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चकराताः चालदा महासू मंदिर में सुख-समृद्धि की कामना को लेकर महिलाओं ने चढ़ाया चांदी का छत्र

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Published : Jun 23, 2022, 7:57 PM IST

Updated : Jun 24, 2022, 11:22 AM IST

चकराता के समालटा गांव में विराजित चालदा महासू देवता मंदिर में जौनसार बावर के पैतृक गांव की महिलाओं ने चांदी का छत्र चढ़ाया. इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा देव स्तुति करने के उपरांत मंदिर परिसर में महिलाओं ने हारूल नृत्य किया.

Chalda Mahasu Temple
चालदा महासू मंदिर

विकासनगरः देहरादून के चकराता के समालटा गांव में इन दिनों नवनिर्मित मंदिर चालदा महासू देवता विराजित हैं. आज जौनसार बावर के पैतृक गांव की कन्याओं ने अपने परिवार, गांव क्षेत्र की खुशहाली के लिए चांदी का छत्र चढ़ाया. साथ ही देव दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की.

जौनसार बावर के केत्री गांव की विवाहिताओं व कुंवारी कन्याओं ने समालटा गांव स्थित चालदा महासू देवता के मंदिर के लिए चांदी का छत्र को लेकर अपने गांव केत्री से देव दर्शन के लिए निकली. समालटा गांव स्थित चालदा महासू मंदिर पहुंचते ही महासू देवता के जयकारों के साथ देव दर्शन कर मंदिर में चांदी का छत्र चढ़ाया. इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा देव स्तुति करने के उपरांत मंदिर परिसर में महिलाओं ने हारूल नृत्य किया.

चालदा महासू मंदिर में महिलाओं ने चढ़ाया चांदी का छत्र.
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ग्राम पंचायत केत्री गांव की महिला प्रधान प्रर्मिला चौहान ने कहा कि गांव की सभी लड़कियों ने चालदा महासू महाराज मंदिर समालटा के लिए चांदी का छत्र चढ़ाने के लिए काफी उत्साहित थी और महाराज से सुख समृद्वि की कामना की. हमारा क्षेत्र परिवार गांव समाज पर अपना आर्शीवाद बनाए रखें.

67 साल बाद विराजमानः चालदा महासू देवता करीब 67 साल बाद समाल्टा के नवनिर्मित मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ 24 नवंबर 2021 को विराजमान हुए थे. खत समाल्टा समेत 11 गांव के श्रद्धालु चालदा महासू देवता को लाने के लिए 21 नवंबर को मोहना गांव गए थे. चालदा महाराज (देवता) मोहना गांव मे करीब दो वर्ष से प्रवास पर थे. मोहना गांव से चालदा देवता की देव डोली ने समाल्टा के लिए प्रवास किया था

गांव वाले करते हैं कुल देवता का भव्य स्वागत: बता दें कि अपनी अलग संस्कृति और रीति रिवाजों के लिए जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर पूरे देश में एक अलग पहचान रखता है. इस क्षेत्र के लोगों के कुल देवता चालदा महासू महाराज है, जो हर साल जौनसार बावर के साथ ही बंगाण और हिमाचल के बड़े भू-भाग पर भ्रमण करते हैं और किसी गांव में पहुंचने पर चालदा महाराज एक साल तक उसी गांव में प्रवास करते हैं. इस दौरान गांव से देवता की विदाई और दूसरे गांव में देवता के स्वागत का नजारा देखने लायक होता है. देवता की विदाई करने वाला गांव भरी आंखों से उन्हें विदा करते हैं तो दूसरा गांव देवता का स्वागत नाच गाने के साथ स्वागत करते हैं.
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चालदा महासू महाराज क्षेत्र के अराध्य हैं: मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ के अंश कहे जाने वाले महासू महाराज इस क्षेत्र के अराध्य देवता हैं. और वो इसी तरह सदियों से इस क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों की मन्नतें पूरी करते हैं. इस बार देवता मोहना गांव में एक साल गुजारने के बाद समाल्टा गांव पहुंचे हैं. देवता के भ्रमण के दौरान हजारों लोग उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं. जिससे साफ है कि लोगों में चालदा महासू महाराज के प्रति अपार आस्था और श्रृद्धा है. देवताओं के प्रति अपार आस्था आज भी उत्तराखंड के लोगों में मौजूद हैं. इसलिए ही शायद उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है.

Last Updated :Jun 24, 2022, 11:22 AM IST
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