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'पहले पंचायतों में शराब की दुकानें खोलकर लोगों को नशे की लत डाली गई, अब किया जा रहा परेशान'

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Published : Nov 25, 2021, 2:09 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 2:41 PM IST

Bihar Liquor Ban

बिहार में शराबबंदी (Bihar Liquor Ban) पूरी तरह से फेल है. सरकार पर निशाना साधते हुए आरेजडी विधायक आलोक मेहता ने कहा कि इस कानून से गरीबों को परेशान किया जा रहा है. एनडीए के जो नेता शराबबंदी कानून का विरोध कर रहे हैं, उनको तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

पटना: बिहार मेंशराबबंदी(Liquor Ban in Bihar) को लेकर सियासत चरम पर है. विपक्ष के साथ ही बीजेपी भी इस मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रही है. आरजेडी के प्रधान महासचिव सह विधायक आलोक मेहता (RJD MLA Alok Mehta) ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंद कमरे में समीक्षा करने से कुछ नहीं होगा.

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आलोक मेहता ने शराबबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एनडीए में से किसी को शराबबंदी कानून पर एतराज है तो फौरन संज्ञान लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए. शराबबंदी पूरी तरह से फेल है.

शराबबंदी पर RJD का सरकार पर हमला

"शराबबंदी कानून का हम लोग अभी भी समर्थन कर रहे हैं, लेकिन जिस सरकार ने पंचायतों में शराब की दुकान खोलकर लोगों को शराब की लत लगाई गई फिर शराबबंदी कानून बनाया गया, उससे गरीबों को ही परेशानी हो रही है. एनडीए के अगर किसी नेता को शराबबंदी कानून से दिक्कत है तो प्रोटेस्ट करे और तुरंत इस्तीफ दे."- आलोक मेहता, राजद विधायक सह प्रधान महासचिव

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आलोक मेहता ने साफ-साफ कहा कि शराबबंदी को लेकर जो बात सभी जगहों से आ रही है, निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री को इस कानून की समीक्षा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के बाद सिर्फ और सिर्फ गरीबों को दिक्कत हो रही है. बड़े पैमाने पर बिहार में शराब लाया जा रहा है. लेकिन शराब तस्कर पकड़े नहीं जा रहे हैं. जो लोग शराब पी रहे हैं सिर्फ उन्हें पकड़ा जा रहा है.

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दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Ban Law) को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. सभी दल अपने-अपने तरह से शराबबंदी कानून को लेकर बयान दे रहे हैं. वहीं बीजेपी विधायक ने ही सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने साफ-साफ शब्दों में कहा था कि शराबबंदी कानून की वापसी होनी चाहिए.

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बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

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Last Updated :Nov 25, 2021, 2:41 PM IST

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