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चीन ने 'अनुसंधान' जहाजों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए श्रीलंका को अपनी नाराजगी व्यक्त की

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 1, 2024, 7:45 AM IST

Sri Lanka Ban Entry China Vessels : श्रीलंका ने अपने क्षेत्रीय जल में चीनी जहाजों सहित सभी विदेशी जहाजों के प्रवेश पर एक साल की रोक लगा देने के बाद चीन की कड़ी प्रतिक्रिया आयी है. जानकारी के मुताबिक, बीजिंग ने कोलंबो को अपनी नाराजगी व्यक्त की है. पढ़ें ईटीवी भारत के लिए अरूनिम भुइयां की रिपोर्ट...

Sri Lanka Ban Entry China Vessels
कोलंबो से 23 सितंबर, 2020 को ली गई हवाई तस्वीर में श्रीलंका के कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के निर्माण स्थल का दृश्य. ( फाइल फोटो: IANS)

नई दिल्ली: चीन ने कथित तौर पर अनुसंधान कार्य करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में चीनी जहाजों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए श्रीलंका को अपनी नाराजगी व्यक्त की है. पिछले साल दिसंबर में, श्रीलंका ने अपने क्षेत्रीय जल में सभी विदेशी अनुसंधान जहाजों के प्रवेश पर एक साल की रोक लगा दी थी. यह रोक इस साल 3 जनवरी से लागू हुई.

यह निर्णय नई दिल्ली की ओर से कोलंबो को अपनी अपत्ती जताने के बाद लिया गया था. भारत ने चीन के अनुसंधान कार्य करने के लिए श्रीलंका के ईईजेड में अपने जहाज जियांग यांग होंग 3 के प्रवेश की अनुमति मांगने के बाद कोलंबो को अपनी आपत्ती जतायी थी.

16 अगस्त, 2022 को ली गई तस्वीर में चीन के अंतरिक्ष-ट्रैकिंग जहाज युआनवांग-5 को श्रीलंका के हंबनटोटा में श्रीलंका के हंबनटोटा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के पास देखा गया था. (फाइल फोटो: IANS)

अब बताया जा रहा है कि चीन ने रोक लगाने पर श्रीलंका को अपना असंतोष व्यक्त किया है. डेली मिरर समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी अधिकारी इस फैसले से नाराज हैं और उन्होंने दूसरे देश के प्रभाव में आकर ऐसा निर्णय लेने के लिए श्रीलंका को अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

जियांग यांग होंग 3 जहाज आधिकारिक तौर पर चीनी प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के तीसरे समुद्र विज्ञान संस्थान के स्वामित्व में है. यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत दक्षिण हिंद महासागर के पानी में अनुसंधान उद्देश्यों के लिए चीनी जहाजों की बार-बार की यात्राओं का कड़ा विरोध करता रहा है. भारत का मानना है कि यह उसकी समुद्री सीमा का उल्लंघन है.

कोलंबो से 23 सितंबर, 2020 को ली गई हवाई तस्वीर में श्रीलंका के कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के निर्माण स्थल का दृश्य. ( फाइल फोटो: IANS)

पिछले साल अक्टूबर में, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीनी जहाज शि यान 6 को दो दिनों की अवधि के लिए अपने पश्चिमी तट पर पर्यवेक्षित समुद्री अनुसंधान में शामिल होने की अनुमति दी थी. संभावित जासूसी की आशंकाओं के बीच जहाज को शुरू में 'पुनःपूर्ति' के लिए कोलंबो में डॉक किया गया था, जिसे करीबी निगरानी के तहत अनुसंधान गतिविधियों के लिए अधिकृत किया गया था. यह हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति और श्रीलंका में उसके रणनीतिक प्रभाव से संबंधित भारत की सुरक्षा चिंताओं के जवाब में था.

अमेरिका ने भी शि यान 6 की श्रीलंका यात्रा को लेकर चिंता व्यक्त की थी. पिछले साल सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी के साथ एक बैठक के दौरान अमेरिका के राजनीतिक मामलों के अवर सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने यह मामला उठाया था.

16 अगस्त, 2022 को ली गई तस्वीर में चीन के अंतरिक्ष-ट्रैकिंग जहाज युआनवांग-5 को श्रीलंका के हंबनटोटा में श्रीलंका के हंबनटोटा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के पास देखा गया था. (फाइल फोटो: IANS)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुद्दे पर श्रीलंका जापान के दबाव में भी है. भारत, अमेरिका और जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ, उस क्वाड का हिस्सा हैं जो जापान के पूर्वी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले क्षेत्र में चीनी आधिपत्य के खिलाफ एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहा है.

अगस्त 2023 में शि यान 6 की यात्रा से पहले, एक चीनी जहाज जो अनुसंधान पोत होने का दावा करता था, जाहिरा तौर पर पुनःपूर्ति के लिए कोलंबो बंदरगाह पर खड़ा हुआ था. हाओ यांग 24 हाओ वास्तव में एक चीनी युद्धपोत निकला. 129 मीटर लंबे जहाज पर 138 लोगों का दल सवार था और इसकी कमान कमांडर जिन शिन के पास थी.

2022 में भी, जब युआन वांग 5 नामक एक चीनी सर्वेक्षण जहाज को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दी गई थी, तो भारत ने कड़ा विरोध किया था. हालांकि जहाज को एक अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाज के रूप में वर्णित किया गया था, सुरक्षा विश्लेषकों ने कहा कि यह अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग इलेक्ट्रॉनिक्स से भी भरा हुआ था जो रॉकेट और मिसाइल प्रक्षेपण की निगरानी कर सकता है. आर्थिक संकट के बीच देश से भागने से एक दिन पहले तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने जहाज को डॉक करने की अनुमति दी थी.

16 अगस्त, 2022 को ली गई तस्वीर में चीन के अंतरिक्ष-ट्रैकिंग जहाज युआनवांग-5 को श्रीलंका के हंबनटोटा में श्रीलंका के हंबनटोटा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के पास देखा गया था. (फाइल फोटो: IANS)

पिछले साल जुलाई में अपनी भारत यात्रा के दौरान, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अपने जल क्षेत्र में चीनी नौसैनिक जहाजों की मौजूदगी के बारे में नई दिल्ली की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की थी. विक्रमसिंघे ने कहा कि उनके देश ने यह निर्धारित करने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) अपनाई है कि किस तरह के सैन्य और गैर-सैन्य जहाजों और विमानों को देश में आने की अनुमति दी जाएगी. एसओपी को भारत के अनुरोध के बाद अपनाया गया था.

इसके बाद श्रीलंका के विदेश मंत्री साबरी ने कहा कि एसओपी के तहत तय दिशा-निर्देश उन सभी देशों को भेज दिए गए हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों के दौरान श्रीलंकाई जलक्षेत्र में अपने जहाज तैनात किए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह हमारे क्षमता का विकास करने के लिए जरूरी है ताकि हम समान भागीदार के रूप में ऐसी अनुसंधान गतिविधियों में भाग ले सकें.

हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के बड़े रणनीतिक निहितार्थ हैं. न केवल भारत के लिए, बल्कि श्रीलंका में विदेश नीति और विकास के संदर्भ में कोलंबो जो करता है उसका हिंद महासागर तक अन्य प्रमुख शक्तियों की पहुंच पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. अब, एसओपी को अपनाकर और इसे अन्य देशों के साथ साझा करके, ऐसा लगता है कि श्रीलंका ने अपने क्षेत्रीय जल में चीनी उपस्थिति पर लगाम लगाने का एक तरीका ढूंढ लिया है.

हालांकि, जबकि श्रीलंका ने जियांग यांग होंग 3 के प्रवेश पर रोक लगा दी, मालदीव ने इस महीने पहले उसी जहाज को अपने जल में प्रवेश की अनुमति दी थी. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हैं. जिन्होंने एक मजबूत चीन समर्थक और भारत विरोधी विदेश नीति अपनाई है. भारत ने जियांग यांग होंग 3 के बारे में मालदीव को भी चेतावनी दी थी.

मालदीव के विदेश मंत्रालय ने तब कहा था कि जहाज कोई शोध कार्य नहीं करेगा बल्कि केवल पुनःपूर्ति और कर्मियों के रोटेशन के लिए पोर्ट पर रुकेगा. मालदीव की स्थानीय मीडिया के अनुसार, जहाज अब हिंद महासागर द्वीपसमूह राष्ट्र के पानी से निकल चुका है.

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