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दिव्यांगता को हराकर भरी सपनों की उड़ान, हिमाचल की बेटी ने 2 साल में जीते 12 गोल्ड मेडल

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 7, 2024, 4:55 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 12:45 PM IST

Women's Day 2024: कभी गिरोगे तो खुद उठ भी जाओगे, कभी लड़खड़ाओगे तो खुद ही संभल भी जाओगे, जब तुम थामोगे हौसलों का दामन तो, एक दिन शिखर पर तुम भी चढ़ जाओगे. ये पंक्तियां दिव्यांग खिलाड़ी ज्योति ठाकुर पर सटीक बैठती हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Women's Day 2024
Women's Day 2024

कुल्लू: मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. यह कहावत उनके लिए सटीक बैठती है. जो विषम परिस्थितियों में भी अपने आप को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाते हैं और उनकी प्रतिभा को हर कोई सलाम करता है. कुछ दिव्यांग समाज में ऐसे भी हैं जो अपने आप को लाचार मानते हैं तो कुछ दिव्यांग ऐसे हैं जो अपनी दिव्यांगता को ही ताकत बनाते हैं और उसके दम पर भी अपने आप को मजबूत बनाते हैं.

ज्योति ठाकुर.

राष्ट्रीय पैरा एथलीट में मेडल लेकर मनवाया लोहा

ऐसी ही एक दिव्यांग खिलाड़ी ज्योति ठाकुर ने भी इस बात को आज सच कर दिखाया है और उसने दिव्यांगता को अभिशाप ना मानकर इसे अपने लिए प्रेरणा बनाया और आज राष्ट्रीय पैरा एथलीट में कई मेडल लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा पूरे देश में मनाया है. हालांकि ज्योति ठाकुर को पहले तो अपने जीवन में कई विफलताओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी विशेष परिस्थितियों को ढाल बनाकर उसके बाद हर मुश्किल से ज्योति ठाकुर ने लड़ना सीखा और आज वह देश की सफल पैरा एथलीट भी है.

ज्योति ठाकुर.

सीपीएस सुंदर ठाकुर ने प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

ज्योति ठाकुर जनवरी 2024 में गोवा में आयोजित राष्ट्रीय पैरा एथलीट के प्रतियोगिता में एक गोल्ड और एक कांस्य पदक लेकर सबकी नजरों में आई और 26 जनवरी को ढालपुर मैदान में गणतंत्र दिवस के समारोह में ज्योति ठाकुर को सीपीएस सुंदर ठाकुर के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर भी सम्मानित किया गया. ज्योति ठाकुर उप मंडल बंजार की ग्राम पंचायत बलागाड के जलाफड़ गांव के रहने वाली है.

2 साल में 12 गोल्ड मेडल जीते

साल 2003 के 25 दिसंबर को ज्योति ठाकुर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ. पिता गौतम सिंह कृषि कार्य करके अपने परिवार का पालन पोषण करते रहे. ऐसे में चार बहन और एक भाई में सबसे बड़ी ज्योति ठाकुर जब पैदा हुई तो वह पैदाइशी रूप से पैरों से दिव्यांग थी, लेकिन परिवार के हौसले के चलते ज्योति ठाकुर ने अपनी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षा भी बंजार से प्राप्त की और उसके बाद साल 2022 से पैरा एथलीट में भाग लेना शुरू किया. जिसके चलते आज पैरा एथलीट ज्योति ठाकुर ने मात्र 2 साल में ही 12 गोल्ड मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

ज्योति ठाकुर.

कई बार हुआ विपरीत परिस्थितियों से सामना

ज्योति ठाकुर का कहना है कि वह साधारण परिवार से संबंध रखती हैं और जीवन में कई बार कई विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा. ऐसे में पहली बार उन्होंने मंडी में जिला स्तरीय पैरा एथलीट प्रतियोगिता में भाग लिया था. जिसमें उन्होंने शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में दो गोल्ड मेडल जीते थे. उसके बाद साल 2022 में धर्मशाला में राज्य स्तरीय पैरा एथलीट प्रतियोगिता का आयोजन किया था. जिसमें उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते थे. वहीं, पहली राष्ट्रीय पैरा एथलीट प्रतियोगिता उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित की गई थी. जिसमें उन्होंने शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में दो गोल्ड मेडल जीते थे.

शिमला के रोहड़ू में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी दो गोल्ड, हमीरपुर में भी दो गोल्ड मेडल जीते थे. उसके बाद साल 2003 में महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की पैरा एथलीट प्रतियोगिता में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता था. हाल ही में जनवरी में गोवा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता में ज्योति ठाकुर ने शॉट पुट में गोल्ड और डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता है.

ज्योति ठाकुर

हिमाचल सरकार पर लगाया आरोप

वहीं, ज्योति ठाकुर सरकार के उदासीन रवैया से भी काफी निराश है. पैरा एथलीट ज्योति ठाकुर का कहना है कि विशेष खिलाड़ियों के लिए सरकार के द्वारा नीति बनाई गई है और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी बजट का कागजों में प्रावधान किया गया है, लेकिन उन्हें अभी तक किसी भी सरकार से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है. ज्योति का कहना है कि देश के अन्य राज्यों में सरकार विशेष खिलाड़ियों को गोल्ड मेडल और अन्य मेडल जीतने पर भी प्रोत्साहित करती है. बाहरी राज्यों में खिलाड़ियों के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश में विशेष खिलाड़ियों को सरकार बिल्कुल भी प्रोत्साहन नहीं दे रही है. ऐसे में दिव्यांग खिलाड़ियों का मनोबल भी गिर रहा है. सरकार को चाहिए कि वह बाकी खिलाड़ियों की तरह दिव्यांग खिलाड़ियों का भी मनोबल ऊंचा करें.

परिवार ने किया हर समय प्रोत्साहित

ज्योति ठाकुर का कहना है कि पहले अपने शारीरिक अक्षमता के चलते उसे काफी बुरा लगता था, लेकिन अब वह अपनी इस अक्षमता को क्षमता में बदल रही है. ज्योति ने बताया कि जब वह पर एथलीट में शामिल हुई तो कई अन्य खिलाड़ियों से भी उसकी मुलाकात हुई. ऐसे में उसका अपना आत्मविश्वास बढ़ा और वह अब अन्य खिलाड़ियों के साथ-साथ अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रही है. ज्योति ने बताया कि उसके परिवार के द्वारा उसे हर समय प्रोत्साहित किया गया. जिसकी बदौलत वह आज यह सब कर पाई है. ज्योति ने अन्य विशेष व्यक्तियों को भी प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वह किसी भी विषम परिस्थिति में कभी मत घबराएं, क्योंकि समय कभी भी एक सा नहीं रहता है और विषम परिस्थितियों को सम में ढालने के लिए सभी को प्रयास करने चाहिए.

'प्रदेश सरकार से रहेगी आर्थिक सहयोग की जरूरत'

पैरा खिलाड़ी ज्योति ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के खेलों के लिए भी उन्हें सरकार की ओर से कई कोई सहयोग नहीं मिलता. राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के लिए उन्हें अपना किराया खर्च करना पड़ता है सिर्फ रहने और खाने की व्यवस्था पैरा एथलीट संगठन के द्वारा की जाती है. ऐसे में किस तरह से वह आगे बढ़ पाएगी. यह चिंता भी उन्हें काफी सताती है. ज्योति ठाकुर का कहना है कि अब उसका लक्ष्य है कि वह पैरा ओलंपिक में हिस्सा लेकर भारत का नाम रोशन करें, लेकिन पैरा ओलंपिक में भाग लेने के लिए उसे प्रदेश सरकार से आर्थिक सहयोग की भी काफी जरूरत रहेगी. ऐसे में प्रदेश सरकार पैरा ओलंपिक में भाग लेने के लिए उसकी अवश्य मदद करें.

'सरकार करे पैरा खिलाड़ियों की मदद'

वहीं, ज्योति ठाकुर के पिता गौतम ठाकुर का कहना है कि उनकी बेटी ने अपने स्तर पर काफी हिम्मत की और आज वह पैरा एथलीट में कई गोल्ड मेडल जीतकर आई हैं. बेटी ज्योति ठाकुर शिक्षा विभाग में मल्टी टास्क कर्मी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रखी हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने के लिए ज्योति ठाकुर को प्रदेश सरकार की मदद की भी काफी जरूरत है. ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि वह पैरा खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के लिए उनकी आर्थिक रूप से भी मदद करे.

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Last Updated :Mar 8, 2024, 12:45 PM IST

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