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मां नंदा-सुनंदा देवी महोत्सव में पंच आरती का है विशेष महत्व, जानिए कैसे

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Published : Sep 15, 2021, 1:04 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 1:27 PM IST

नैनीताल में होने वाले मां नंदा देवी महोत्सव में मां की पंच आरती का विशेष महत्व है. इसमें शामिल होने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते थे. लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण के चलते ये संभव नहीं है.

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मां नंदा सुनंदा देवी महोत्सव में पंच आरती

नैनीताल: इन दिनों नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा का महोत्सव चरम पर है. पल-पल मां के दरबार में कोई न कोई धार्मिक अनुष्ठान हो रहा है. इन्हीं में से एक पंच आरती है. इस आरती में दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

मां नंदा-सुनंदा की आराधना में पंच आरती का विशेष महत्व है. मां नंदा-सुनंदा की होने वाली इस पंच आरती की विशेषता यह है कि इस आरती को पांच तत्वों फूल, कपड़ा, पानी, वायु और अग्नि से किया जाता है. इस आरती के दौरान मां नंदा-सुनंदा से दिन भर की व्याधियों, नजरों को दूर किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पंच आरती में शामिल होने वालों पर मां नंदा-सुनंदा की असीम कृपा होती है. इसी कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें प्रतिभाग करते हैं.

मां नंदा-सुनंदा देवी महोत्सव में पंच आरती का है विशेष महत्व.

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मां नंदा-सुनंदा महोत्सव के तहत नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा है. भारी संख्या में श्रद्धालु नयना देवी और मां नंदा-सुनंदा के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. मां नंदा-सुनंदा की आराधना के दौरान पंच आरती का विशेष महत्व है.

कुमाऊं की कुलदेवी हैं मां नंदा-सुनंदा: कुमाऊं के लोग मां नंदा-सुनंदा देवी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. मां नंदा-सुनंदा की प्रतिमाओं को नगर भ्रमण कराने के बाद नैनी झील में विसर्जित करने की परंपरा है. मान्यता है कि मां अष्टमी के दिन स्वर्ग से धरती पर अपने मायके में विराजती हैं. 3 दिन अपने मायके में रहने के बाद पुनः वापस अपने ससुराल लौट जाती हैं. इस वजह से मां के डोले को झील में विसर्जित करने की परंपरा है. इस बार नगर भ्रमण समेत भव्यता पर अभी सरकार की अनुमति का इंतजार है. बता दें कि, नंदादेवी महोत्सव का आगाज 11 सितंबर से हुआ था और 17 सितंबर को मां नंदा देवी का डोला विसर्जन के साथ ही महोत्सव का समापन हो जाएगा.

Last Updated :Sep 15, 2021, 1:27 PM IST
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