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कश्मीर से उत्तराखंड का गहरा नाता, हिमालयन राज्यों में पर्यटन को मिलेगा नया आयाम: महाराज

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Published : Aug 11, 2019, 7:44 PM IST

सतपाल महाराज ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद उत्तराखंड और कश्मीर में बनने वाले आपसी सम्बन्धों की बात की है. उनका कहना है कि पूरा भारत भी अब कश्मीर के लिए खुल गया है.

सतपाल महाराज

देहरादूनः कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पूरे देश में लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में एक प्रतिक्रिया उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की भी आयी है जिसमे उन्होंने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बधाई देते हुए कहा कश्मीर अब हिमालय पर्यटन की मुख्यधारा में शामिल होगा. साथ ही उन्होंने कश्मीर से उत्तराखंड के कुछ पुराने रिश्ते भी बताए. उन्होंने कहा कि ये सम्बन्ध अब और अधिक गहरे होंगे.

उत्तराखंड और कश्मीर के बीच ऐतिहासिक संबंध.

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को हार्दिक बधाई दी है और कहा कि कश्मीर तो भारत में मिला ही है लेकिन हमें इस नजरिए से सोचना चाहिए कि पूरा भारत भी कश्मीर के लिए खुल गया है. पूरे भारत में कश्मीर के युवाओं को रोजगार मिलेगा और वहां का विकास होगा.

कश्मीर से उत्तराखंड का आध्यात्मिक सम्बन्ध
सतपाल महाराज ने कश्मीर और उत्तराखंड के आध्यात्मिक सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तराखंड के हनोल में मौजूद महासू देवता कश्मीर से ही उत्तराखंड आये थे. सतपाल महाराज ने बताया कि महासू देवता चार भाई थे जो कश्मीर से उत्तराखंड आये थे और यहां पर एक राक्षस हुआ करता था जिसका वध करने के लिए इन चारों भाइयों को यहां लाया गया. इसके अलावा श्रृंगी ऋषि ने भी कश्मीर में स्नान किया था और ऋषियों की भूमि रही है कश्मीर.

कश्मीर से उत्तराखंड का बलिदानों का सम्बन्ध

इसके अलावा कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार के बारे में बताते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के पिता ने भी कश्मीर में अपना बलिदान दिया था और जहां आज शीशगंज गुरुद्वारा है वहां उनके बलिदान को पूजा जाएगा. इसके अलावा कश्मीर में सैनिक बाहुल्य उत्तराखंड से कई सैनिकों ने कश्मीर में दुश्मन से लड़ते लड़ते बलिदान दिया जिन्हें अब सच्ची श्रद्धांजलि मिल पाएगी.

हिमालयन राज्यों के पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
इसके अलावा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हिमालयन राज्यों के सम्मेलन में भी यह बात उठी थी कि किस तरह से सभी हिमालयन राज्य पारस्परिक आपस में अपने पर्यटन और हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति को बढ़ावा दें और इसी के चलते अब कश्मीर भी पर्यटन के मुख्य धारा से जुड़ेगा. कश्मीर की तमाम भौगोलिक समानताओं को देखते हुए अन्य राज्यों की संस्कृति, समाज और भौगोलिक परिस्थितियों से एक दूसरे का समागम होगा.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड: कुपोषण ने बढ़ाई सरकार की चिंता, उधम सिंह नगर में 8 हजार बच्चे कुपोषित

महाराज ने कहा कि जम्मू कश्मीर, कश्मीर और उत्तराखंड के तमाम कल्चर एक दूसरे से मेल खाते हैं और अब अनुच्छेद 370 की बंदिशें हटने के बाद एक ही जैसे हिली ट्रेन की ये संस्कृति और सभ्यता नए आयाम पर जाएगी.

Intro:summary- सतपाल महाराज ने धारा 370 हटने के बाद उत्तराखंड और कश्मीर में बनने वाले आपसी सम्बन्धो की बात की।

एंकर- कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पूरे देश मे लोगों की तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है ऐसे में एक प्रतिक्रिया उत्तराखंड के पर्यटन मंन्त्री सतपाल महाराज की भी आयी है जिसमे उन्होंने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बधाई देते हुए कश्मीर अब हिमालय पर्यटन की मुख्यधारा में शामिल होगा साथ ही उन्होंने कश्मीर से उत्तराखंड के कुछ पुराने रिश्ते भी बताए। उन्होंने कहा कि ये सम्बन्ध अब और अधिक गहरे होंगे।


Body:वीओ- उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को हार्दिक बधाई दी है और कहा कि कश्मीर तो भारत मे मिला ही है लेकिन हमें इस नजरिए से सोचना चाहिए कि पूरा भारत भी कश्मीर के लिए खुल गया है। पूरे भारत मे कश्मीर के युवाओं को राजगार मिलेगा और वंहा का विकास होगा।

कश्मीर से उत्तराखंड का आध्यात्मिक सम्बन्ध----
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कश्मीर और उत्तराखंड के आध्यात्मिक सम्बन्धो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तराखंड के हनोल में मौजूद महासू देवता कश्मीर से ही उत्तराखंड आये थे। सतपाल महाराज ने बताया कि महासू देवता चार भाई थे जो कश्मीर से उत्तराखंड आये थे और यंहा पर एक राक्षस हुआ करता था जिसका वध करने के लिए इन चारों भाइयों को यंहा लाया गया। इसके अलावा श्रृंगी ऋषि ने भी कश्मीर में स्नान किया था और ऋषियों की भूमि रही है कश्मीर।

कश्मीर से उत्तराखंड का बलिदानों का सम्बन्ध----
इसके अलावा कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार के बारे में बताते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के पिता ने भी कश्मीर में अपना बलिदान दिया था और जहां आज शीसकंज गुरुद्वारा है वंहा उनके बलिदान को पूजा जेएगा। इसके अलावा कश्मीर में सैनिक बाहुल्य उत्तराखंड से कई सैनिकों ने कश्मीर में दुश्मन से लड़ते लड़ते बलिदान दिया जिसे अब सच्ची श्रधंजलि मिल पाएगी।

हिमालयन राज्यों के पर्यटन को मिलेगा नया आयाम---
इसके अलावा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हिमालयन राज्यों के सम्मेलन में भी यह बात उठी थी कि किस तरह से सभी हिमालयन राज्य पारस्परिक आपस में अपने पर्यटन और हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति को बढ़ावा दें और इसी के चलते अब कश्मीर भी पर्यटन के मुख्य धारा से जुड़ेगा।

कश्मीर की तमाम भौगोलिक समानताओं को देखते हुए अन्य राज्यों की संस्कृति, समाज और भौगोलिक परिस्थितियों से एक दूसरे का समागम होगा। महाराज ने कहा कि जम्मू कश्मीर कश्मीर और उत्तराखंड के तमाम कल्चर एक दूसरे से मेल खाते हैं और अब धारा 370 की बंदिशें हटने के बाद एक ही जैसे हिली ट्रेन की ये संस्कृति और सभ्यता नए आयाम पर जाएगी।

बाइट- सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री


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