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प्रधानमंत्री तक पहुंची 'गैरसैंण' की गूंज, पीएमओ ने प्रदेश सरकार को लिखा पत्र

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Published : Jun 22, 2019, 9:17 PM IST

उत्तराखंड की सरकारों तक सीमित गैरसैंण में राजधानी का मुद्दा अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड से लगाव और राज्य सरकारों के गैरसैंण मामले पर उपेक्षा पूर्ण रवैया के चलते समाजसेवी अजय कुमार ने इस मामले को पीएमओ तक पहुंचाया है.

फाइल फोटो

देहरादून: गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने की मांग अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है. पीएमओ ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर गैरसैंण मामले पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. समाज सेवी अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को गैरसैंण मुद्दे की गंभीरता को बताते हुए मामले में हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा था.

उत्तराखंड में गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने का मुद्दा राजनेताओं के लिए हमेशा वोट बैंक तक सीमित रहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचे इस मामले पर अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

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उत्तराखंड की सरकारों तक सीमित गैरसैंण में राजधानी का मुद्दा अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड से लगाव और राज्य सरकारों के गैरसैंण मामले पर उपेक्षा पूर्ण रवैया के चलते समाजसेवी अजय कुमार ने इस मामले को पीएमओ तक पहुंचाया है.

पीएमओ ने प्रदेश सरकार को लिखा पत्र

पीएमओ को लिखे गए पत्र में अजय कुमार बताते हैं कि उत्तराखंड की सरकारों में गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने को लेकर नैतिक क्षमता खत्म हो गई है और इसीलिए वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मामले में दिशा निर्देश जारी करें. ताकि 18 सालों से उलझा यह मामला किसी नतीजे तक पहुंच सके.

राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व से लेकर रक्षा क्षेत्र तक उत्तराखंड का दबदबा साफ दिखाई देता है, लेकिन उत्तराखंड के मामले में नीति नियंता गैरसैंण को लेकर असफल दिखाई देते हैं. सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या फिर कांग्रेस की दोनों ही सरकारों में गैरसैंण केवल चुनावी मुद्दा रहा है. दोनों ही सरकारें इस मामले पर कोई भी स्टैंड नहीं ले सकी है.

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हालांकि दोनों ही दलों के नेता आरोप-प्रत्यारोप के मामले में एक दूसरे पर राजधानी का मामला उलझाने का ठीकरा फोड़ते रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि त्रिवेंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल में कोई भी काम नहीं किया. ऐसे में अब उनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है. हरीश रावत चुटीले अंदाज में कहते हैं कि जिनको बिना किए ही वोट मिल जाते हैं वह आखिरकार काम क्यों करेंगे.

उधर प्रधानमंत्री कार्यालय से उत्तराखंड सरकार को भेजे गए पत्र पर बीजेपी के प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ऐसे सैकड़ों पत्रों को नियमित रूप से देखता है और उसका जवाब भी देता है. साथ ही उत्तराखंड सरकार को भी कई मामलों में निर्देशित किया गया है. ऐसे में उत्तराखंड की बीजेपी सरकार से ही उम्मीद है कि वह इस मामले पर जरूर कोई कार्रवाई करेगी.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में हो... इसको लेकर राज्य आंदोलनकारियों समेत तमाम लोग अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं, लेकिन राज्य गठन के 18 सालों बाद भी इस दिशा में कोई खास पहल सरकारों की ओर से नहीं की गई है. ऐसे में आम लोग भी यह मान चुके हैं कि राज्य सरकारें गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है.

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बीजेपी प्रवक्ता द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र को सामान्य रूप से नियमित पत्र बताना यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से आए निर्देशों को बहुत ज्यादा गंभीरता से पार्टी नहीं लेती है. हालांकि मुख्य सचिव को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देशों का किस स्तर तक पालन होता है और इस पत्र को कितनी गंभीरता से लिया जाता है यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

Intro:summary- गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने की मांग अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक जा पहुंची है, पीएमओ ने मुख्य सचिव को मिले पत्र के हवाले से गैरसैंण मामले पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल समाज सेवी अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को गैरसैण मुद्दे की गंभीरता को बताते हुए उनसे मामले में हतक्षेप करने को लेकर पत्र लिखा था।


उत्तराखंड में गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने का मुद्दा राजनेताओं के लिए हमेशा वोट बैंक तक सीमित रहा है.. प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचे इस मामले पर आप प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव को नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।


Body:उत्तराखंड की सरकारों तक सीमित गैरसैंण में राजधानी का मुद्दा अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गया है... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड से लगाओ और राज्य सरकारों के गैर सेंड मामले पर उपेक्षा पूर्ण रवैया के चलते समाजसेवी अजय कुमार ने इस मामले को पीएमओ तक पहुंचाया है... पीएमओ को लिखे गए पत्र में अजय कुमार बताते हैं कि उत्तराखंड की सरकारों में गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने को लेकर नैतिक क्षमता खत्म हो गई है और इसीलिए वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गेट्स एंड के मामले में दिशा निर्देश जारी करें ताकि उत्तराखंड में 18 सालों से उलझा यह मामला किसी नतीजे तक पहुंच सके।

बाइट अजय कुमार समाजसेवी

राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व से लेकर रक्षा क्षेत्र तक उत्तराखंड का दबदबा साफ दिखाई देता है लेकिन उत्तराखंड के मामले में नीति नियंता गैरसैंण को लेकर असफल दिखाई देते हैं। सरकार चाहे भाजपा की रही हो या फिर कांग्रेस की दोनों ही सरकारों में गैरसैण केवल चुनावी मुद्दा रहा है। और दोनों ही सरकारें इस मामले पर कोई स्टैंड लेने में नाकामयाब रही है.. हालांकि दोनों ही दलों के नेता आरोप-प्रत्यारोप के मामले में एक दूसरे पर राजधानी का मामला उलझाने का ठीकरा फोड़ते रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बताते हैं कि त्रिवेंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल में कोई भी काम नहीं किया ऐसे में अब उनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है... हरीश रावत चुटकिले अंदाज में कहते हैं कि जिनको बिना किए ही वोट मिल जाते हैं वह आखिरकार काम क्यों करेंगे।

बाइट हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड

उधर प्रधानमंत्री कार्यालय से उत्तराखंड सरकार को भेजे गए पत्र पर भाजपा के प्रवक्ता बताते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ऐसे सैकड़ों पत्रों को नियमित रूप से देखता है और उसका जवाब भी देता है साथ ही उत्तराखंड सरकार को भी कई मामलों में निर्देशित किया गया है ऐसे में उत्तराखंड की भाजपा सरकार से ही उम्मीद है कि वह इस मामले पर जरूर कोई कार्यवाही करेगी।

बाइट शादाब शम्स प्रदेश प्रवक्ता भाजपा


पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में हो.. इसको लेकर राज्य आंदोलनकारियों समेत तमाम लोग अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं.. लेकिन राज्य गठन के 18 सालों बाद भी इस दिशा में कोई खास पहल सरकारों की तरफ से नहीं की गई है। ऐसे में आम लोग भी यह मान चुके हैं कि राज्य सरकारें गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है और इसीलिए उत्तराखंड


Conclusion:भाजपा के प्रवक्ता द्वारा ही प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र को सामान्य रूप से नियमित पत्र बताना यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से आए निर्देशों को बहुत ज्यादा गंभीरता से पार्टी नहीं लेती है। हालांकि मुख्य सचिव को नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देशों का किस स्तर तक पालन होता है और इस पत्र को कितनी गंभीरता से लिया जाता है यह आने वाला वक्त ही बताएगा।


पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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