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हेली सेवा कंपनियों से रुद्रप्रयाग के स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग, प्रशासन से कहा- मनमानी रोकें

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Published : Apr 13, 2023, 9:55 AM IST

Kedarnath Heli Service
केदारनाथ हेली सर्विस

अप्रैल में जब चारधाम यात्रा शुरू होती है तो हेली सेवाएं भी शुरू हो जाती हैं. इन हेली सेवाओं से रोजाना 300 से 400 तीर्थयात्री दर्शन करने जाते हैं. हेली सेवाओं से जहां सरकार को 15 से 20 लाख का राजस्व रोजाना मिलता है, वहीं हेली कंपनियां करोड़ों कमाती हैं. इन हेली सेवा देने वाली कंपनियों पर मनमानी के आरोप भी लगते हैं. रुद्रप्रयाग जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने हेली सेवा प्रबंधकों से स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के साथ ही मनमानी रोकने की मांग की है.

रुद्रप्रयाग: बाबा केदारनाथ धाम के लिए हवाई उड़ान भरने वाली हेली कंपनियों की इस बार मनमानी नहीं चलने दी जाएगी. हर बार कंपनियां यहां आकर करोड़ों का व्यापार करके चली जाती हैं और इससे ना ही स्थानीय युवाओं को कोई फायदा मिलता है और ना ही पर्यावरण के क्षेत्र में कोई काम किया जाता है. ऐसे में सिर्फ ये कंपनियां अपना फायदा साधकर यहां के लोगों को बेवकूफ बनाने का कार्य कर रही हैं.

हेली सेवाओं से जिला पंचायत उपाध्यक्ष नाराज: रुद्रप्रयाग में जारी बयान में जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि केदारनाथ यात्रा के दौरान केदारघाटी से 9 से 10 हेली सेवाएं संचालित होती हैं. करीब 14 सालों से हवाई सेवाएं केदारघाटी से संचालित हो रही हैं. केदारनाथ आपदा के बाद से हेली सेवा कंपनियों की तादात बढ़ती गई है. ये हेली सेवा कंपनी केदारघाटी से उड़ान भर रही हैं. यहां के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इनके उड़ाने भरते समय जहां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है, वहीं वन्य जीव जंतु भी विचलित हो जाते हैं. स्थानीय लोगों के मवेशियों को भी इन उड़ानों से परेशानी होती है. इन सब चीजों के बावजूद भी यहां के स्थानीय युवाओं को ये कंपनियां रोजगार नहीं दे रही हैं.

हेली सेवाओं की मनमानी पर रोक लगाने की मांग: जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि इस बार हेली सेवा कंपनियों की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी. इन कंपनियों के बिचौलिये टिकटों को ब्लैक में बेचते हैं. तीर्थयात्रियों से कंपनियों के कर्मचारी बदसलूकी करते रहते हैं. इनकी शिकायतों से यात्री तो परेशान रहते ही हैं, साथ ही स्थानीय लोगों को इन कंपनियों के कारण मुसीबतें उठानी पड़ती हैं. तिवाड़ी ने कहा कि जिन यात्रियों के ऑनलाइन टिकट बुक हो जाते हैं, उन्हें कंपनियों के कर्मचारी बेवकूफ बनाकर परेशान करते हैं.

हेली सेवाओं के टिकट ब्लैक करने का आरोप: तीर्थयात्री जब हेली सर्विस का लाभ उठाने यहां पहुंचते हैं तो उनको बड़ा झटका लगता है. उनसे कहा जाता है कि उनका टिकट कैंसिल हो गया है. इसके बाद इन टिकटों को कैंसिल कर कर्मचारी दूसरे तीर्थयात्रियों को महंगी कीमतों पर बेच देते हैं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है कि इन हेली कंपनियों में स्थानीय युवाओं को वरीयता दी जाए. यहां के लोगों ने अपनी जमीनें हेलीपैड बनाने को दी हैं, जबकि यहां का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. ये हेली कंपनियां हर साल करोड़ों का व्यापार करके चली जाती हैं और क्षेत्र के वातावरण को प्रदूषित कर देती हैं. जिस कारण केदारघाटी के मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. केदारघाटी का पर्यावरण दूषित होने के साथ ही वन्य जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर हेली सेवाएं उड़ान भरती हैं. वन पर्यावरण मंत्रालय भी इन पर कार्रवाई करने के बजाय सोया रहता है.

स्थानीय युवाओं को शत प्रतिशत रोजगार देने की मांग: उन्होंने कहा कि इस बार जीएमवीएन से हेली टिकट बुकिंग की व्यवस्था को हटाकर आईआरसीटीसी को जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में वे चाहते हैं कि जो भी कंपनियां यहां पर अपनी सेवाएं देने को आ रही हैं, वे तीर्थयात्रियों से अच्छा व्यवहार रखें. साथ ही ब्लैक टिकटिंग पर रोक लगने के साथ ही स्थानीय युवाओं को शत-प्रतिशत रोजगार मिले. जिससे स्थानीय लोगों को इन हेली कंपनियों से फायदा मिल सके. साथ ही पर्यावरण को लेकर भी इन कंपनियों को कार्य करने की जरूरत है.
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जिला प्रशासन से कड़ी नजर रखने की अपील: जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने जिला प्रशासन से मांग की कि हेली कंपनियों की मनमानी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाए. साथ ही इन कंपनियों पर कड़ी निगरानी भी रखी जाए, जिससे ये अपनी मनमर्जी ना कर सकें और तीर्थयात्रियों को भी राहत मिल सके.

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