ETV Bharat / state

मार्केट नहीं मिलने से ट्राउट मछली पालक मायूस, औने-पौने दामों पर बेचकर उठाना पड़ रहा घाटा

author img

By

Published : Jul 9, 2023, 4:00 PM IST

Updated : Jul 9, 2023, 4:06 PM IST

रुद्रप्रयाग में ट्राउट मछली पालकों को बाजार की कमी के कारण नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. मछली पालकों को औने-पौने दामों पर मछली बेचनी पड़ रही है. उन्होंने सरकार के मछली बेचने के लिए मार्केट की मांग की है.

trout fish
ट्राउट मछली

मार्केट नहीं मिलने से ट्राउट मछली पालक मायूस.

रुद्रप्रयाग: रानीगढ़ पट्टी में ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे युवाओं में मायूसी छाई हुई है. ट्राउट मछली को मार्केट नहीं मिलने से आस-पास के इलाकों में सस्ते दाम पर बेचना पड़ रहा है, जिस कारण काश्तकारों को मुनाफा नहीं हो पा रहा है. वे औने-पौने दाम में मछली बेचने को मजबूर हैं.

कोरोना महामारी के बाद रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी में हजारों की संख्या में युवाओं ने गांव की ओर रूख किया. स्वरोजगार अपनाने की राह में युवाओं ने मछली पालन को आमदनी से जोड़ते हुए स्वरोजगार किया. उन्होंने सरकार और विभाग की मदद से अपनी जमीन पर ट्राउट मछली का उत्पादन करना शुरू किया. मगर अब उनके सामने ट्राउट मछली के मार्केटिंग की समस्या खड़ी हो गई है.

दरअसल, मछली का बाजार मूल्य 1500 से 2000 रुपए तक है. लेकिन मार्केट नहीं होने के कारण गांव के आस-पास के इलाकों में 500 रुपए में बेचनी पड़ रही है. इस कारण उन्हें मुनाफा होने के बजाय नुकसान उठाना पड़ रहा है. मछली उत्पादन में आ रही लागत की राशि भी उन्हें नहीं मिल पा रही है. क्योंकि ट्राउट मछली के रख-रखाव में काफी खर्चा आता है. ऐसे में वे सरकार और मत्स्य विभाग से ट्राउट मछली के मार्केटिंग की मांग कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः ट्राउट मछली उत्पादन से बदल रही काश्तकारों की किस्मत, मत्स्य विभाग भी बढ़ा रहा मदद के हाथ

ट्राउट मछली के रख-रखाव में भारी खर्च: रानीगढ़ पट्टी के लदोली निवासी दिनेश चौधरी शहरी इलाकों में रोजगार कर रहे थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें घर लौटना पड़ा. घर लौटने के बाद उन्होंने यहीं पर रोजगार करने की ठानी और उन्होंने अपनी जमीन पर मत्स्य विभाग की मदद से ट्राउट मछली का उत्पादन शुरू किया. अभी उनके पास करीब 25 से 30 क्विंटल मछली है. लेकिन मार्केटिंग नहीं होने से इन मछलियों को उन्हें औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है. इससे पहले भी वे कई क्विंटल मछलियां 500 रुपए की लागत पर बेच चुके हैं, जिससे उन्हें मुनाफा ही उठाना पड़ा है. उन्होंने बताया कि ट्राउट मछली के रख-रखाव में भारी भरकम धनराशि खर्च होती है.

ट्राउट मछली: जानकार देव राघवेंद्र बद्री ने बताया कि ट्राउट मछली ठंडे जलवायु में पाली जाती है. सेहत के लिए ट्राउट मछलियों का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. खासकर दिल के मरीजों और कैंसर जैसी बीमारी के खिलाफ इस मछली का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. जिन लोगों में खून की कमी होती है, उन्हें भी ट्राउट मछली खाने की सलाह दी जाती है. उन्होंने बताया कि ट्राउट मछली का उपयोग कई सारी दवाओं में किया जाता है. इसमें पाए जाने वाले विटामिन सी की मात्रा के कारण इसकी सबसे ज्यादा सप्लाई फाइव स्टार होटल्स में होती है.

हिमाचल के बाद उत्तराखंड में फार्मिंग: उन्होंने बताया कि ट्राउट मछली विदेशी ब्रीड है, जो टॉप 10 मछलियों में शुमार है. उन्होंने कहा कि यह मछली पांच हजार फीट की उंचाई में पाली जाती है. हिमाचल के बाद उत्तराखंड में इसकी फार्मिंग की जा रही है. रानीगढ़ पट्टी के कई इलाकों में इस मछली उत्पादन का कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि होम स्टे योजना के साथ ही ट्राउट मछली के उत्पादन पर भी जोर दिया जाए तो यह पहाड़ के रोजगार में मील का पत्थर साबित होगा.

ट्राउट मछली के लिए मार्केट की दरकार: विश्व स्तर पर पसंद की जाने वाली ट्राउट मछली को बाजार नहीं मिलने से रानीगढ़ पट्टी के युवा काश्तकार मायूस हैं. अगर समय रहते सरकार और विभाग ने इसके लिए पैरवी नहीं की तो युवाओं का इस कार्य के प्रति भी मोह भंग हो जाएगा. ऐसे में सरकार को चाहिए कि समय रहते युवाओं की मेहनत को समझते हुए ट्राउट मछली को मार्केट देने का कार्य करना चाहिए.
ये भी पढ़ेंः रैणी आपदा के बाद अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट

Last Updated :Jul 9, 2023, 4:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.