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Purchase Preference Policy: उत्तराखंड में रोजगार बढ़ाने का नया प्लान, खरीद वरीयता नीति होगी तैयार

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Published : Feb 2, 2023, 9:19 AM IST

Updated : Feb 2, 2023, 9:26 AM IST

उत्तराखंड सरकार खरीद वरीयता नीति को लागू करने जा रही है. इस नीति का मकसद उत्तराखंड में जरूरत की चीजों का उत्पादन करना है. जिस सरकारी विभाग को जो चीज खरीदनी होगी, कोशिश होगी कि वो चीज उत्तराखंड में ही उत्पादित हो. इसका मकसद राज्य में रोजगार बढ़ाना भी है. उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी डॉक्टर सुखबीर सिंह संधू ने अधिकारियों के साथ बैठक में ये निर्देश दिया.

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देहरादून: मुख्य सचिव डाॅक्टर एसएस संधू ने सचिवालय में शासन और विभाग के सभी अधिकारियों के साथ प्रदेश में निवेश योग्य योजनाओं के सम्बन्ध में चर्चा की. उन्होंने नियोजन विभाग से खरीद वरीयता नीति (Purchase Preference Policy) तैयार करने के निर्देश दिए. इस पॉलिसी के तहत विभागों से जानकारी मांगी जाए कि किस विभाग को किस प्रकार की खरीद करनी होती है. इसके अनुसार प्रदेश में ही वस्तुओं आदि के उत्पादन पर फोकस किया जाएगा.

आर्थिक गतिविधि बढ़ाने का प्लान: मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए प्रत्येक विभाग से एक प्रारूप में सभी प्रकार की जानकारियां मांगी जाएं. ताकि प्रदेश में इन खरीदे जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन किया जाए. इससे प्रदेश में जरूरत की चीजें उत्पादित होने से रोजगार तो उत्पन्न होगा ही, साथ ही राज्य में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी. उन्होंने कहा कि इस प्रकार खपत संचालित योजनाओं से प्रदेश को लाभ होगा.

लैंड बैंक पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश: मुख्य सचिव ने लैंड बैंक को पोर्टल पर अपलोड किए जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग लैंड बैंक पोर्टल पर अपने लिए सबसे उपयुक्त भूमि की तलाश कर सकेगा. इससे उस भूमि पर योजना की सफलता की अधिक सम्भावना होगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पर्यटन विभाग के पास पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विभिन्न जगहों पर अपनी भूमि हैं. पर्यटन विभाग के लिए पर्यटन से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए उसकी लोकेशन बहुत महत्वपूर्ण होती है.

सरकारी जमीनों के लिए नया सुझाव: पर्यटन विभाग इन भूमियों को प्रयोग करने की योजनाएं बना रहा है, परन्तु आसपास में किसी अन्य विभाग की भूमि है जो पर्यटन की उस योजना के लिए अधिक अनुकूल है. ऐसे में पर्यटन विभाग को अपनी भूमि के बजाय उस अधिक उपयुक्त भूमि पर निवेश करने की आवश्यकता है न कि अपनी भूमि पर. उन्होंने कहा कि विभागों के पास जो भी भूमियां हैं, वह सार्वजनिक सम्पत्ति हैं, जो विभाग को उनके कार्यों के लिए दी गयी हैं. उन्होंने अधिकारियों द्वारा उनके विभाग की भूमि में उन्हीं के विभाग से सम्बन्धित योजनाओं का ही संचालन हो, की मानसिकता को त्यागे जाने की जरूरत बताया. मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के हित में जिस भूमि की जिस कार्य अथवा योजना के लिए अधिक उपयोगिता होगी, उसी कार्य के लिए प्रयोग की जानी चाहिए.

पोषक अनाजों के उत्पादन पर जोर: मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पोषक अनाजों की अत्यधिक सम्भावनाएं हैं. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में योजनाएं तैयार किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने उद्यान विभाग को हाॅर्टी टूरिज्म की दिशा में योजनाएं लाए जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने वन विभाग को धनौल्टी की तर्ज पर प्रदेशभर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की भी बात कही. मुख्य सचिव ने कहा कि देहरादून और मसूरी के आवासीय विद्यालय भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. इस प्रकार के आवासीय विद्यालयों को पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है. इससे न सिर्फ इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी बल्कि इससे प्रदेश और प्रदेशवासियों को किसी न किसी रूप में लाभ मिलेगा.
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समस्याओं के निपटारे के लिए मैकेनिज्म होगा तैयार: मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में बहुत से निवेश और उद्योग छोटी-छोटी समस्याओं के कारण अटक जाते हैं. इनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए शासन, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर तीन स्तर में समितियां गठित की जा सकती हैं. पहले स्तर पर शासन में समस्या का निराकरण किया जाए. यदि वहां समस्या का निस्तारण नहीं होता तो मुख्य सचिव स्तर पर समाधान किया जाएगा. उसके बावजूद समाधान नहीं हो सका तो मुख्यमंत्री स्तर पर गठित समिति उस समस्या का निस्तारण करेगी.

Last Updated : Feb 2, 2023, 9:26 AM IST
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