कोरोना का दर्द: '7 दिन तक मां कोरोना से लड़ी, फिर लाइन में लगकर लेना पड़ा शव, कफन की रस्म भी ठीक तरह से नहीं कर पाए पूरी'

author img

By

Published : Jan 15, 2022, 7:24 PM IST

Updated : Jan 15, 2022, 8:34 PM IST

sad story in covid period

छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. ETV भारत आपको उन लोगों के बारे में बता रहा है, जिनके परिवारों ने पहली या दूसरी लहर में अपनों को खोया. मकसद एक है, जागरूक रहें. कोरोना गाइडलाइन का पालन (follow corona guideline)करें. कोरोना से बचे रहें. कोरबा के पुरानी बस्ती में रहने वाले परवेज की कहानी, जिसने दूसरी लहर में अपनी मां को खोया. (son lost mother covid second wave korba )

कोरबा: देश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तबाही के बाद एक बार फिर कोरोना की तीसरी लहर (Third wave of corona) आ चुकी हैं. हालांकि पहली और दूसरी लहर जितना इस बार की लहर भयावह तो नहीं. लेकिन इस संक्रमण का फैलाव अधिक है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं. कोरोना महामारी ने कईयों को अपनों से अलग कर दिया. ETV भारत आपको कोरबा के पुरानी बस्ती के परवेज रशिद परिवार की दर्दनाक कहानी से रूबरू करवाने जा रहा है.

परवेज ने कोरोना की दूसरी लहर में अपनी मां को खोया. पिता की मृत्यु 10 साल पहले ही हो चुकी थी. मां के बाद अब उनके परिवार से बुजुर्गों का साया पूरी तरह से उठ चुका है. फिलहाल परिवार में पत्नी और 3 बच्चे हैं, जिन्हें बड़ों की कमी महसूस होती है. परवेज मां की मौत के एक साल बाद आज भी उस गम को भुला नहीं सके हैं. जब कोरोना संक्रमण की वजह से मां की मौत हुई. परवेज का पूरा परिवार बिखर गया था. प्रोटोकॉल की कड़े नियमों के कारण वह मां के कफन-दफन की रस्म भी ठीक तरह से पूरी नहीं कर पाए थे. मां को ठीक तरह से विदा न करने का मलाल ऐसा है जो अब जीवनभर रहेगा.

कोरबा में कोरोना की दूसरी लहर

इस तरह हुआ संक्रमण

परवेज पुराने शहर की पुरानी बस्ती के आदिले चौक के रहवासी हैं. परिवार में उनकी पत्नी एक बेटी और दो बेटे हैं. दूसरी लहर के दौरान सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. बढ़ते संक्रमण की दर से परिवार को चिंता थी, चूंकि परवेज की मां बिलकिस बानो की उम्र 62 वर्ष थी और वह बीपी और शुगर की पेशेंट थी. इसलिए परवेज उनके वैक्सीनेशन को लेकर कुछ परेशान थे. 21 अप्रैल को परवेज ने मां का वैक्सीनेशन कराया. तब तक परवेज की मां पूरी तरह से स्वस्थ थीं. वैक्सीनेशन सेंटर में देर होने के कारण नर्स से उनकी मीठी बहस भी हुई. परवेज कहते हैं कि मां ने नर्स से कहा कि मुझे जल्दी से टीका लगा दो. वैक्सीनेशन के ठीक बाद 22 तारीख से ही उन्हें तकलीफ शुरू हो गई. टेस्ट कराया तो वह कोरोना संक्रमित मिली. 22 और 23 अप्रैल के दरम्यानी रात उन्हें जिले के ईएसआईसी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. भर्ती करते वक्त ऑक्सीजन लेवल 90 और 92 के आसपास था, लेकिन जब तबीयत बिगड़ी तब यह गिरकर 80 तक पहुंच गया. परवे आज भी यह नहीं समझ पाए कि वैक्सीनेशन के बाद मां संक्रमित कैसे हुई? दूसरे ही दिन उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया. संक्रमित होने के बाद परवेज की मां बिलकिस बानो 7 दिन तक कोरोना से लड़ाई लड़ती रहीं. आखिरकार उनकी मौत हो गई.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ में बढ़ा कोरोना से मौत का आंकड़ा, गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज कोरोना के बाद तोड़ रहे दम

कफन-दफन की रस्म भी नहीं हो पाई पूरी

कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों के साथ रहने की अनुमति परिजनों को नहीं दी जाती थी. नर्स और अस्पताल प्रबंधन ही मरीजों की देखभाल करते हैं. फिर चाहे स्थिति कितनी ही गंभीर क्यों ना हो जाए.कोरोना से लड़ते हुए उनकी मां को अस्पताल में 7 दिन हो चुके थे. एक दिन परवेज को फोन आया कि उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं. दोपहर का समय था. वह घर पर बैठे थे.जैसे ही खबर मिली पैरों तले जमीन खिसक गई, तुरंत अस्पताल पहुंचे. लेकिन परवेज देखते हैं कि यहां तो लाइन लगी हुई है. अस्पताल में शव लेने के लिए भी लाइन लगी हुई थी, दिल दहला देने वाली परिस्थितियों में परवेज ने कतार में खड़े होकर मां का शव लिया. जिसे अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें पॉलीथिन में पैक करके दिया था. कोरोना प्रोटोकॉल के कारण कफन-दफन की भी अनुमति नहीं थी, जबकि आमतौर पर मुस्लिम समाज में जनाजा निकाला जाता है और कई तरह की रस्में पूरी की जाती हैं. लेकिन उन्हें इसका मौका भी नहीं मिला.पांच से छह लोग कब्रिस्तान गए और मां को दफन कर दिया. मां को ठीक तरह से विदा भी नहीं कर पाया, इसका दर्द आज भी है.

लोगों को देख होती है हैरानी

कोरोना का वह मंजर कितना भयावहा था. यह परवेज राशिद की कहानी से पता चलता है. परवेज कहते हैं कि 'वर्तमान में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. लेकिन मैं हैरान हूं कि लोग अब भी सिनेमा देखने जा रहे हैं, लापरवाही बरत रहे हैं और लोगों के चेहरों से मास्क तक गायब है. जिनके घरों में मौत हुई है, कोई बड़ा बुज़ुर्ग चला गया, जो कि अब कभी लौटकर नहीं आएगा. वही यह समझते हैं कि कोरोना का वह मंजर कितना खतरनाक था'.

Last Updated :Jan 15, 2022, 8:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.