उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के एकमात्र मसूरी म्युनिसिपल डिग्री कॉलेज में अध्यापकों के 23 स्वीकृत पदों में से अधिकतर पद खाली होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने कॉलेज प्रबंधन व राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि खाली पड़े पदों पर शीघ्र भर्ती करें.
आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि आरक्षण का रोस्टर नहीं बनने के कारण इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई, लेकिन अब सरकार ने आरक्षण का रोस्टर तैयार करके जारी कर दिया है, जल्द ही खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां की जा रही है.
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महाविद्यालय की बीए प्रथम वर्ष की छात्रा मसूरी निवासी अनीशा ने इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नियमित अध्यापक न होने से पठन पाठन बाधित हो रहा है. कई संकायों में कोई भी नियमित अध्यापक नहीं हैं, जबकि आसपास के पूरे ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह एकमात्र डिग्री कॉलेज है. मसूरी म्युनिसिपल डिग्री कॉलेज उत्तराखंड का एक मात्र डिग्री कॉलेज है, जिसका प्रबंधन नगर पालिका के पास है.
अनीशा ने कोर्ट को बताया था कि यह मसूरी क्षेत्र का एकमात्र उच्च शिक्षण संस्थान भी है, जहां 850 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. कॉलेज को राज्य सरकार की तरफ से सहायता मिलती है और यूजीसी से मान्यता भी मिली हुई है. यहां अध्यापकों के 23 पद स्वीकृत होने के बावजूद अधिकांश पद खाली हैं और मात्र 9 अध्यापक वर्तमान में नियुक्त है. कई संकाय में तो कोई भी नियमित अध्यापक तक नहीं है.
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कोर्ट ने पूर्व में सरकार से पूछा था कि महाविद्यालय में शिक्षकों के इतनी बड़ी संख्या में पद कैसे रिक्त चले आ रहे हैं? साथ ही यह भी बताने को कहा था कि अध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में अभी तक क्या प्रक्रिया हुई है और क्या क्या कदम उठाए गए हैं? सरकार ने आज इसकी वजह आरक्षण का रोस्टर तैयार नहीं होना बताया.