ETV Bharat / state

उत्तराखंड के जाख मेले में अंगारों पर नृत्य करते हैं यक्ष के पश्वा, महाभारत से जुड़ी है मान्यता

author img

By

Published : Apr 13, 2022, 11:35 AM IST

Updated : Apr 13, 2022, 11:52 AM IST

देवभूमि की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. यहां के मठ-मंदिरों का पौराणिक महत्व इस विरासत को और समृद्ध बनाता है. रुद्रप्रयाग जिले के जाख मेले को भव्य बनाने के लिए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के प्रांगण में हक हकूकधारी एवं ब्राह्मणों द्वारा मेले की समय सारणी को लेकर पंचांग देखकर दिन तय किया गया. आगामी 15 अप्रैल को जाख मंदिर में धधकते अंगारों पर भगवान यक्ष नृत्य कर श्रद्धालुओं की बलाएं लेंगे.

rudraprayag
रुद्रप्रयाग जाख मेला

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के प्रसिद्ध जाख मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं. आगामी 15 अप्रैल को जाख मंदिर में धधकते अंगारों पर भगवान यक्ष नृत्य कर श्रद्धालुओं की बलाएं लेंगे. जाख मेले को भव्य बनाने के लिए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के प्रांगण में हक हकूकधारी एवं ब्राह्मणों द्वारा मेले की समय सारणी को लेकर पंचांग देखकर दिन तय किया गया.

14 अप्रैल को अग्नि करेंगे प्रज्ज्वलित: इस दौरान भगवान यक्ष के जयकारों के साथ ही विंध्यवासिनी की पूजा-अर्चना भी की गई. बता दें कि पौराणिक परंपराओं को निभाते हक हकूकधारी ग्रामीणों ने जाख मेले की तैयारियां शुरू कर दी हैं. श्रद्धालु नंगे पांव जंगल जाकर पेड़ की मोटी लकड़ियां काट रहे हैं, जो जाख देवता मंदिर प्रांगण में निर्मित विशाल अग्नि कुंड में सजाई जाएंगी. 14 अप्रैल को मंत्रोच्चार से लकड़ियों पर अग्नि प्रज्ज्वलित की जाएगी.

15 अप्रैल को धधकते अंगारों पर पश्वा करेंगे नृत्य: रात्रि भर जागरण कर भगवान यक्ष के गुण गाए जायेंगे. 15 अप्रैल को इसी धधकते अग्निकुंड में जाख देवता पश्वा पर अवतरित होकर नंगे पांव इस अग्नि कुंड में कूद कर लोगों की बलाएं लेंगे. पर्यटक इस दृश्य को देखकर अचंभित हो जाते हैं कि पश्वा धधकते अंगारों पर नंगे पांव कैसे नृत्य करते हैं.

स्थानीय लोक मान्यता: स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार जब कई सौ वर्ष पूर्व स्थानीय लोग मवेशियों को चुगाने के लिए बुग्यालों की ओर जाते थे तो वहां पर एक पालसी ने एक पत्थर को अपनी झोली में ऊन काटने के उद्देश्य से डाल दिया. धीरे-धीरे पत्थर का आकार और द्रव्यमान बढ़ने लगा और वह पालसी अपने मवेशियों के साथ वापस केदारघाटी आ गया.

पढ़े-बैसाखी पर श्रद्धालु गंगा में लगा रहे आस्था की डुबकी, घाटों पर उमड़ रही भारी भीड़

इसके बाद ग्राम पंचायत देवशाल की पवित्र भूमि में झूला टूट जाता है और यह पत्थर नीचे गिर जाता है. रात्रि सपने में उस पालसी को भगवान दर्शन देते हैं और इस पत्थर को वहीं पर स्थापित करके पूजन-अर्चना करने को निर्देशित करते हैं. पालसी दूसरे दिन इस भारी पत्थर को स्थापित करता है. तब से लेकर आज तक यहां पर भगवान यक्ष की पूजा की जाती है. 15 अप्रैल को नर पश्वा ढोल दमाऊ की स्वर लहरी और भगवान यक्ष के जयकारों के बीच मंदिर आयेंगे और पवित्र स्नान कर तीन बार इस धधकते अग्निकुंड में नृत्य करेंगे.

ये भी है मान्यता: मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान यक्ष ने पांडवों से प्रश्न किए थे. कथा कहती है कि गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिए जब पांडव मोक्ष धाम केदारनाथ को चल पड़े तो गुप्तकाशी के निकट जाख नामक तोक में कुछ दिन विश्राम किया. द्रोपदी की जिद से जब प्यास लगने के बाद पांडव तालाब के किनारे पहुंचे, तब भगवान यक्ष ने उनसे पांच प्रश्न किए.

युधिष्ठिर ने दिए थे प्रश्नों के उत्तर: जब पांडव उत्तर देने में असमर्थ हो गए तो वह बेहोश हो गए. अंत में युधिष्ठिर तालाब के किनारे पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सभी पांडव बेहोश होकर जमीन पर गिरे हैं. युधिष्ठिर ने ज्यों ही पानी पीना चाहा, तो यक्ष प्रकट हो गए. उन्होंने युधिष्ठिर से भी पांच प्रश्न किए, जिनका युधिष्ठिर ने सही जवाब दिया. तब बेहोश पांडव होश में आए. तब से लेकर आज तक यहां पर यक्ष की पूजा-अर्चना की जाती है. बताया जाता है, कि धधकते अंगारों पर नृत्य करने से पूर्व नर पश्वा को इस कुंड में जल नजर आता है.

Last Updated : Apr 13, 2022, 11:52 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.