श्रीनगरः अपनी बॉडी पर टैटू बनवाना अब आम हो गया है. पहाड़ के युवा भी शौकिया तौर पर अपने शरीर पर टैटू बनवा लेते हैं, लेकिन सेना भर्ती के दौरान यह टैटू उनके लिए रोड़ा बन जाता है. जिसे हटाने के लिए युवाओं को देहरादून की दौड़ लगानी पड़ती है, लेकिन अब पहाड़ के युवाओं को टैटू हटाना आसान हो गया है.
दरअसल, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज (बेस अस्पताल श्रीकोट) के त्वचा रोग विभाग में लेजर थेरेपी के माध्यम से आसानी से टैटू हटाए जा रहे हैं. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग में पिंपल, झाइयां, चेहरों के गड्ढे, सफेद दाग, अर्टिकेरिया समेत अन्य बीमारियों का इलाज करना आसान हो गया है.
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने त्वचा रोग विभाग में लेजर थेरेपी के कई उपकरण लगाए हैं. जिससे पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी के मरीजों को त्वचा रोग से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए अब देहरादून की दौड़ नहीं लगानी होगी. इससे पहाड़ के लोगों का समय बचेगा. साथ आर्थिक रूप से परेशानी नहीं होगी.
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त्वचा रोग विभाग में तैनात डॉक्टर प्रतिक्षा ने बताया कि उनके विभाग में डायोड लेजर (Laser diode), एनडी याग लेजर (Nd YAG laser), माइक्रोनीडलिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी मशीन (Micro Needling Radio Frequency MNRF Machine) समेत अन्य मशीनें मिली हैं. जिनसे अनेक बीमारियों का उपचार किया जा रहा है.
विभाग के पास समुचित प्रशिक्षित स्टाफ भी है, जिससे विभाग मरीजों को सुगमता से संतोषजनक उपचार दे रहा है. उन्होंने कहा कि शरीर पर बालों की अधिकता से परेशान युवतियों के लिए भी उपचार सरल हो गया है. डॉ. प्रतिक्षा ने बताया कि फोटोथेरेपी मशीन से सफेद दाग, अर्टिकेरिया समेत अन्य बीमारी के मरीजों का उपचार किया जाता है.
एक मरीज को दस सीडिंग एक दिन छोड़कर दी जाती है. इसमें किरणों के माध्यम से सफेद दाग दूर होते हैं. अर्टिकेरिया के चकत्ते हट जाते हैं. वहीं, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीएमएस रावत ने कहा कि मेडिकल कॉलेज को हाईटेक बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. इसी के तहत सभी विभागों में नई मशीनें लगाई जा रही हैं.
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ये मशीनें लगी हैं
- डायोड लेजर
- एनडी याग लेजर
- आईपीएल लेजर
- एमएनआरएफ मशीन
- फोटोथेरेपी मशीन
पीआरपी भी हुई शुरूः श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग में पीआरपी (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी) भी शुरू हो गई है. ये बाल झड़ने, बालों के रिग्रोथ समेत सिर, चेहरे की अनेक समस्याओं के समाधान में अहम थेरेपी है. विभाग अभी तक कई मरीजों की पीआरपी कर चुका है, जिसका विभाग को सकारात्मक परिणाम भी मिल रहा है.