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पेशवाई के रंग में रंगी धर्म नगरी, ढोल-दमाऊ की धुन पर नाच रहे साधु-संत

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Published : Mar 3, 2021, 12:09 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 1:48 PM IST

dhol-damaun
ढोल-दमाऊं

धर्मनगरी हरिद्वार आज निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के मौके पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति से सराबोर है. ढोल-दमाऊ की मनमोहक धुन पर साधु-संत झूम रहे हैं.

हरिद्वार: पेशवाई के दौरान पहली बार हरिद्वार में उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक ढोल-दमाऊ की थाप पर साधु-संत नाच रहे हैं. महाकुंभ की पेशवाई के दौरान साधु-संतों का हर रंग-रूप दिखाई दे रहा है जिससे आम जन परिचित नहीं होते. यह पहली बार हो रहा है जब पेशवाई में उत्तराखंड के ढोल-दमाऊ के साथ-साथ छोलिया नृत्य हो रहा है. 40 से अधिक कलाकारों का यह समूह पेशवाई के शुरुआती चरण में है.

ढोल-दमाऊं की धुन पर नाच रहे साधु-संत.

छोलिया नृत्य के प्रमुख मोहनदा का कहना है कि यह पहली बार है जब उन्हें कुंभ में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पेशवाई में दिखाने का मौका मिला है. बेहद सुंदर वेशभूषा के साथ नृत्य करते हुए उत्तराखंड के कलाकार पेशवाई को मनमोहक बना रहे हैं.

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मोहनदा का कहना है कि सिर्फ निरंजनी अखाड़े में ही नहीं तमाम अखाड़ों से उन्हें इस बार बुलावा आया है. लिहाजा वह अपनी पूरी तैयारी के साथ पूरे कुंभ के दौरान हरिद्वार में ही रहेंगे.

क्या होती है पेशवाई

महाकुंभ का मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. इस मेले का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है. कुंभ में शामिल होने के लिए 14 अखाड़ों की पेशवाई भी निकाली जाती है. पेशवाई यहां अखाड़ों के कुंभ में धूमधाम से पहुंचने को कहते हैं.

Last Updated :Mar 3, 2021, 1:48 PM IST
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