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उत्तराखंड पर निर्भर बीजेपी का 400 पार का नारा, देवभूमि देगी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का संदेश! - lok sabha election 2024

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 12, 2024, 10:01 AM IST

Updated : Apr 12, 2024, 2:37 PM IST

भारतीय जनता पार्टी जब 400 पार का नारा लोकसभा चुनाव में दे रही है, तब पार्टी के इस लक्ष्य को पाने के लिए उत्तराखंड सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में शुमार है. भारतीय जनता पार्टी का कोर एजेंडा उत्तराखंड की तासीर से मेल खाता है और हिंदुत्व से लेकर राष्ट्रवाद तक का संदेश भी देवभूमि देने का काम करती है. जानें कैसे उत्तराखंड की बदौलत बीजेपी 400 पार के नारे को पा सकती है.

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उत्तराखंड पर निर्भर बीजेपी का 400 पार का नारा

देहरादून: देश में पहले चरण के मतदान में शामिल उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटें भाजपा के 400 पार के नारे का भविष्य तय करेंगी. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी का कोर एजेंडा उत्तराखंड की तासीर से मेल खाता है और हिंदुत्व से लेकर राष्ट्रवाद तक का संदेश भी देवभूमि देने का काम करती है. भारतीय जनता पार्टी देश में जिन 400 सीटों पर जीत का दावा कर रही है, उनमें उत्तराखंड की पांच सीटें भी शामिल हैं. जाहिर है कि मोदी लहर का असर उत्तराखंड की स्थिति से भांपा जा सकता है और शायद इसीलिए कहा जा रहा है कि भाजपा का 400 पार का नारा उत्तराखंड पर निर्भर है.

उत्तराखंड की चुनावों में खास भूमिका: उत्तराखंड भले ही छोटे राज्यों में शुमार है और यहां केवल पांच लोकसभा सीटें हैं, लेकिन राजनीतिक रणनीति के लिहाज से प्रदेश की अहम भूमिका है. खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी के लिए तो उत्तराखंड अपने कोर एजेंट को आगे बढ़ाने का सबसे मुफीद राज्य है.

उत्तराखंड सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में शुमार: इसके पीछे की वजह यहां मौजूद सैन्य पृष्ठभूमि तो है ही साथ ही देवभूमि की पहचान भी इसे भाजपा के लिए सकारात्मक बनाती है. इसीलिए यह कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी जब 400 पार का नारा लोकसभा चुनाव में दे रही है, तब पार्टी के इस लक्ष्य को पाने के लिए उत्तराखंड सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में शुमार है.

उत्तराखंड ने दिया पीएम मोदी को समर्थन: खास बात यह है कि उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों को भाजपा अपनी झोली में मान रही है और यह उन राज्यों में शुमार है, जहां पार्टी खुद ही क्लीन स्वीप मान रही है. पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में सभी पांच सीटें जीती हैं और राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद उत्तराखंड की जनता ने उन्हें पूरा समर्थन भी दिया है.

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम पर लड़े गए बीते दो चुनाव: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की हिंदुत्ववादी छवि ने देश भर में भाजपा को पूर्ण बहुमत तक पहुंचाया. जबकि इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनावी प्रचार प्रसार से ठीक पहले भारत और पाकिस्तान के खराब संबंधों के बीच राष्ट्रवाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा को 300 का जादुई आंकड़ा भी पार करवा दिया. इस तरह देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पिछले दो लोकसभा चुनाव हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम रहे. दोनों ही मुद्दों पर भाजपा ने जनता के बीच खुद को सबसे आगे रखने में कामयाबी हासिल की.

राम मंदिर के नाम पर मिलेगा वोट: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है. पहले ही चरण में उत्तराखंड को भी शामिल किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से खास लगाव रहा है. उत्तराखंड में केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण के साथ उन्होंने यहां पर अपने दौरों के जरिए पूरे देश में हिंदुत्व को लेकर संदेश देने की भी कोशिश की है. इस बार भी राम मंदिर के नाम पर भाजपा ने मुख्य रूप से जनता के बीच जाने का काम किया है.

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर अपने दूसरे दौर में ऋषिकेश में पहुंचकर न केवल पूर्व सैनिकों के मुद्दों को जनता के बीच रखा. साथ ही देवभूमि का भी जिक्र करते हुए पूरे देश में एक संदेश देने की कोशिश की.

2019 में बीजेपी प्रदेश की पांचों सीट जीती थी: देश में मोदी लहर का असर उत्तराखंड पर बेहद ज्यादा दिखाई दिया है. शायद यही कारण है कि प्रदेश में तमाम लोकसभा सीटों पर 2019 में 64% तक भाजपा के प्रत्याशी मत हासिल करने में कामयाब रहे. मोदी लहर का असर उत्तराखंड के मैदान से लेकर पहाड़ी लोकसभा सीटों पर भी देखने को मिला. इसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर कितना काम करने जा रही है, इसका अंदाजा भी उत्तराखंड के राजनीतिक हालात को देखकर लगाया जा सकता है.

कांग्रेस का कटाक्ष: हालांकि इन मामलों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के दावों को कांग्रेस खारिज करती रही है. कांग्रेस की मानें तो विभिन्न गंभीर मुद्दों पर लोगों को मायूसी हाथ लगी है. ऐसे में बेरोजगारों से लेकर महिलाओं और कानून व्यवस्था तक के मामले में भी केंद्र सरकार ने हमेशा चुप्पी साधी है.

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