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बिहार में मिट्टी जांच को लेकर सरकार क्या कर रही है? मंत्री के जवाब पर विपक्षी नेताओं ने उठाए सवाल

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Published : Feb 28, 2022, 5:56 PM IST

बिहार में मिट्टी जांच (soil test in Bihar) को लेकर सदन में सरकार से किए गए सवाल पर कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) फंसते दिखे. जो जवाब उन्होंने सदन में दिया, उस पर विपक्षी सदस्यों ने सवाल खड़ा किए हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार में मिट्टी जांच
बिहार में मिट्टी जांच

पटनाःबिहार विधानमंडल के बजट सत्र (Budget Session of Bihar legislature) के दौरान विधान परिषद में मृदा प्रबंधन के लिए मिट्टी जांच का मुद्दा उठा. सवाल का जवाब देते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Statement on soil test in Bihar Assembly) ने कहा कि सरकार मिट्टी जांच के लिए लैब खोलने वाले युवाओं को 5 लाख रुपये की राशि प्रदान कर रही है. इसकी मदद से वे प्रयोगशाला खोल सकेंगे.

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कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के इंटरमीडिएट पास, कैमिस्ट्री से ग्रेजुएट या एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर चुके युवाओं को यह राशि प्रयोगशाला खोलने में मदद करेगी. साथ ही प्रयोगशाला के कमरे का किराया भी सरकार वहन करेगी. उन्होंने कहा कि बिहार में मिट्टी जांच लैब खोलने के लिए सरकार काफी गंभीर है.

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दरअसल, भाजपा के विधानपरिषद सदस्य संजय पासवान ने सत्र के दौरान यह सवाल किया था कि मिट्टी जांच प्रयोगशाला के लिए सृजित पद पर सरकार किस तरह से कार्य कर रही है? जवाब में कृषि मंत्री ने आगे कहा कि प्रत्येक मिट्टी नमूने की जांच के लिए सरकार 60 रुपये प्रदान करेगी. मिट्टी की जांच से किसानों को यह पता चल सकेगा कि किस मिट्टी को कितनी मात्रा में पोषक तत्वों की कमी है.

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हालांकि, अमरेन्द्र प्रताप सिंह के द्वारा दिए गए सवाल के जवाब से विपक्षी सदस्य नाखुश दिखे. कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि सरकार किसानों के लिए एकदम गंभीर नहीं है. प्रदेश में मिट्टी जांच कहीं भी नहीं हो रही है. मंत्री के द्वारा दिया गया जवाब सदन को गुमराह करने वाला है.

वहीं, आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह ने कहा कि सरकार एक तरफ कहती है कि वो किसानों के लिए संकल्पित है. मिट्टी जांच के लिए कहीं व्यवस्था नहीं की गई है. बिहार में मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशालाओं की घोर कमी है‌. मिट्टी में 17 तरह के पोषक तत्व होते हैं लेकिन इनकी जांच केवल पूसा, सबौर और पटना में ही होती है. ऐसे में अगर इन जिलों के अलावा किसी दूसरे जिले के किसानों को जांच करवाना हो तो क्या वे भटकते फिरेंगे?

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