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गुजरात: भावनगर इको ब्रिक्स पार्क परियोजना ने दुनिया के विश्वविद्यालयों की पत्रिकाओं में बनाई जगह

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 28, 2024, 9:38 PM IST

Eco Bricks Park in Gujarat, गुजरात में भावनगर में प्लास्टिक का इस्तेमाल कर नगर निगम ने एक इको ब्रिक्स पार्क बनाया है. इस काम में डॉक्टर तेजस दोशी, जोकि एक शोधकर्ता हैं, ने भी सहयोग किया. अब इस इको पार्क पर एक शोध पत्र लिखा गया है.

Eco Bricks Park in Gujarat
गुजरात में इको ब्रिक्स पार्क

भावनगर (गुजरात): प्लास्टिक आज पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है. लेकिन साल 2021 में भावनगर में डॉक्टर तेजस दोशी ने नगर निगम के सहयोग से इको ब्रिक्स पार्क बनाया. सिंगल यूज प्लास्टिक के लैंप को प्लास्टिक की बोतलों में भरा गया और उन बोतलों से एक कलात्मक पार्क बनाया गया. अब इस इको ब्रिक्स पार्क पर एक शोध पत्र लिखा गया है और यह शोध पत्र यूजीसी द्वारा दुनिया के हर विश्वविद्यालय में प्रस्तुत भी किया गया है, जो भावनगर के लिए गौरव की बात है.

साल 2021 में भावनगर शहर में डॉक्टर तेजस दोशी ने सिंगल यूज प्लास्टिक के निपटान के लिए एक प्रयोग खोजा. डॉक्टर तेजस दोशी ने सिंगल यूज प्लास्टिक को प्लास्टिक की बोतलों में भरकर लोगों को देने पर जोर दिया. जबकि नगर पालिका ने ऐसी बोतलों की कीमत भी चुकाई. अकवाड़ा के पास इको ब्रिक्स पार्क बड़ी संख्या में बोतलें इकट्ठा करके बनाया गया था. जिसमें वॉकवे, पेड़ के चारों ओर बोतलों की दीवार जैसी चीजें बनाकर एक पार्क बनाया गया. यह पूरी दुनिया को एक संदेश देता है.

इको ब्रिक्स पार्क के आरंभकर्ता डॉ. तेजस दोशी ने बताया कि यह पेपर इको ब्रिक्स पार्क पर शोध के बाद प्रस्तुत किया गया है. गांधीनगर में जयराम पटेल कॉलेज ऑफ बिजनेस की प्रोफेसर उर्वी अमीन और उनकी पूरी टीम डॉ. स्वाति, डॉ. शिवनैसी और डॉ. नितीशकुमार ने डेढ़ साल पहले मेरे इको ब्रिक्स पार्क और कट द कॉर्नर बे प्रोजेक्ट के बारे में काफी देर तक मेरा इंटरव्यू लिया. उन्होंने कहा कि यह इतना बड़ा प्रोजेक्ट है कि अब प्रधानमंत्री सिंगल यूज प्लास्टिक पर बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं, इसलिए उन्होंने केस पेपर स्टडी कर एक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया. इसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया.

डॉ. तेजस दोशी ने केस पेपर का अध्ययन करने के बाद भावनगर के इको ब्रिक्स पेपर पर किए गए शोध के बारे में बताया, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था. यह इतना सफल रहा कि यूजीसी ने विश्व स्तरीय पत्रिकाओं में पेपर प्रकाशित किया. इसका शीर्षक 'इको ब्रिक्स प्रोसेस ऑफ द ट्रांसफॉर्मर टू वर्ड्स ए न्यू फ्यूचर' है, जो हर विश्वविद्यालय में प्रकाशित होता है.

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