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हरिद्वार गंगा में लावारिस अस्थियों का विसर्जन, 5945 लोगों को मिला 'मोक्ष'

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 8, 2023, 5:58 PM IST

Updated : Oct 8, 2023, 8:01 PM IST

Bone immersion in Haridwar
हरिद्वार गंगा में अस्थि विसर्जन

Ashes Immersion in Ganga श्री देवोत्थान सेवा समिति ने हरिद्वार के सती घाट पर 5945 लोगों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया. अस्थि विर्सजन का कार्यक्रम पूरे विधि विधान और कर्मकांड़ों के साथ किया गया. अभी तक यह संस्था 22 सालों में करीब 1 लाख 61 हजार 161 अस्थियों का विसर्जन कर चुकी है.

हरिद्वार गंगा में लावारिस अस्थियों का विसर्जन

हरिद्वारः सनातन धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद जब तक उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित न किया जाए, तब तक उसकी मुक्ति नहीं मानी जाती है, लेकिन कई लोगों की अस्थियों को लावारिस समझकर शमशान घाट पर ही छोड़ दिया जाता है. ऐसे में दिल्ली की एक संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति ने इन लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने का बीड़ा उठाया है. इसी कड़ी में संस्था देश के विभिन्न हिस्सों से जमा की गई करीब 5945 लावारिस अस्थियों को विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित की है.

Asthi Kalash Visarjan Haridwar
हरिद्वार में अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम

हरिद्वार के कनखल स्थित सती घाट पर एक साथ करीब 5945 संग्रहित अस्थियों को पूरे विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित किया गया. इन अस्थियों को दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति ने गंगा प्रवाहित किया. संस्था इसी तरह बीते 22 सालों से करीब 1 लाख 61 हजार 161 लावारिस लोगों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर चुकी है. इतना ही नहीं अस्थियों को सनातन धर्म के पूरे रीति रिवाज और धार्मिक कर्मकांड के तहत गंगा में प्रवाहित की जाती है.
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इस बार भी इन लावारिस अस्थियों को पहले एक शोभा यात्रा के जरिए भूपतवाला से हरकी पैड़ी और शहर के अन्य स्थानों से होते हुए सती घाट तक लाया गया. जहां पर पूरे विधि विधान के साथ इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया गया. संस्था के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र का कहना है कि उनका उद्देश्य लोगों को अपनों के प्रति जागरूक कर उन्हें मुक्ति या मोक्ष दिलाना है. यह विश्वास और भटकती आत्माओं को शांति प्रदान करने का काम है. युवाओं को अपने बुजुर्गों के प्रति जिम्मेदारी के बोध को जाग्रत करना भी पुण्य का काम है.

Asthi Kalash Visarjan Haridwar
हजारों लोगों को मिला मोक्ष

पाकिस्तान से आने वाली अस्थियों को नहीं मिली अनुमतिः देवोत्थान सेवा समिति दिल्ली के महामंत्री विजय शर्मा ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी पाकिस्तान से अस्थियां आनी थी, लेकिन वीजा न मिलने के कारण वो भारत में नहीं पहुंच पाई है. इस बार पाकिस्तान से करीब 352 के अस्थियों के भारत आने की उम्मीद है. जो 10 अक्टूबर तक भारत आ सकती है. जिन्हें हरिद्वार में गंगा में विसर्जित किया जाएगा.

Last Updated :Oct 8, 2023, 8:01 PM IST
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