पटना: जेडीयू ने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया. उनके बदले अपने झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है. जेडीयू नेतृत्व के इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गये हैं. इसी बीच जेडीयू की ओर कहा गया कि आरसीपी सिंह पार्टी के पुराने नेता हैं. वे पार्टी के संगठन की मजबूती के लिए काम करेंगे. हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आरसीपी सिंह भविष्य में क्या रणनीति अपनाते हैं लेकिन उन्होंने पार्टी के संगठन को लेकर अपनी मंशी साफ कर दी है.
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प्रदेश अध्यक्ष के कार्यों से नाराज: उन्होंने प्रदेश में 33 प्रकोष्ठों की जगह 12-13 प्रकोष्ठ बनाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को संगठन की मजबूती के लिए पहले के प्रकोष्ठों को फिर बहाल करने व बड़े प्रकोष्ठों में उत्तर बिहार व दक्षिण बिहार अलग करने की बात कही. आरसीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने जदयू को बूथ स्तर तक पहुंचाया और राज्य के सामाजिक ताना-बाना को देखते हुए पार्टी के 33 प्रकोष्ठ बनाए. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष पर उन्होंने इस बात के लिए नाराजगी जताई कि 33 प्रकोष्ठ को 12-13 पर लाकर सीमित कर दिया गया.
पार्टी में बने रहेंगे:उन्होंने कहा की प्रकोष्ठों को 33 से 53 करना चाहिए था न कि उन्हें कम करके 12-13 पर लाना था. आरसीपी सिंह ने ऐलान किया कि वह शुरू से ही पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. अब एक बार फिर से पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करेंगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी वह पार्टी में हैं, आगे भी पार्टी में बने रहेंगे. हमने जितने निर्णय लिए, उसके पीछे संगठन ही है. सारे निर्णय नीतीश कुमार की सहमति से ही लिए हैं. हमको अब संगठन में काम करना है. संगठन कैसे मजबूत हो, इस पर फोकस करना है.
मंत्री बनाना बीजेपी का बड़प्पन: इसके साथ ही आरसीपी सिंह ने भारतीय जनता पार्टी को गठबंधन का मजबूत सहयोगी बताते हुए कहा कि 303 एमपी होने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनने का मौका दिया. यह बीजेपी का बड़प्पन है. मंत्री बने रहने के सवाल पर आरसीपी सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. नीतीश कुमार की इच्छा से केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं. पार्टी और प्रधानमंत्री का जो आदेश होगा, उसका तत्काल पालन करेंगे. अपने बयान में आरसीपी सिंह ने कहा कि अब वह संगठन के लिए काम करेंगे. वर्ष 2010 से वे लगातार संगठन को मजबूत करने में लगे थे. बीच के कुछ दिनों के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया. एक बार फिर उनके पास संगठन को ताकतवर बनाने का मौका है.
'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनका 25 वर्षों का संबंध है. नीतीश कुमार के सहयोग से वे 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य रहे. राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और केंद्रीय मंत्री बने. इसलिए टिकट नहीं मिलने से नीतीश कुमार के प्रति कोई नाराजगी नहीं है. ललन सिंह से उनका कोई मतभेद नहीं है. ललन सिंह लोकसभा के सदस्य हैं और वे खुद राज्यसभा के. इसलिए दोनों के बीच कोई झगड़ा नहीं है.'-आरसीपी सिंह, केंद्रीय मंत्री.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दावे को किया खारिज: इस बीच, केंद्र सरकार में जदयू के समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दावे को आरसीपी सिंह ने खारिज कर दिया. इस मसले पर वे भाजपा के पाले में खड़े दिखे. उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में बीजेपी को 181 सीटें मिली जो 2019 के चुनाव में बढ़कर 303 हो गईं. ऐसे में बीजेपी ने जदयू को मंत्रिमंडल में स्थान दिया, यह उनका का बड़प्पन है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मेरे बारे में अच्छा सोचते हैं. राज्यसभा चुनाव को लेकर उनका निर्णय भी अच्छा ही होगा. थोड़े भावुक अंदाज में आरसीपी सिंह ने बताया कि समाचार माध्यमों से पल-पल की जानकारी मिलने पर पार्टी के कार्यकर्ता लगातार उन्हें फोन करके टिकट मिलने के बारे में पूछ रहे थे और अपनी राय भी व्यक्त कर रहे थे. यह पार्टी के अंदर उनकी लोकप्रियता का पैमाना है. यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि आरसीपी कार्यकतार्ओं के दिल में बसते हैं.
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