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Exclusive: मौत के वो तीन दिन, ETV भारत पर ट्रैकर मिथुन की रौंगटे खड़े करने वाली दास्तां

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Published : Oct 22, 2021, 5:57 PM IST

Updated : Oct 22, 2021, 6:57 PM IST

हर्षिल-छितकुल ट्रैक पर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लखमा पास में 11 सदस्यीय ट्रैकर और पोर्टर के दल में से 7 की मौत हो चुकी है. मौत के उस बर्फीले पहाड़ से कोलकाता के मिथुन दारी सुरक्षित लौट आने में सफल हुए. तीन दिन तक निर्जन हिमालय पर घायल अवस्था में क्या-क्या बीती मिथुन ने वो रौंगटे खड़े करने वाला अनुभव ईटीवी भारत के साथ साझा किया. पेश है ट्रैकर मिथुन से ईटीवी भारत की Exclusive बातचीत.

trekker mithun dari
ट्रैकर मिथुन

उत्तरकाशीः कहते हैं ना 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय'. ऐसा ही कुछ करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लखमा पास में फंसे कोलकाता के ट्रैकर मिथुन दारी और पुरोला निवासी गाइड देवेंद्र के साथ हुआ है. बर्फ से ढकी 15 हजार फीट की ऊंचाई वाली चोटी पर जिंदा बच पाना नामुमकिन था. लेकिन कोलकाता के मिथुन दारी और पुरोला निवासी गाइड देवेंद्र को किसी चमत्कार ने ही नया जीवन दिया है, जो भारी बर्फबारी और माइनस तापमान से भी जिंदा बच निकले. अभी उनका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है. इस दौरान घायल ट्रैकर मिथुन ने ईटीवी भारत से तीन दिन के भयानक मंजर को बयां किया.

हर्षिल-छितकुल ट्रैक पर लापता ट्रैकर्स में बीती गुरुवार को जिंदा मिले ट्रैकर कोलकाता निवासी 31 वर्षीय मिथुन दारी को सेना और SDRF ने वायु सेना के हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर मिलिट्री अस्पताल हर्षिल पहुंचाया. उसके बाद मिथुन दारी को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया. जहां पर मिथुन दारी का उपचार चल रहा है.

ट्रैकर मिथुन की दास्तां.

घायल ट्रैकर मिथुन दारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 17 अक्टूबर को दोपहर में अपने कैंप से वो लखमा पास के लिए रवाना हुए तो मौसम साफ था. दोपहर बाद जब उन्होंने लखमा पास को पार किया, तब भी मौसम साफ था. जब वो लखमा पास पार करने के बाद छितकुल (हिमाचल प्रदेश) के लिए रवाना हुए, तभी अचानक भारी बर्फबारी शुरू हो गई.

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बर्फबारी के बीच बिताए तीन दिनः मिथुन दारी ने बताया कि उनके गाइड ट्रैकर्स के साथ आगे-आगे बर्फ हटाकर रास्ता बना रहे थे. जबकि, पोर्टर पीछे थे. तभी अचानक मिथुन के दो साथी बर्फ में फिसलने के कारण नीचे जा गिरे. तभी मिथुन के पीछे से एक साथी भी फिसला और मिथुन के पैर पर गिरने के बाद वो भी नीचे फिसल गया. जिसमें मिथुन का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया. मिथुन के गाइड 37 वर्षीय देवेंद्र ने उन्हें किसी प्रकार संभाल कर टैंट में लाए. तब तक बर्फबारी भारी होने के कारण सभी साथी अलग-थलग पड़ गए. मात्र अपने गाइड के साथ उन्होंने अपनी चोट के साथ टैंट के अंदर किसी प्रकार तीन दिन काटे. दो दिन बाद हेलीकॉप्टर की आवाज सुन कर किसी प्रकार जीवित बचने की उम्मीद बची.

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गौर हो कि बीती 17 अक्टूबर को हर्षिल-छितकुल ट्रैक पर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लखमा पास को पार करने के बाद बंगाल और कोलकाता के 8 ट्रैकर्स समेत 11 लोग लापता हो गए थे. जिन्हें ढूढ़ने के लिए 19 अक्टूबर को सेना और SDRF ने वायु सेना के हेलीकॉप्टर से लखमा पास के आसपास के क्षेत्र की रेकी की. उसके बाद 20 अक्टूबर को खोज-बचाव अभियान शुरू हुआ. लखमा पास पर लापता हुए 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है. इसमें से 3 शव वायु सेना के हेलीकॉप्टर से हर्षिल लाए जा चुके हैं. इस टीम में कोलकाता के 7, दिल्ली का एक पर्यटक और उत्तरकाशी के तीन रसोइए थे, जो 14 अक्टूबर को हर्षिल-छितकुल के लखमा पास के लिए रवाना हुए थे.

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Last Updated :Oct 22, 2021, 6:57 PM IST
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