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दिल्ली के प्रदूषण को कम करेंगे उत्तराखंड के ब्रॉड लीफ! ये रही योजना

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Published : Nov 14, 2022, 3:47 PM IST

दिल्ली की आबोहवा को हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र (Haldwani Forest Research Center) के पौध दुरुस्त करेंगे.अनुसंधान केंद्र (Haldwani Forest Research Center) से ब्रॉड लीफ यानी चौड़े पत्ते वाले करीब 5000 पौधों को दिल्ली भेजा जाएगा, जो प्रदूषण के स्तर को कम करने में सहायक होंगे.

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हल्द्वानी: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in delhi) का स्तर इतना ऊपर जा चुका है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बनता जा रहा है. दिल्ली सरकार से लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ भी प्रदूषण के इतने ऊंचे लेवल पर चिंता जाहिर कर चुके हैं, लेकिन नतीजा शून्य ही निकला. वहीं हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र (Haldwani Forest Research Center) से ब्रॉड लीफ यानी चौड़े पत्ते वाले करीब 5000 पौधों को दिल्ली भेजा जाएगा, जो प्रदूषण के स्तर को कम करने में सहायक होंगे.

दिल्ली की आबोहवा को ठीक करेंगे पौधे: गौर हो कि इन पौधों में पीपल, बरगद, पाकड़, ढाक, गूलर के पौधे शामिल हैं, जो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में पाये जाने वाले चौड़े पत्ते वाले पौधे प्रदूषण के स्तर को काफी हद तक कम करने में सक्षम हैं, ये पौधे पारिस्थितिकी तंत्र का एक बड़ा हिस्सा भी है. जैव विविधता से परिपूर्ण ये पौधे प्रदूषित दिल्ली के पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत करने में भी मददगार होंगे, हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में इन पौधों को विकसित किया गया है.

दिल्ली के प्रदूषण को कम करेंगे उत्तराखंड के ब्रॉड लीफ.
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दिल्लीवासियों की सुधारेंगे सेहत: खास कर इन पौधों में फाइकस प्रजाति के पौधे हैं, जो चौड़े पत्ती वाले हैं और धूल और धुंध को रोकने में सक्षम है, इन पौधों में बरगद, खैर, साधन की प्रजातियां शामिल हैं. ये पौधे जैव विविधता संरक्षण व संवर्धन में अहम भूमिका निभाएंगे ही इसके अलावा प्रदूषण से जूझ रहे दिल्लीवासियों की सेहत भी सुधारेंगे. वन अनुसंधान के अधिकारियों के मुताबिक इन पौधों को दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क (Delhi Biodiversity Park) के अलावा जहां भी खाली जगह होगी, वहां पौध रोपित किए जाएंगे, इन पौधों को रोपित करने का बीड़ा दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) ने उठाया है.
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सब कुछ ठीक ठाक चला तो वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी का यह प्रयोग दिल्ली में सफल रहा तो आने वाले दिनों में ये पौधे देश के अन्य हिस्सों में फैल रहे प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी कामयाब होंगे.

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