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उत्तराखंड हादसे: 4 महीने में 500 एक्सीडेंट, 300 की मौत, वो महीने जब सोते नहीं हैं ड्राइवर !

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Published : Jun 7, 2022, 4:34 PM IST

उत्तरकाशी हादसे में मृत वो 26 लोग कौन थे? वो गुमनाम नहीं थे. वो किसी का बेटा रहा होगा, किसी बच्ची का पिता रहा होगा. किसी की मां-बहन-बेटी रही होगी. ये सभी लोग खुशी-खुशी घर से चारधाम दर्शन-पूजन के लिए निकले थे. लेकिन एक हादसे की वजह से वह मौत के सफर पर निकल पड़े. ये हादसा किसी के साथ भी हो सकता है और दोष नियति को दे दिया जाता है. लेकिन, विभागीय उदासीनता और सरकार की उपेक्षा के चलते इस अचानक होने वाली घटना की स्क्रिप्ट कोई पहले ही लिख चुका होता है.

Uttarkashi Bus Accident Side Story
उत्तराखंड में सड़क हादसे

देहरादून: शुद्ध आबोहवा, पर्वतों की ऊंची चोटियां, बहते झरने, चिड़ियों की चहचहाहट और बिना गरजे अचानक बादलों का बरस जाना. हर शख्स देवभूमि उत्तराखंड के इन अद्भुत नजारों का दीदार करना चाहता है. लेकिन, कुछ लोगों को यह सब देखना नसीब होता है और कुछ लोग इसे देखने की चाहत में असमय काल के गाल में समा जाते हैं. ऐसी ही हसरत लिए मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के 30 लोग उत्तराखंड आए हुए थे. लेकिन, एक एक्सीडेंट ने 26 लोगों को मौत की नींद सुला दिया. इन लोगों के लिए उत्तराखंड के अद्भुत नजारों का दीदार करना महज एक सपना बनकर रह गया.

दरअसल, उत्तरकाशी जिले के पुरोला क्षेत्र में रविवार को डामटा के पास एक बस गहरी खाई में गिर गई. इस हादसे में बस में सवार कुल 26 लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में 25 लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के तीर्थ यात्रियों की बस ऋषिकेश-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 94 पर डामटा से दो किलोमीटर आगे रिखावू खड्ड में गिर गई. दुर्घटना के समय श्रद्धालु यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए जा रहे थे.

दो महीने नहीं सोते हैं ड्राइवर: उत्तराखंड में मई और जून दो महीने ऐसे होते हैं, जब ड्राइवरों को नींद नसीब नहीं होती है. वह दिन-रात सड़कों पर यात्रियोंं को एक जगह से दूसरी जगह छोड़ने में व्यस्त रहते हैं. क्योंकि चारधाम यात्रा की वजह से इन दो महीनों में लाखों की संख्या में सैलानी देश के अलग-अलग हिस्सों से उत्तराखंड पहुंचते हैं. ऐसे में ड्राइवर अधिक पैसा कमाने के चक्कर में अपनी नींद से समझौता करते हैं और अधिक से अधिक यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह छोड़ने के चक्कर में हादसों का शिकार हो जाते हैं.

4 मई के हादसे ने झकझोर दिया: रविवार को यमुनोत्री हाईवे पर हुए बस हादसे ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया है. इसके साथ ही 2017 को गंगोत्री हाईवे पर हुई बस दुर्घटना की यादें ताजा कर दी. 21 मई 2017 को नालुपानी के समीप हुए बस हादसे में 30 लोगों की जान गई थी. मृतकों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि उनके शवों को चिन्यालीसौड़ सीएचसी में रखने की जगह तक नहीं मिली थी. तब भी दुर्भाग्य से तीर्थयात्री मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और तत्कालीन सरकार भी हादसे को लेकर ठोस कारण ढूंढ नहीं सकी थी.

लैंड स्लाइड जोन में हुआ हादसा: उत्तरकाशी के डामटा से राणाचट्टी तक लैंड स्लाइड जोन है. स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, मई महीने के मध्य में लैंड स्लाइड के कारण यह रास्ता कुछ दिनों तक बंद था. बारिश के कारण इस रूट पर सिर्फ छोटे वाहनों को जाने की इजाजत थी. लेकिन, कुछ समय पहले ही बड़े वाहनों को रूट पर जाने की इजाजत मिली थी. आप कमोबेश इन सारे हादसों में पैटर्न देख सकते हैं. सब कुछ सामान्य चल रहा होता है और फिर पल भर में सब उलट-पलट हो जाता है. सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है, कि क्या हुआ, कैसे हुआ, कई बार हादसे के शिकार को याद ही नहीं होता.

खाई में कैसे गिरी तीर्थयात्रियों से भरी बस? स्थानीय लोगों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, रिखाड़ू खड्ड के पास जिस जगह पर यह बस दुर्घटनाग्रस्त हुई, वहां सड़क काफी चौड़ी है. ऐसे में वाहन यहां पर तेज रफ्तार से चला करती है. उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों से भरी यह बस भी तेज गति में थी. इसी दौरान सामने से आ रहे वाहन को पास देते समय चालक बस पर नियंत्रण खो बैठा. बस की रफ्तार काफी तेज होने के बाद वह सड़क से बाहर निकलकर गहरी खाई में जा गिरी.

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भीषण हादसों में चंपावत नंबर वन: उत्तराखंड में भीषण सड़क हादसों में चंपावत नंबर वन पर है. इस साल पांच माह में यहां पांच भीषण हादसे हुए हैं. इसमें 26 लोगों की जान गई. जबकि 50 से ज्यादा घायल हुए हैं. वहीं उत्तरकाशी तीन हादसों के साथ दूसरे नंबर पर है. यातायात निदेशालय ने उत्तरकाशी के डामटा में हुए भीषण हादसों के बाद ये आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों के अनुसार पौड़ी में भी अभी तक दो भीषण हादसों में दस लोगों की मौत हुई है, जबकि 19 लोग घायल हुए हैं.

वहीं टिहरी में दो भीषण हादसों में सात लोगों की मौत हुई है. अल्मोड़ा में एक हादसे में तीन और उधमसिंहनगर में सड़क हादसों में दो लोगों की मौत हुई है. ज्यादातर हादसे मैक्स या कार जैसे छोटे वाहनों से हुए, जबकि बस और ट्रक से तीन हादसे ही हुए हैं.

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उत्तराखंड में 4 महीनों में हुए 500 से ज्यादा एक्सीडेंट: उत्तराखंड के पहाड़ों में गाड़ी चलाना हर किसी के बस की बात नहीं. यहां इस साल जनवरी से अप्रैल तक यानि शुरुआती 4 महीनों में ही 500 से ज्यादा सड़क हादसों के मामले सामने आए हैं. इन हादसों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जबकि 450 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

राज्य के उप-परिवहन आयुक्त सनत कुमार का कहना है कि आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून के शहरी इलाकों को छोड़कर प्रदेशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में जनवरी से अप्रैल तक यानि शुरुआती 4 महीनों में 500 से अधिक सड़क हादसे हुए. जिनमें 300 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं 450 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इन हादसों के पीछे रैश ड्राइविंग, ओवर स्पीडिंग से लेकर गलत ड्राइविंग के 80 प्रतिशत से ज्यादा केस हैं.

उत्तराखंड में चारधाम की डगर आसान नहीं: चारधाम यात्रियों को डेंजर जोन, ब्लैक स्पॉट और भूस्खलन क्षेत्र से सुरक्षित आवाजाही कराना राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. उत्तराखंड ट्रैफिक निदेशालय के मुताबिक चारधाम यात्रा रूट पर 164 ब्लैक स्पॉट और 77 क्रैश साइट हैं, जो हादसों को दावत दे रहे हैं. ऐसे में ट्रैफिक विभाग ने सरकार को सूची भेजते हुए इन चिन्हित स्थानों के ट्रीटमेंट की गुहार लगाई है.

सरकार की तीर्थ यात्रियों से अपील: मई और जून के महीने में बदरीनाथ, केदारनाथ समेत चारधाम की यात्रा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इस बार भी यात्रियों की भारी संख्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों से अपील की थी कि वह रुक-रुक कर उत्तराखंड आएं, जिससे व्यवस्था बनी रहे. लेकिन, छुट्टियों का सीजन होने की वजह से लोग ऐसी एडवाइजरी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और पहाड़ों की यात्रा पर निकल जाते हैं.

बसों और ट्रेनों से उत्तराखंड पहुंचने वाले यात्रियों पर लोकल टैक्सी ही एकमात्र सहारा होती है. कुछ यात्री प्राइवेट बसों के जरिए भी उत्तराखंड का भ्रमण करते हैं. यात्रियों की भारी तादाद को देखते हुए ड्राइवर दिन रात गाड़ी चलाते हैं. ऐसे में कई बार ड्राइवर को नींद की झपकी आने पर गाड़ी खाई में गिर जाती है. हो सकता है कि मध्य प्रदेश के यात्री भी इसी चूक की वजह से मौत की भेंट चढ़ गए हों.

कुछ जगह खबरों में बताया जा रहा है कि ड्राइवर दो दिनों से सोया नहीं था. लेकिन, इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. मगर इतना जरूर कह सकते हैं कि मई और जून दो महीने ऐसे होते हैं, जब लाखों की तादाद में लोग उत्तराखंड पहुंचते हैं. बड़ी संख्या में यात्रियों के आने से ड्राइवरों को पैसे कमाने का अच्छा मौका हाथ लग जाता है. बिना सोए ड्राइवर दिन-रात उत्तराखंड के दुर्गम रास्तों पर गाड़ियों चलाते हैं. ऐसे में उन लाखों लोगों की जान पर जोखिम बढ़ जाता है, जो पहाड़ों की हसीन यादों को तस्वीरों में कैद करने के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं.

उत्तराखंड में इसलिए होते हैं हादसे: उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है. इस कारण यहां की सड़कें बहुत घुमावदार हैं. यानी ड्राइवर को लगातार स्टेयरिंग घुमाते रहना पड़ता है. एक तरफ पहाड़ होता है तो दूसरी तरफ खाई होती है. जहां ध्यान जरा सा टूटा, एकाग्रता भंग हुई हादसा होना तय है. या तो गाड़ी पहाड़ से टकराएगी या फिर खाई में गिरेगी. खाई भी कई सौ मीटर गहरी होती है. कई जगह खाई के नीचे नदी होती है.

सड़क हादसे रोकने के लिए क्या किया जाए? उत्तराखंड में सड़क हादसे रोकने के लिए सरकार को कई निर्णय लेने चाहिए. जैसे- जब ड्राइविंग का इच्छुक व्यक्ति पहाड़ की सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए पूरी तरह परफेक्ट हो जाए, तभी उसे गाड़ी चलाने का परमिट देना चाहिए. वैसे तो शराब पीकर गाड़ी चलाना प्रतिबंधित है. इसके बावजूद अनेक चालक शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं. इस पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए.

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