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दंतेवाड़ा में सीएम बघेल ने लिया चापड़ा चटनी का स्वाद

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Published : May 23, 2022, 10:07 PM IST

दंतेवाड़ा में सीएम भूपेश बघेल ने बस्तर का जायका चापड़ा चटनी का स्वाद लिया. सीएम बघेल ने बारसूर में चापड़ा चटनी खाई. बस्तर की चापड़ा चटनी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं

CM Bhupesh Baghel tasted Bastar Chapda chutney
सीएम बघेल ने लिया चापड़ा चटनी का स्वाद

दंतेवाड़ा: सीएम भूपेश बघेल दंतेवाड़ा के दौरे पर हैं. इस दौरान सीएम भूपेश बघेल दंतेवाड़ा के बारसूर पहुंचे. उन्होंने दंतेवाड़ा में रामलाल नेगी के घर भोजन खाया. इस मौके पर सीएम बघेल बस्तर के हाट बाजार में बिकने वाली चापड़ा चटनी का स्वाद लिया. बस्तर के लोगों के लिए चापड़ा चटनी एक खास व्यंजन है. इसे यहां के निवासी बड़े ही चाव से खाते हैं.

बहुत स्वादिष्ट होती है चापड़ा चटनी: चापड़ा चटनी बहुत स्वादिष्ट होती है और इसमें औषधिय गुण भी होते हैं. चापड़ा चटनी आम के पेड़ के पत्तों में रहने वाली चीटियों से बनाई जाती है. बस्तर में आने वाले पर्यटकों का एक आकर्षण चापड़ा चटनी भी होता है. इसके साथ ही सीएम भूपेश बघेल ने छिंदाड़ी भी चखी. यह छिंद की एक विशेष किस्म की चटनी होती है. पूरे बारसूर क्षेत्र में छिंद के पेड़ बहुत पाए जाते हैं. जिसकी चटनी काफी प्रचलित है.

सीएम ने खाई तिखूर बर्फी: इसके साथ ही मीठे में सीएम बघेल को तिखूर की बर्फी परोसी गई. इड़हर की सब्जी को इस क्षेत्र में सैगोड़ा कहा जाता है, यह कोचई के पत्ते से बनाई जाती है.इसका स्वाद भी सीएम भूपेश बघेल ने लिया. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि बस्तर में यहां का अलग-अलग तरह का पारम्परिक खाना खा रहा हूं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि आपके खान-पान में इतनी विविधता है मुख्यमंत्री ने भोजन ग्रहण के पश्चात रामलाल नेगी के परिजनों को धन्यवाद कहा.

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चापड़ा चटनी कैसे बनाई जाती है: चापड़ा यानि चीटियों को पेड़ से इकट्ठा किया जाता है. जिसमें चिटियों के अंडे भी होते हैं उनको मिलाकर यह चटनी बनाई जाती है. बांस, आम और साल के पेड़ से इन चीटियों के चापड़ा को इक्टठा किया जाता है. चीटियों के अंडे में में प्रचुरमात्रा में फार्मिक एसिड होता है जो इसके स्वाद को खट्टा, तीखा बनाता है. फिर इसमें धनिया, अदरक और लहसुन को मिलाकर पीसा जाता है. फिर चटनी में गुड़ या शक्कर मिलाकर इसे तैयार किया जाता है. चीटियां बांस के पेड़, आम के पेड़ और साल के पेड़ पर अपना घर बनाती हैं. इसे ही चापड़ा गुड़ा कहते हैं

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