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JDU में शरद यादव की हो सकती है वापसी, उपेंद्र कुशवाहा ने की मुलाकात

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Published : Sep 20, 2021, 9:47 PM IST

उपेन्द्र कुशवाहा ने शरद यादव से की मुलाकात

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव फिर से जदयू में वापसी कर सकते हैं. नई दिल्ली में उपेन्द्र कुशवाहा और शरद यादव के बीच मुलाकात हुई है. पढ़ें पूरी खबर....

नई दिल्ली/पटनाःजदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव (Sharad Yadav) से मुलाकात की है. उन्होंने शरद यादव का हाल चाल जाना है. बिहार की मौजूदा सियासी हालात पर भी चर्चा हुई है. दोनों नेताओं की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है.

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खबर है कि शरद यादव की फिर से जदयू में वापसी हो सकती है. माना जा रहा है कि उसी मुद्दे पर भी चर्चा हुई है. जदयू में फिर से आना है या नहीं, इस पर विचार करने के लिए शरद ने उपेन्द्र कुशवाहा से कुछ दिनों का समय मांगा है. दरअसल, शरद यादव पिछले एक साल से बीमार चल रहे हैं. धीरे धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. अब वे सक्रिय राजनीति में लौटने की तैयारी में है.

बता दें कि जदयू से अलग होने के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी बनायी थी, लेकिन चुनावों में पार्टी को सफलता नहीं मिली. वह खुद 2019 का लोकसभा चुनाव राजद से लड़े थे लेकिन हार गए. आगे की सियासत करने के लिए शरद को खुद एक मजबूत ठिकाने की भी जरूरत है. ऐसे में जदयू उनके लिए बढ़िया विकल्प हो सकता है.

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पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी. जदयू को 43 सीटें ही मिल पाई थी. उसके बाद से नीतीश लगातार पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं. जो लोग पार्टी छोड़ के जा चुके थे, उनकी पार्टी में वापसी हो रही है.

उपेंद्र कुशवाहा ने इसी क्रम में शरद यादव से मुलाकात की है ताकि उनकी जदयू में वापसी हो पाए. शरद यादव का लंबा राजनैतिक अनुभव रहा है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, कई बार सांसद भी रह चुके हैं. यादव जाति में उनकी पकड़ रही है. अगर जदयू में उनकी वापसी होती है तो पार्टी को फायदा होगा.

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2017 में जब महागठबंधन छोड़कर नीतीश कुमार NDA में आए व बिहार में सरकार बनायी थी तो शरद यादव इससे नाराज थे और उन्होंने बगावत कर दी थी. जिसके बाद उनको पार्टी से बाहर कर दिया गया था. राज्यसभा की सदस्यता भी तब समाप्त हो गई थी.

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