों में 785 मिलियन घन मीटर उपयोगी जल के मद्देनजर खरीफ सिंचाई के लिए एक लाख चार हजार 951 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी दिया जा सकता है. इसके अलावा जिले में 87 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सहित बालोद जिले के 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में भी सिंचाई हो सकती है.

गंगरेल डैम में 19 टीएमसी पानी का भराव

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खरीफ सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी
बता दें कि महानदी परियोजना के तहत जिले के सभी जलाशयों की कुल जल भराव क्षमता 1562.59 मिलियन घन मीटर है जिसमें उपयोगी जल भराव क्षमता 1393.12 मिलियन घन मीटर है. लेकिन मौजूदा वक्त में 785 मिलियन घन मीटर उपयोगी जल उपलब्ध है. वही विभिन्न प्रयोजनों के लिए 415 मिलियन घन मीटर प्रस्तावित आरक्षित जल की मात्रा है. इसमें भिलाई स्टील प्लांट के लिए 68 मिलियन घन मीटर, भिलाई पाॅवर प्लांट के लिए 17 मिलियन घन मीटर, भिलाई नगर निगम के लिए 23 मिलियन घन मीटर के अलावा निस्तारी के 85 मिलियन घन मीटर, रायपुर नगर निगम में पेयजल के लिए 105 मिलियन घन मीटर, धमतरी नगर निगम में सात मिलियन घन मीटर, वाष्पण एवं क्षरण के लिए न्यूनतम 56 मिलियन घनमीटर आरक्षित है. बाकी जल का उपयोग खरीफ सिंचाई के लिए किया जाता है.

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बहरहाल गंगरेल बांध से किसानों को सिंचाई सुविधा के साथ साथ रायपुर, दुर्ग की प्यास बुझाने और भिलाई स्टील प्लांट को पानी मुहैया कराया जाता है. इसके साथ ही आसपास के आधा दर्जन जिलों में भी बांध से सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है.

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