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चीन से घट रही कीड़ा जड़ी की मांग, गहराया रोजी रोटी का संकट

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Published : Aug 25, 2019, 2:28 PM IST

Updated : Aug 25, 2019, 5:19 PM IST

चीन अब नही कर रहा यारसागंबू जड़ी की मांग

उच्च हिमालयन वियाग्रा के नाम से विख्यात कीड़ा जड़ी हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया है. इसी जड़ीबूटी को बेचकर सीमांत क्षेत्रों के हजारों लोग साल भर की रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं. 10,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर इस दुर्लभ जड़ी को ढूंढना बेहद मुश्किल काम है.

पिथौरागढ़: हिमालयन जड़ी यारसागंबू के विपड़न के लिए भले ही सरकार ने नीति बना दी हो. लेकिन कीड़ा जड़ी (यारसागंबू) चुनकर लाने वाले लोगों के अच्छे दिन नहीं आये है. दरसअल, इस बार चीन के बाजार में भी कीड़ा जड़ी की डिमांड कम हो गयी है. जिस वजह से 14 लाख रुपये प्रति किलो बिकने वाली कीड़ाजड़ी अब 3 लाख रुपये प्रति किलो भी नहीं बिक पा रही है. वहीं, डिमांड ना होने की वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले हज़ारों लोगों की रोजी रोटी खतरे में आ गयी है.

चीन अब नहीं कर रहा कीड़ा जड़ी की मांग.

बता दें कि उच्च हिमालयन वियाग्रा के नाम से विख्यात कीड़ा जड़ी हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया है. इसी जड़ीबूटी को बेचकर सीमांत क्षेत्रों के हजारों लोग साल भर की रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं. 10,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर इस दुर्लभ जड़ी को ढूंढना बेहद मुश्किल काम है. इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन के चलते कीड़ा जड़ी का उत्पादन भी काफी कम हुआ है.

वहीं, चीन ने इस बार कीड़ा जड़ी (यारसागंबू) खरीदने से हाथ पीछे कर लिए है. जिस कारण करोड़ों की कीमत का यारसागंबू ग्रामीणों के पास डंप पड़ा हुआ है. यारसागंबू को खरीदने और उसे चीन की मार्केट में बेचने वाले नेपाली ठेकेदार इस बार यारसागंबू की खरीद के लिए नहीं पहुंचे है. जो ठेकेदार पहुंचे भी है वो औने-पोने दामों में कीड़ा जड़ी खरीद रहे हैं. दाम कम मिलने की वजह से ग्रामीणों ने भी माल नहीं बेचा है. बताया जा रहा है कि चीन ने यारसागंबू को लेकर भारत पर निर्भरता खत्म कर दी है. जिस कारण सीमांत क्षेत्र के लोगों पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.

Intro:नोट- सर यारसागंबू के विजुअल wrap से भेजे है।

पिथौरागढ़: हिमालयन जड़ी यारसागंबू के विपड़न के लिए भले ही सरकार ने देर सवेर नीति बना दी हो। मगर यारसागंबू का दोहन करने वाले लोगों के अच्छे दिन नही आये है। दरसअल इस बार चीनी बाजार में यारसागंबू की डिमांड कम हो गयी है। जिस वजह से 14 लाख रुपये प्रति किलो बिकने वाली कीड़ाजड़ी अब 3 लाख रुपये प्रति किलो भी नही बिक पा रही है। यारसागंबू की डिमांड ना होने की वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले हज़ारों लोगों की रोजी रोटी खतरे में आ गयी है।


Body:हिमालयन वियाग्रा के नाम से विख्यात यारसागंबू उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया है। इसी जड़ीबूटी को बेचकर सीमांत क्षेत्रों के हजारों लोग साल भर की रोजी-रोटी का जुगाड़ करते है। 10,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर दुर्लभ यारसागंबू को ढूंढना बेहद मुश्किल काम है। इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन के चलते यारसागंबू का उत्पादन काफी कम हुआ है। वहीं चीन ने इस बार यारसागंबू खरीदने से हाथ पीछे कर लिए है। जिस कारण करोड़ो की कीमत का यारसगम्बू दोहनकर्ताओं के पास डंप पड़ा हुआ है।

यारसागंबू को खरीदने और उसे चीनी मार्केट में बेचने वाले नेपाली ठेकेदार इस बार यारसागंबू की खरीद के लिए नही पहुंचे है। जो ठेकेदार पहुँचे भी है वो ओने-पोने दामों में यारसगम्बू खरीद रहे है। दाम कम मिलने की वजह से दोहनकर्ताओं का माल नही बिका है। बताया जा रहा है कि चीन ने यारसागंबू को लेकर भारत पर निर्भरता खत्म कर दी है। जिस कारण सीमांत क्षेत्र के लोगों पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है।

Byte: जगत मर्तोलिया, स्थानीय


Conclusion:
Last Updated :Aug 25, 2019, 5:19 PM IST
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