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हरीश रावत को 'आहत' किशोर की चिट्ठी, कहा- थोड़ा सम्मान रखते, कांग्रेस को स्थापित करने में मेरा भी हाथ

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Published : Nov 19, 2021, 5:56 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 6:58 PM IST

kishore upadhyaya letter to harish rawat
हरीश रावत को किशोर उपाध्याय ने लिखा पत्र

किशोर उपाध्याय इस बात से आहत हैं कि न तो उनको इस पदयात्रा के लिये सूचित किया गया और न ही सम्मान स्वरूप होर्डिंग्स में उनका नाम तक लिखे जाने की जहमत उठाई गई. बता दें कि किशोर उपाध्याय ने 2012 में टिहरी और 2017 में सहसपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था.

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही समय शेष रह गया है. ऐसे में अपनी-अपनी विधानसभा सीट के लिए नेतागण दावेदारी कर रहे हैं. ताजा मामला सहसपुर सीट का है, जहां आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पदयात्रा की है. लेकिन इससे पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस पर अपनी नाराजगी जताई है और हरीश रावत सहित कांग्रेस प्रदेश प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को बकायदा एक पत्र लिखा है.

दरअसल, किशोर उपाध्याय इस बात से आहत हैं कि न तो उनको इस पदयात्रा के लिये सूचित किया गया और न ही सम्मान स्वरूप होर्डिंग्स में उनका नाम तक लिखे जाने की जहमत उठाई गई. बता दें कि किशोर उपाध्याय ने 2012 में टिहरी और 2017 में सहसपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि, उन्हें कामयाबी नहीं मिली और उन्होंने अपनी हार के लिए कांग्रेस की अंतर्कलह को जिम्मेदार ठहराया था. ऐसे में किशोर उपाध्याय को 2022 की चुनावी सुगबुगाहट के बीच सहसपुर में होने वाले कार्यक्रम से दूर कर देना खल रहा है.

अपने इस पत्र में किशोर उपाध्याय ने हरीश रावत को संबोधित करते हुए लिखा है कि,

आप 19 नवंबर को सहसपुर विधान सभा के सेलाकुई कस्बे में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है. आप तो जानते ही हैं 2017 में मैं विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. आपके आदेश और एक विशेष तर्क पर मैंने CEC के फैसले पर चुनाव लड़ने के लिये हामी भरी, जब मैंने यह तर्क दिया कि जो वहां से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं और 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े हैं, यह उनके साथ अन्याय होगा तो केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे विश्वास दिया कि उनको सहमत करने की जिम्मेदारी उनकी है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ना बड़ी हिम्मत का काम है और चुनाव लड़ने के बाद ससम्मान कांग्रेस में वापसी के साथ बड़े-बड़े पदों पर विराजमान कर देना, सम्भवत: कांग्रेस की और भी इज्जत बढ़ाने वाला काम है. पूर्व अध्यक्ष व गत विधान सभा चुनाव के उम्मीदवार को किस तरह इज्जत बक्शी जाती है, इस होर्डिंग से परिलक्षित होती है.

2022 का रण अगर हम इस तरह की मानसिकता से जीत रहे हैं तो मुझे अपना अपमान भी सहर्ष मंजूर है. उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद की कांग्रेस की हालत यह थी कि कांग्रेस का एक भी विधायक अंतरिम विधानसभा में न था. आपने कांग्रेस को पुन: स्थापित किया, लेकिन मेरा भी उसमें कोई कम योगदान नहीं है. 2012 का चुनाव मुझे जनता ने नहीं हराया, कांग्रेस के बड़े नेता ने षड्यंत्र से हरवाया और अब मुझे लगता है, 2017 में भी मैं एक बड़े षड्यंत्र का शिकार हो गया.

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जाहिर है कि पत्र में किशोर उपाध्याय ने सीधा आरोप लगाया है कि उनको बीते दो चुनाव साजिश करके हराए गए हैं. जब इस बात को पुख्ता करने के लिए ईटीवी भारत ने उनसे फोन पर बातचीत की तो किशोर उपाध्याय ने कहा कि पार्टी फोरम में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और वरिष्ठ नेता हरीश रावत को पत्र लिखकर अपनी बात रखी है. पार्टी में जो गलत हो रहा है, उसपर कहने का अधिकार उनका है. उन्होंने अपनी बात शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई है. उन्हें कार्यक्रम की सूचना नहीं दी गई. इस पर उन्होंने अपनी बात रखी है. जो कुछ गलत हो रहा है उसपर नाराजगी जताना उनका अधिकार है.

बहरहाल, कांग्रेस में हमेशा से ही गुटबाजी अपने चरम पर रही है. 2017 में कांग्रेस का चुनावी हार की सबसे बड़ी वजह भी यही मानी जाती है. उपाध्याय के इस पत्र ने एक बार फिर कांग्रेस में चल रहे कलह की परतों को खोल दिया है.

Last Updated :Nov 19, 2021, 6:58 PM IST
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