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शिफन कोर्ट से बेघर हुए परिवारों के समर्थन में आए राज्य आंदोलनकारी, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

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Published : Nov 3, 2020, 7:55 PM IST

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राज्य आंदोलनकारी मनीष नागपाल

राज्य आंदोलनकारियों का आरोप है कि न्यायालय की आड़ में प्रशासन ने मसूरी के शिफन कोर्ट से करीब 80 परिवारों को बेघर कर दिया है. आज वे खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है.

देहरादून: मसूरी में शिफन कोर्ट से 80 परिवारों को हटाए जाने का विरोध तेज हो गया है. विस्थापित परिवारों के समर्थन में राज्य आंदोलनकारी भी आ गए हैं. राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अतिक्रमण के नाम पर मसूरी के शिफन कोर्ट में रह रहे 80 परिवारों को बेघर कर दिया गया है. इन परिवारों को घर दिलाने के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन प्रेषित किया है.

राज्य आंदोलनकारी मनीष नागपाल ने कहा कि केवल रोपवे निर्माण के लिए इतने लोगों को हटाया जाना ठीक नहीं है. क्योंकि मसूरी में यह परिवार अंग्रेजों के जमाने से वहां रहे थे. केवल विकास के नाम पर जनता का उत्पीड़न किया जाना ठीक नहीं है.

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने न्यायालय की आड़ लेकर 80 परिवारों को बेघर कर दिया है. यदि सरकार चाहती तो शिफन कोर्ट के 80 परिवारों को राहत दे सकती थी. जिस प्रकार से देहरादून की बस्तियों को न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें अध्यादेश लाकर बचा लिया.

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उन्होंने कहा था अगर सरकार को इन्हें हटाना था तो पहले इनके पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए थी. ऐसे में यह लोग खुले में रहने को मजबूर हो गए हैं. राज्य आंदोलनकारियों ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इन 80 परिवारों को राज्य सरकार से तत्काल मुआवजा दिया जाएं. इसके साथ ही उन परिवारों का पुनर्वास किया जाए ताकि सर्द मौसम में यह लोग सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर न हो.

राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि यह वे लोग हैं जिनकी शहादतों की वजह से उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है. राज्य आंदोलनकारियों ने शहीद स्थल को कचहरी से हटाने का भी विरोध किया है. शहीद स्थल से राज्य आंदोलनकारियों की भावना जुड़ी हुई है. इसलिए शहीद स्थल को नहीं तोड़ा जाना चाहिए.

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