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''मैंने आदमखोर बाघ को पहले देखा.. फिर किया अलर्ट.. 4 गोली में चित''

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Published : Oct 8, 2022, 5:29 PM IST

Updated : Oct 8, 2022, 5:41 PM IST

बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ को गन्ने के खेत में ढेर (tiger killed in Bagaha) कर दिया गया. ऑपरेशन बाघ फेल हो जाता अगर वनकर्मी धर्मेंद्र ने अपनी सूझबूछ नहीं दिखाई होती. यही ऐसा वनकर्मी है जिसकी वजह से इस इलाके में बाघ की दहशत खत्म हो पाई है. कैसे खूंखार टाइगर तक वन विभाग की टीम पहुंची और उसका शूटआउट किया, सिलसिलेवार पढ़िए..

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बगहा: बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ का अंत (tiger killed in Bagaha ) हो चुका है. 400 से ज्यादा वनकर्मियों को पूरे एक महीने तक छका डालने वाला बाघ इतनी आसानी से नहीं मारा गया. इसके लिए वन विभाग ने अपने तेज तर्रार कर्मियों को गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव में हर पेड़ पर तैनात कर रखा था. इन्हीं में से एक है मदनपुर वनक्षेत्र का कर्मी धर्मेंद्र. ये धर्मेंद्र ही हैं जो लगातार पेड़ पर बैठकर बाघ की रेकी कर रहे थे. जैसे ही बाघ लोगों को अपना शिकार बनाकर खेत की ओर लौटा धर्मेंद्र की तेज नजरों से नहीं बच पाया. धर्मेंद्र की ही सटीक जानकारी की वजह से बाघ की दहशत इलाके से खत्म हो पाई है. ऑपरेशन टाइगर को सफल बनाने के लिए वन विभाग की टीम बाघ के फुट मार्क का पीछा करते हुए बलुआ गांव के खेत में पहुंची. गन्ने के खेत में बाघ छिपा है इसकी जानकारी वनकर्मी धर्मेंद्र ने दी. धर्मेंद्र ने ही आदमखोर बाघ को खेत के अंदर जिंदा देखा और उसे मरा हुआ भी देखा.

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एक था टाइगर: जैसे ही बाघ के शूट आउट का ऑर्डर (Tiger shoot out in Bagaha) मिला तुरंत ही वन विभाग की टीम एक्शन में आ गई थी. गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव के खेत में बाघ को टीम ने घेर लिया. पहले उस खूंखार बाघ को काबू में करने की कोशिश की गई. लेकिन जब नरभक्षी टाइगर रेस्क्यू टीम पर भारी पड़ने लगा तो उसे मजबूरन गोली मारनी पड़ी. वनकर्मी धर्मेंद्र की बताई जगह को शूटर्स ने घेर लिया. ट्रैक्टर पर सवार होकर शूटर धीरे-धीरे बाघ की ओर बढ़ने लगे. बाघ अपनी ओर बढ़ते शोर से आक्रामक हो गया. उसने शूटर्स पर अटैक करने की कोशिश की लेकिन इसी बीच गोली चली जो उसके पैर पर लगी. बाघ लड़खड़ाने लगा. लेकिन इस हालात में वो और खतरनाक हो गया. वनकर्मियों पर झपटता तब तक तीन और गोलियां उसके शरीर में घुस चुकीं थीं और बाघ वहीं गन्ने के खेत में ढेर हो गया. बता दें कि पिछले एक महीने से इस बाघ को पकड़ने के लिए टीम जद्दोजहद कर रही थी. इस दौरान इस आदमखोर बाघ के मुंह में इंसानों का खून पीने की लत लग चुकी थी. आसान शिकार होने की वजह से अब तक इसने 9 लोगों को अपना निवाला बनाया था.

धर्मेंद्र की सटीक जानकारी से सफल हुआ ऑपरेशन टाइगर: रेस्क्यू टीम का हिस्सा रहे धर्मेंद्र बताते हैं कि वो कई घंटे से पेड़ के ऊपर बैठकर बाघ की रेकी कर रहे थे. बाघ गन्ने के खेत में दिखा. इसकी सूचना उन्होंने अपने डिपार्टमेंट के अफसरों को दी. जानकारी मिलते ही रेस्क्यू टीम ने खेत को चारों ओर से घेर लिया. उसे पकड़ने के लिए जाल भी लाया गया था. गोली मारने के आदेश के बाद शूटर भी मौके पर मौजूद थे. जैसे ही ये पुख्ता हुआ कि बाघ इस जगह छिपकर बैठा है तो शूटर एक्शन में आ गए. ट्रैक्टर पर सवार होकर शूटर बाघ के नजदीक पहुंचे. उनपर भी बाघ ने झपटने की कोशिश की लेकिन शूटर की चार गोलियों से बाघ वहीं ढेर (Bagaha Man Eater tiger) हो गया.

''मैं पेड़ के ऊपर बैठकर बाघ पर नजर रख रहा था. जैसे ही मुझे बाघ दिखा मैने टीम को सूचना दी. वो जगह भी बताई जहां बाघ आक्रमक स्थिति में छिपा बैठा था. हाथी का दल और ट्रैक्टर पर सवार होकर शूटर की टीम बताई गई जगह पर पहुंची और बाघ मारा गया''-धर्मेंद्र, आदमखोर बाघ को जिंदा और मरा हुआ देखने वाला वनकर्मी

Last Updated :Oct 8, 2022, 5:41 PM IST

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