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कोरोना का दर्द: हैदराबाद कार्यक्रम में शामिल होना बन गया अभिशाप....एक पति को खोने की दास्तां

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Published : Jan 18, 2022, 3:34 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 3:54 PM IST

छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. ईटीवी भारत आपको उन लोगों के बारे में बता रहा है, जिनके परिवारों ने पहली या दूसरी लहर में अपनों को खोया. मकसद एक है, जागरूक रहें. कोरोना गाइडलाइन का पालन (follow corona guideline) करें. कोरोना से बचे रहें. बीजापुर भैरमगढ़ से उस परिवार की कहानी, जिसने दूसरी लहर में पति को खोया...(wife lost husband in corona second wave)

pain of death from corona
कोरोना से मौत का दर्द

बीजापुरः दक्षिण पश्चिम बस्तर के बीजापुर जिले के अंतर्गत आने वाले भैरमगढ़ में स्वर्ण लता अपने पति रंगा राव और दो बच्चों के साथ खुशी-खुशी रह रही थीं. कोरोना संक्रमण में भी परिवार के सभी सदस्य काफी सतर्कता बरत रहे थे. लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर ने मानो परिवार की खुशियां ही छीन ली. संक्रमण ने रंगा राव को समय से बहुत पहले निगल लिया और पूरा परिवार बिखर कर रह गया.

कोरोना से मौत का दर्द

स्वर्ण लता के पति को कोरोना कैसे हुआ

रंगा राव की पत्नी स्वर्ण लता बिलखते हुए बताती हैं कि "सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था. हम सभी अपनी सेहत का ध्यान रख रहे थे. सभी कोरोना को लेकर जागरूक थे. पारिवारिक कार्यक्रम में हम सब 3 अप्रैल 2021 को हैदराबाद गए थे और 6 अप्रैल को वापस भैरमगढ़ आए. आते ही कुछ समय बाद एकाएक रंगा राव को शाम से खांसी व बुखार आने लगा. भैरमगढ़ के डॉक्टर से बात करके खांसी-बुखार एवं सर्दी की दवा ली. उन्हें नियमित दवा दिया जाने लगा लेकिन पति के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. सांस लेने में तकलीफें होने लगीं."

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अस्पताल में भर्ती करने की कहानी

स्वर्ण लता ने बताया, " पति की खांसी बढ़ती जा रही थी. पति की तकलीफ बढ़ने लगी तो मैंने अस्पताल में संपर्क किया. भैरमगढ़ अस्पताल से एंबुलेंस आई और पति को बीजापुर ले जाकर स्वास्थ्य टीम ने पति का सैंपल जांच के लिए लिया. वह कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव निकले. उन्हें बीजापुर के कोविड अस्पताल में भर्ती किया गया. कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 7 अप्रैल से रंगा की खांसी थमने का नाम नहीं ले रही थी. जब मैंने पता किया तो डॉक्टरों ने कहा कि जहां पति भर्ती किए गए हैं, वहां सभी कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं. मैं हर समय उनका हालचाल लेने लगी, लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ.

मौत की कहानी

पति की हालत नहीं सुधरने से स्वर्ण लता और बच्चों की आंखों से नींद ही गायब हो चुकी थी. वह हर उस प्रयास में लगे रहे, जिसमें उनके पति का बेहतर इलाज हो सके और वह वापस सामान्य जीवन जिएं. स्वर्ण लता ने हैदराबाद में पेशे से फर्मासिस्ट अपने भाई को आपबीती सुनाई. भाई ने बेहतर इलाज के लिए पति को हैदराबाद भेजने के लिए कहा. इसके लिए उनके भाई ने एक एंबुलेंस की और भैरमगढ़ भेजा ताकि रंगा राव को हैदराबाद लाकर अस्पताल में भर्ती कराया जा सके. लेकिन परिवार के लिए वह 15 अप्रैल का दिन मनहूस निकल गया. एंबुलेंस अभी बीच रास्ते में ही थी और स्वर्ण लता के पति ने दम तोड़ दिया.

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पति की मौत के बाद कैसे बदली जिंदगी

रंगा राव बीजापुर के स्वाग फोटो स्टूडियो में एक वर्कर के रूप में काम करते थे. लगन और कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने भैरमगढ़ में स्वयं का फोटो स्टूडियो खोला. आंखों में आंसू लिए स्वर्ण लता बताती हैं कि वह पति के साथ उनके कामों में हाथ बंटाती थीं. सो उन्होंने फोटोग्राफी का कुछ काम सीख लिया था. खुद के साथ ही बच्चों के पेट की भूख मिटाना उनकी जिम्मेवारी बन गई है. वह एक महिला सहयोगी के माध्यम से खुद ही स्टूडियो का संचालन कर रही हैं. वह किसी तरह अपना जीवन-यापन कर रही हैं.

Last Updated :Jan 18, 2022, 3:54 PM IST

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