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अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर दांव पर लगी है दो सियासी परिवारों की प्रतिष्ठा, इतिहास रचने की है चुनौती - Lok sabha election 2024

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 12, 2024, 7:19 PM IST

यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. बसपा का गढ़ (LOK SABHA ELECTION 2024) मानी जाने वाली अम्बेडकर नगर की लोकसभा सीट सपा और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है.

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अम्बेडकर नगर : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जिले में सियासत की सरगर्मियां बढ़ गई हैं. कभी बसपा का गढ़ रही अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट आज सपा और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. जातीय समीकरणों के मकड़जाल में उलझी इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के सामने जहां इतिहास बचाने की चुनौती है. वहीं, सपा प्रत्याशी के सामने इतिहास बनाने की चुनौती है. इस सीट पर दो सियासी परिवारों का रसूख दांव पर लगा है.

2009 के चुनाव में फायर ब्रांड नेता को हराया था :अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट 2009 के आम चुनाव में पहली बार सामान्य सीट घोषित हुई. वैसे तो अम्बेडकर नगर सीट पर दलित, मुस्लिम और पिछड़े वोटों की बाहुल्यता है, लेकिन तीन चुनावों में कभी भी इस समाज के नेताओं को जीत नहीं मिली. 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी राकेश पांडे ने भाजपा के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार को हराया था. राकेश पांडे वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे के पिता हैं और वो सपा से विधायक हैं. 2014 के चुनाव में भाजपा के हरिओम पांडे ने सपा उम्मीदवार राम मूर्ति वर्मा को हराया था. 2019 के चुनाव में रितेश पांडे ने भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को शिकस्त दी थी.

जानिए कितने हैं मतदाता :2024 में रितेश पांडे बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए और चुनावी मैदान में हैं. सपा ने छह बार के विधायक और पिछड़ों के नेता के रूप में मशहूर लालजी वर्मा को प्रत्यशी बनाकर चुनावी खेल जातीय आंकड़ों पर ला दिया है. अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर तकरीबन 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता हैं. जातीय आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर तकरीबन 4 लाख दलित मतदाता, तीन लाख 70 हजार मुस्लिम, 1 लाख 78 हजार से अधिक कुर्मी, 1 लाख 70 हजार यादव, लगभग 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण, एक लाख के करीब ठाकुर मतदाता हैं. शेष अन्य जाति के मतदाता हैं. इस चुनाव में ठाकुर मतदाताओं की चुप्पी भाजपा के लिए मुसीबत बन गई है. अब तक इस सीट पर सिर्फ ब्राह्मण प्रत्याशी का ही कब्जा रहा है, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे के सामने जहां इतिहास बचाने की चुनौती है, वहीं, सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा के इतिहास बनाने की चुनौती है.

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