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Navratri 2022: आखिर नवरात्रि 9 दिनों की क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं

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Published : Sep 23, 2022, 3:59 PM IST

Navratri 2022 ऐसी मान्यता है कि इन 9 दिनों में माता दुर्गा पृथ्वी लोक पर अपने भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने के लिए अवतरित होती हैं. 9 दिनों में देवी की साधना, उपासना, आस्था और विश्वास के साथ करने पर नवदुर्गा अपने भक्तों को ढेर सारा आशीर्वाद प्रदान करती है.

Navratri 2022
नवरात्रि 2022

रायपुर: सनातन परंपरा में आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रथम 9 दिवस नवरात्रि पर्व (Shardiya Navratri) के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. यह त्यौहार अनंत उत्साह, उमंग, ऊर्जा, प्रकाश और आलोक का त्यौहार है. इन 9 दिनों में देवी की भक्ति, साधना, उपासना, व्रत, अनुष्ठान और मंत्र साधना किए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इन 9 दिनों में माता दुर्गा पृथ्वी लोक पर अपने भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने के लिए अवतरित होती हैं. 9 दिनों में देवी की साधना, उपासना, आस्था और विश्वास के साथ करने पर नवदुर्गा अपने भक्तों को ढेर सारा आशीर्वाद प्रदान करती है. इसलिए सनातन काल से ही नवरात्र 9 दिनों का मनाया जाता है. Navratri 2022

नवरात्रि 9 दिनों की क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं
महिषासुर राक्षस और देवी मां का युद्ध चला था 9 दिनों तक:ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस और देवी मां का युद्ध 9 दिनों तक चला था. नवमी के दिन माता कात्यायनी ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था. तब से ही यह पर्व 9 दिनों का मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की संख्या भी 9 बताई गई है. मुख्य रूप से नवग्रह होते हैं. नवग्रहों की शांति, पूजा, अर्चना और अनुष्ठान कराए जाते हैं. अंक शास्त्र के अनुसार 9 का अंक सर्वोत्तम और मंगलकारी माना गया है. 9 का अंक अपने आप में मंगल का प्रतीक है."

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जीवन में सुमंगल की कामना से 9 दिनों की मनाई जाती है नवरात्रि:9 का अंक साहस, शौर्य, समृद्धि, ऐश्वर्य, बल और रक्त को संवर्धन करने वाला माना गया है. मंगल ग्रह लाल वर्ण का माना जाता है. यह रुधिर का भी प्रतीक है. माता कात्यायनी ने आदताई राक्षस महिषासुर का वध करके स्वर्ग की रक्षा की. इसलिए भी जीवन में सुमंगल की कामना से 9 दिनों का ही नवरात्रि पर्व मनाया जाता है.

ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने शस्त्र देवी मां को दिए:इस साल माता देवी दुर्गा हाथी की सवारी पर आ रही है. हाथी शुभता, सौभाग्य, साहस, वीरता का प्रतीक माना गया है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि माता दुर्गा को भगवान शिव ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र और भगवान ब्रह्मा ने कमल प्रदान किया है. यह श्री शक्ति के रूप में जानी जाती है. श्री शक्ति का त्रिगुण नाम होता है, जो कि अपने आप में वेदांत शुभांक और सर्वोच्च स्तर पर शुभता का प्रतीक है. अतः यह पर्व अश्विन शुक्ला मास में घट स्थापन के साथ ही 9 दिनों का मनाया जाता है. इन 9 दिनों में घट स्थापन करने से 9 दिनों के उपरांत घड़े में शुभ जवारा उत्पन्न हो जाता है. वह सभी गुणों से युक्त होकर स्वास्थ्य की रक्षा करता है. इन 9 दिनों में फूलों पर आकर माता दुर्गा सभी भक्तों की कामनाओं, इच्छाएं और अभिलाषाओं को पूर्णता प्रदान करती है.

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