नई दिल्ली: यूरोपीय संघ (EU) द्वारा रूस-यूक्रेन की दूसरी वर्षगांठ पर भारत और चीन की कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने के घटनाक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी की ग्लोबल टाइम्स ने प्रशंसा की है. प्रमुख चीनी प्रकाशक ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा की गई एक हालिया टिप्पणी का हवाला दिया और कहा कि यह सभी के विचारों को प्रतिबिंबित करता है जिन्होंने रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों में भाग नहीं लिया है.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र के रूप में काम करने वाले दैनिक अंग्रेजी अखबार ग्लोबल टाइम्स में 'रूस में चीनी, भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध अनुचित' शीर्षक वाले एक लेख में कहा गया है कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए निराशाजनक और चिंताजनक दोनों है. अतीत की गलतियों और प्रतिबंधों के अंधाधुंध उपयोग से जुड़े आर्थिक खतरों पर विचार करने और उन्हें स्वीकार करने के बजाय, पश्चिम को एक बार फिर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को तेज करने और यहां तक कि उन्हें तीसरे देशों तक बढ़ा दिया है. पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर सहमति व्यक्त की, जो पहली बार मास्को के युद्ध प्रयासों का समर्थन करने के आरोपी चीन और भारतीय कंपनियों को लक्षित करता है.
लेख में कहा गया कि 23 फरवरी को यूरोपीय आयोग द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, जिन कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए गए हैं उनमें भारत की एक और चीन की चार कंपनियां शामिल हैं. ये सभी कंपनियाँ उस क्षेत्र में काम करती हैं जिसे यूरोपीय संघ दोहरे उपयोग वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कहता है. चार चीनी कंपनियों में से तीन मुख्य भूमि चीन में और एक हांगकांग में है. ग्लोबल टाइम्स की राय में कहा गया है कि रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंध वास्तव में अवैध और एकतरफा कार्रवाई हैं. इन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है.
अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. रूस और अन्य देशों के बीच सामान्य आर्थिक आदान-प्रदान को लक्षित करके प्रतिबंधों को बढ़ाने और अन्य देशों पर दबाव डालने का कोई मतलब नहीं है.
इसके बाद लेख में इस महीने की शुरुआत में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में जयशंकर द्वारा की गई एक टिप्पणी का जिक्र किया गया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ एक पैनल चर्चा के दौरान, जयशंकर ने कहा कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना दूसरों के लिए समस्या नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा,'क्या यह एक समस्या है? यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए?" जयशंकर ने पूछा. अगर मैं इतना होशियार हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए. क्या यह दूसरों के लिए समस्या है? मैं ऐसा नहीं सोचता, निश्चित रूप से इस मामले में. हम यह समझाने का प्रयास करते हैं कि देशों के बीच अलग-अलग खींचतान और दबाव क्या हैं. उस एकआयामी संबंध का होना बहुत कठिन है.'
ग्लोबल टाइम्स के ओपिनियन लेख में जयशंकर की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा गया,'हाल ही में म्यूनिख सम्मेलन के मौके पर भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने जो कहा वह उन सभी के विचार को दिखा सकता है जिन्होंने रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों में भाग नहीं लिया है.' लेख में कहा गया है कि दुनिया पर केवल अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों का शासन नहीं है.
रूस को नियंत्रित करने का उनका लक्ष्य उनका अपना व्यवसाय है. उन्हें यह मांग करने का कोई अधिकार नहीं है कि अन्य देश पश्चिमी रणनीतियों की पूर्ति के लिए अपने विकास के अवसरों का त्याग करें. जब रूस से निपटने की बात आती है, तो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अपने हितों पर विचार करने और चुनने का अधिकार होना चाहिए.