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दमोह में शख्स ने जीवित रहते छपवा दिए खुद की तेरहवीं के कार्ड, जानिए क्या है मामला - damoh alive teacher terahvi

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 1, 2024, 4:12 PM IST

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक रिटायर्ड शिक्षक ने जीते जी ही अपनी ही तेरहवीं का आयोजन किया. रिटायर्ड शिक्षक सोनी ने बताया कि इस संसार में सब कुछ मिथ्या है. मरने के बाद कोई व्यक्ति अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता.

damoh alive teacher terahvi
दमोह में जीवित रहते छपवा दिए खुद की तेरहवीं के कार्ड

दमोह में जीवित रहते छपवा दिए खुद की तेरहवीं के कार्ड

दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें जीते जी एक रिटायर्ड शिक्षक अपनी ही तेरहवीं कर रहे हैं. बाकायदा इसके लिए कार्ड छपवाकर समाज में बांटे भी गए हैं. जीते जी रक्तदान मरते मरते दे दान. यह वाक्य तो आपने बहुत सुना होगा, लेकिन क्या कभी आपने ऐसा भी सुना है कि लोग जीते जी ही अपनी तेरहवीं कर दे. सुनने पढ़ने में आपको अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह बात सच है.

कार्ड छपवाकर लोगों को दिया निमंत्रण

दरअसल, दमोह नगर के फुटेरा वार्ड नंबर एक में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक जीपी सोनी जीते जी अपनी तेरहवीं कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने न केवल कार्ड छपवाए बल्कि उन्हें समाज में बंटवाकर लोगों को तेरहवीं पर आयोजित स्वल्पाहार में आने का न्योता भी दिया है. जीपी सोनी ने अपने कार्ड में सबसे ऊपर शोक संदेश की जगह है विस्मरण पत्र लिखवाया है. उसमें लिखा है कि 'सूचित करना पड़ रहा है कि जयप्रकाश सोनी शिक्षक की आत्मा का निधन हो गया है. उनके आत्म विहीन शरीर को स्वस्थ रहने हेतु दिनांक 31 मार्च 2024 को स्वल्पाहार का आयोजन किया जा रहा है. सो जानवी. अतः आप पधारकर सुभाशीष प्रदान करें. इसके नीचे कार्यक्रम का स्थान और समय दिया गया है.' इसी कार्ड में जीपी सोनी ने अपनी फोटो के साथ अपने बेटे प्रवीण सोनी की फोटो भी प्रिंट करवाई है. साथ ही लोगों को भोजन भी कराया है.

परिवार को नहीं है कोई आपत्ति

ईटीवी भारत से बातचीत में सोनी ने बताया कि 'इस संसार में सब कुछ मिथ्या है. मरने के बाद कोई व्यक्ति अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता. जैसा आया था वैसा ही जाएगा. इसलिए उन्होंने अपनी तेरहवीं करने का निर्णय लिया है. इसके लिए परिवार के किसी भी सदस्य को आपत्ति नहीं है. बल्कि पत्नी और बच्चे इस तेरहवीं आयोजन के लिए सहमत हैं. यह पूछे जाने पर क्या आपके द्वारा आयोजित कार्यक्रम शास्त्रोक्त है ? इसका कहीं शास्त्रों में वर्णन किया गया है. तो उन्होंने बताया कि उमा मिस्त्री की तलैया पर रहने वाले एक नेमा परिवार जो की सीता नगर का है. उनके दादा ने अपने जीते जी अपनी तेरहवीं का आयोजन किया था. ऐसा नहीं है कि उनके परिवार में कोई कमी थी. चार बेटे थे. भरा पूरा परिवार था लेकिन उन्होंने उसके बाद भी तेरहवीं की और इसका शास्त्रों में वर्णन भी किया गया है.'

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जीपी सोनी के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटी और एक बेटा है. बेटा कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. छोटी बेटी 11वीं कक्षा में है. बड़ी बेटी का विवाह हो चुका है. सोनी कहते हैं कि 'ऐसा नहीं है कि उनके मरने के बाद उनका परिवार उनकी तेरहवीं नहीं करेगा. लेकिन बावजूद इसके वह अपनी तेरहवीं कर रहे हैं. सत्संग मंदिर गाइडलाइन के पुजारी पंडित महेंद्र दुबे से जब इस संबंध में राय जानना चाही तो उन्होंने बताया कि शास्त्रों में अपने जीते जी अपना पिंडदान और क्रिया कर्म करने का विधान है. इसलिए यह कोई अचरज या नई बात नहीं है. इसके पहले भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती भी अपना पिंडदान कर चुकी हैं.

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