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भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले 'SUPER' ब्रिज का निर्माण शुरू, BRTF कैप्टन ने दी थी शहादत

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Published : Sep 21, 2021, 1:55 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 5:37 PM IST

बीआरओ ने करीब 85 मीटर लंबे स्टील सुपर स्ट्रक्चर पुल के प्रथम चरण का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. स्वारीगाड़ नदी के ऊपर स्थित वैली ब्रिज निर्माण के दौरान 36 बॉर्डर रोड टास्क फोर्स के 72 आरसीसी के कैप्टन ए राहुल रमेश ने बहादुरी का परिचय देकर अपने साथियों को बचाते हुए शहादत दी थी. कैप्टन ए राहुल रमेश को मरणोपरांत शौर्य च्रक से नवाजा गया था.

Uttarkashi Swarigad River Valley Bridge
Uttarkashi Swarigad River Valley Bridge

उत्तरकाशी: बीआरओ ने भारत-तिब्बत (चीन) अंतरराष्ट्रीय सीमा और चारधाम यात्रा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्वारीगाड़ नदी पर स्थित कैप्टन ए राहुल रमेश वैली ब्रिज के स्थान पर 85 मीटर लंबे स्टील सुपर स्ट्रक्चर पुल का निर्माण शुरू कर दिया है. बीआरओ ने पहले प्रथम चरण में पुल की एप्रोच निर्माण का कार्य शुरू किया है. इसके बाद एबेटमेंट का निर्माण भी प्रथम चरण में होगा. पुल निर्माण पूरा होने तक वैली ब्रिज से आवाजाही गंगोत्री हाईवे पर जारी रहेगी.

उत्तरकाशी में तैनात 36 BRTF (बॉर्डर रोड टास्क फोर्स) 392 के OIC रतन कुमार रॉय ने बताया कि यह पुल डबल लेन होगा, इसके साथ ही इसमें डेढ़ मीटर फुटपाथ का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कैप्टन ए राहुल रमेश वैली ब्रिज के समीप स्लाइडिंग जोन है. इसलिए सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए स्टील सुपर स्ट्रक्चर पुल का निर्माण पक्की पहाड़ी पर किया जा रहा है.

गंगोत्री हाईवे पर वैली ब्रिज का निर्माण शुरू.

क्या होता है 'सुपर' ब्रिज: BRO के 72 RCC के कमांडिंग ऑफिसर मेजर वीनू वीएस ने बताया कि स्टील सुपर स्ट्रक्चर RCC पुलों की तुलना में हल्के वजन का होता है. साथ ही यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ईको फ्रेंडली होता है. इसके निर्माण में कम बजट में और कम समय में हो जाता है. इसका मेंटेनेंस के लिए सरल रहता है पुल के निर्माण से सेना सहित चारधाम यात्रा में यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा.

बादल फटने के कारण बह गया था वैली ब्रिज: स्वारीगाड़ नदी पर जिस वैली ब्रिज के स्थान पर स्टील सुपर स्ट्रक्चर पुल का निर्माण किया जा रहा है. उस वैली ब्रिज के निर्माण के दौरान बीआरओ के 72 RCC के कैप्टन ए राहुल रमेश ने शहादत दी थी. साल 2012 में 3 अगस्त को बादल फटने के कारण गंगोत्री हाईवे पर स्वारीगाड़ नदी पर बना पुल बह गया था. उसके बाद बीआरओ ने 4 अगस्त को नागपुर निवासी और 17 इंजीनियरिंग रेजीमेंट से बीआरओ में पोस्टेड आए कैप्टन ए राहुल रमेश को अंतरराष्ट्रीय सीमा सहित गंगोत्री धाम को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई.

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वैली ब्रिज निर्माण के दौरान शहीद हुए थे कैप्टन: बीआरओ में पोस्टेड आए कैप्टन ए राहुल रमेश को अंतरराष्ट्रीय सीमा सहित गंगोत्री धाम को जोड़ने की जिम्मेदारी मिली थी. वहीं, जोरशोर से वैली ब्रिज का निर्माण चल रहा था. कैप्टन रमेश की अगुवाई में 10 दिन के भीतर करीब 110 फीट लंबे वैली ब्रिज निर्माण अंतिम चरण में ही था कि इस दौरान पुल का कुछ हिस्सा टूट गया और कैप्टन इसकी चपेट में आ गए. इस दौरान उनके साथ चार अन्य भी घायल हुए, जिनकी जान कैप्टन की सूझबूझ से बची थी. वहीं, घायल कैप्टन को हर्षिल मिलिट्री अस्पताल पहुंचाया गया. जहां से एयरलिफ्ट कर बरेली बेस अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन कैप्टन बच नहीं सके और शहीद हो गए.

मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र: भारत सरकार ने साल 2013 में शहीद ए राहुल रमेश को मरणोपरांत शौर्य च्रक से नवाजा गया. साथ ही स्वारीगाड़ नदी के ऊपर गंगोत्री हाईवे पर बने पुल का नाम कैप्टन के नाम पर रखा गया.

Last Updated :Sep 21, 2021, 5:37 PM IST
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