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उत्तराखंड में टाइगर और भालू से भी खतरनाक साबित हो रहे जहरीले सांप, ताजा आंकड़ों ने सभी को चौंकाया

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 25, 2023, 12:53 PM IST

Updated : Aug 25, 2023, 4:54 PM IST

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forest department report आपको जानकार ताज्जुब होगा कि उत्तराखंड में टाइगर और भालू से भी ज्यादा खतरनाक सांप साबित हो रहे हैं. पिछले दस साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में गुलदार के बाद सांप के काटने से सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है.

उत्तराखंड में टाइगर और भालू से भी खतरनाक साबित हो रहे जहरीले सांप

देहरादून: उत्तराखंड में वन्यजीवों से इंसानों का संघर्ष वैसे तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन वन विभाग के पिछले 10 सालों के आंकड़ों ने जहरीले सांपों को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है. ताजा आंकड़े जाहिर करते हैं कि प्रदेश में न केवल भालू बल्कि बाघ जैसे खूंखार वन्य जीव से भी घातक जहरीले सांप बने हुए हैं. प्रदेश में वन विभाग के आंकड़ों ने सभी को क्यों चौंका दिया है, इसी पर स्पेशल रिपोर्ट.

उत्तराखंड में पिछले दिनों बाघों की गणना को लेकर सुखद आंकड़े आए तो इसने इंसानों के साथ संघर्ष की घटनाएं का डर और अधिक बढ़ा दिया है. दरअसल, बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड देश का तीसरा राज्य है. उत्तराखंड में कुल 560 बाघ हैं. हालांकि बाघों की संख्या घनत्व के लिहाज से देखी जाए तो उत्तराखंड पहले पायदान पर है. यह स्थिति होने के बावजूद उत्तराखंड में टाइगर इंसानों के लिए सबसे घातक वन्य जीव नहीं हैं.
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जहरीले सांपों से इंसानों को बड़ा खतरा: उत्तराखंड वन विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में जहरीले सांपों का आतंक इस कदर है कि बाघ और भालू जैसे खूंखार वन्यजीवों से ज्यादा लोग सांपों के काटे जाने से अपनी जान गंवा रहे हैं. उत्तराखंड में जहरीले सांपों से इंसानों को खतरे के रूप में क्या है स्थिति आंकड़ों के जरिए समझिए:

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ताजा आंकड़ों ने सभी को चौंकाया

सबसे बड़ी समस्या सांप! वन विभाग के यह ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि प्रदेश में गुलदार के बाद सबसे बड़ी समस्या सांप बन गए हैं. यह स्थिति तब है जब 80 प्रतिशत से ज्यादा सांप जहरीले नहीं हैं. राज्य में मानसून के दौरान सांपों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और सांप जमीन के नीचे से या अपने बिलों से बाहर निकलने लगते हैं.

मॉनसून में सांप काटने के मामले बढ़ जाते हैं: उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल बताते हैं कि मानसून के दौरान यह रिकॉर्ड किया गया है कि सांपों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और वह जमीन के बाहर निकलने लगते हैं. बड़ी बात यह है कि इस दौरान कई लोगों को सांप काट लेते हैं, जिसमें उनकी जान चली जाती है.
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वन विभाग के लिए भी बड़ी चुनौती: वन मंत्री सुबोध उनियाल की मानें तो वन विभाग इस स्थिति को चुनौती के रूप में ले रहा है और इसके लिए एक विशेष अभियान शुरू करने की भी कोशिश हो रही है. वन विभाग भी मानता है कि प्रदेश में सांपों के काटने से लोगों की मौत के मामले काफी बढ़ गए हैं और इसके लिए सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक न होना है.

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सांप काटे तो तुरंत जाएं हॉस्पिटल: अक्सर देखने में आता है कि सांप के काटने के बाद लोग डॉक्टरों के पास जाने के बचाए तंत्र-मंत्र के जाल में फंस जाते हैं और इसी तरह की अज्ञानता में वो अपनी जान गंवा बैठते हैं. दूसरा कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सही समय पर हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाते हैं, इस कारण भी जान चली जाती है.

Uttarakhand Snakes Story
सांप सब पर भारी
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उत्तराखंड में कोबरा सांप बड़ी संख्या में: सांप के काटने के बाद लोगों की अत्यधिक घबराहट भी उनकी जान ले लेती है. कुछ लोग मानते हैं कि अस्पतालों में उचित उपचार नहीं मिलने के कारण भी लोगों की जान जाती है. उधर दूसरी तरफ सांपों को लेकर लोगों की लापरवाही भी सांप और इंसान के बीच आमना सामना करवा देती है. घरों के आसपास साफ सफाई की कमी और झाड़ियां वाली जगह पर बिना एहतियात के गुजरना भी लोगों को भारी पड़ जाता है. वैसे तो उत्तराखंड में तमाम सांपों की प्रजातियां हैं, लेकिन इसमें सबसे जहरीले माने जाने वाले कोबरा की भी काफी बड़ी संख्या है और बताया जाता है कि अधिकतर लोगों की मौत इसी के काटने से होती है.

Last Updated :Aug 25, 2023, 4:54 PM IST
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